भारत को कई बार कामसूत्र (Kamasutra) की भूमि कहा गया है. वो भूमि जिसने अब तक की सर्वश्रेष्ठ सेक्स पुस्तक जारी की. वो भूमि जहां मंदिरों को सबसे स्पष्ट यौन कल्पनाओं से सजाया गया है. और फिर भी जब सेक्स और सेक्स वर्कर्स की बात आती है, तो हम आंखें मूंद लेते हैं या इसे टैबू कहते हैं. हम उनके व्यापार को अवैध बनाने का आह्वान करते हैं, भले ही हम विकल्प प्रदान करने में विफ़ल हों.

जैसा कि आमतौर पर समझा जाता है, भारत में सेक्स वर्क, या वेश्यावृत्ति अवैध नहीं है. और भले ही इतिहास में इसकी उपस्थिति हर जगह फैली हुई है, हम उन सबको अनदेखा करते हैं, अक्सर सेक्स वर्कर्स को दरकिनार कर देते हैं, और उनके अस्तित्व को भी स्वीकार करने में विफ़ल रहते हैं.

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देश के किसी भी रेड लाइट एरिया में जाएं, और आप देखेंगे कि वे किस मुश्किल परिस्थिति में रहते हैं. मुंबई के सेक्स वर्कर्स के करीबी और व्यक्तिगत फ़ोटोग्राफ़रों में से एक की ये तस्वीरें 1980 के दशक की शुरुआत में इन महिलाओं के कष्ट भरे जीवन और कामकाजी परिस्थितियों पर कुछ प्रकाश डालेंगी.

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स्वर्गीय मैरी एलेन मार्क कमाठीपुरा के सेक्स वर्कर्स के साथ लगभग 3 महीने तक रहीं और उनके जीवन का दस्तावेजीकरण करते हुए, और उनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हुए समय बिताया.

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इस दौरान उन्होंने कुछ रोंगटे खड़े कर देने वाली तस्वीरें भी बनाईं. 1980 के दशक में खींची गई ये तस्वीरें उस हकीकत की याद दिलाती हैं जो पहले भी थी और अब भी है.

फ़ोटो सीरीज़ को द केज गर्ल्स ऑफ़ बॉम्बे कहा जाता है, और ये मार्मिक से कम नहीं है. ये तस्वीरें 3 दशक पहले की हैं. सोचिए अब उनकी क्या दुर्दशा होगी.

सेक्स के लिए तंग, सांस लेने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं होने के कारण, कमाठीपुरा, सोनागाछी, जीबी रोड और भारत के अन्य स्थानों में कई लोग इस तरह का जीवन जीते हैं, जो सेक्स व्यापार के लिए बदनाम हैं. ये समाज के एक ऐसे वर्ग की कड़वी सच्चाई है जिसके लिए हम बहुत कुछ करने में विफ़ल रहे हैं.