बचपन से ही हम पढ़ते आये हैं कि हिंदुस्तान विविधताओं का देश है. यहां हर कदम पर सभ्यताओं के साथ संस्कृति बदलती हुई दिखाई देती है. विविधताओं वाले देश हिंदुस्तान में यही विविधता भाषा के साथ भी देखने को मिलती है. क्या आप जानते हैं कि ‘कोस-कोस पर पानी बदलत और दो कोस पर वाणी’, बदलने वाले इस देश में असल में कितनी भाषायें बोली जाती हैं?
भारत के संविधान के हिसाब से हिंदी और इंग्लिश यहां की आधिकारिक भाषाएं हैं. जबकि 22 अन्य भाषाओं को भी आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है. इंग्लिश भारत में सम्पर्क भाषा के रूप में लोगों को जोड़ने का काम करती है, जिसकी वजह से पर्यटकों के लिए भी यहां घूमना आसान हो जाता है. हिंदुस्तान में भाषाओं की गिनती यही ख़त्म नहीं हो जाती. इन सब के अलावा भी 400 भाषायें और करीब 2,000 बोलियां बोली जाती हैं. भारतीय भाषाओं के बारे में आप कहीं न कहीं कुछ न कुछ पढ़ ही चुके होंगे, पर आज हम सिर्फ़ हिंदुस्तान की बोलियों के बारे में बात करने जा रहे हैं.
लोग सोचते थे यहां सिर्फ़ हरियाणवी ही बोली जाती है.
बोली के मामले में काफ़ी सम्पन्न है महाराष्ट्र.
इनके बारे में शायद ही किसी को पता हो!
हर क्षेत्र में बोली जाती है अलग बोली.
राजस्थान की ख़ुशबू को समेटे हुए है हर बोली.
इस प्रदेश की बात ही कुछ और है.
पहाड़ों के गर्भ में भी पलती हैं कई बोलियां.
मैथली और भोजपुरी के साथ ही दूसरी बोलियां भी बोलता है बिहार.
किताबों में सिर्फ़ डोगरी के बारे में बताया गया था.
यहां पंजाबी के अलावा और भी बोलियां बोली जाती है.
दक्षिण भारत
- भाषा की दृष्टि में द्रविड़ हिंदुस्तान की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है, जिसमें 161 बोलियां मानी जाती है. इनमें तमिल की 22 में कोरवा, पट्टापु सालेवारी, बेराडी प्रधान बोलियां हैं.
- कन्नड़ की 32 मातृ बोलियों में बडगा, होलिया, मोंटाडेंत्यी, कोरचा और कोरवा है.
- मलयालम की 14 बोलियों में येरव, पनिया, नागरी, तुलू कोर्गी, टोडा, कोटा है.
इन सब के अलावा हिंदुस्तान में कई ऐसी बोलियां हैं, जो आदिवासी और एक इलाके तक ही सीमित है. इन बोलियों को सामने लाने में आप भी मदद कर सकते हैं. कमेंट करके हमें उन बोलियों के बारे में ज़रूर बताएं ताकि हम उनके साथ दूसरा आर्टिकल बना सकें.