बिहार को ज़्यादातर लोग कुछ बातों से ही स्टीरियोटाइप करते हैं:
लगावेलु जब लिपस्टिक
UPSC की तैयारी करने वाले
लिट्टी-चोखा
बिहार में रहने वाले ग़ैरबिहारी की हैसियत से मैं ये यक़ीन के साथ कह सकती हूं कि बिहार इसके अलावा भी काफ़ी कुछ है. मेरा जन्म बंगाली परिवार में हुआ है लेकिन मैं बिहार में ही पली-बढ़ी हूं. यहां की संस्कृति, त्यौहारों को मैंने काफ़ी क़रीब से देखा है.
कई बार काफ़ी ग़लत कारणों से सुर्खियों में रहा है वो राज्य जहां की मिट्टी पर ही गौतम को ‘बोध’ की प्राप्ति हुई. कभी लालू के घोटाले, कभी राज्य का अपराध दर.
बिहार में रहने की वजह से मैंने छठ पर्व को भी काफ़ी क़रीब से देखा है. शारदा सिंह की आवाज़ को सुनते-सुनते बड़ी हुई हूं. ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मुझे बिरेंद्र कृष्णा भद्र की आवाज़ में मां दुर्गा के श्लोक भी उतने ही पसंद हैं जितना शारदा सिन्हा के आवाज़ में छठ के गीत. आज भी याद है बचपन के दिन, भोजपुरी बोलनी नहीं आती थी, लेकिन छठ के गीत अति आत्मविश्वास के साथ गाती थी.
पड़ोस की आंटी छठ करती थीं और हम सभी को बुलाती थी. आंटी मम्मी को नाक से सिर तक सिंदूर लगाती थीं और सच कहूं तो वो मुझे अजीब लगता था. 4 दिन के इस महापर्व से जुड़ी कुछ बातें, जो हर किसी को पता होनी चाहिए.
1. महाभारत के समय से चली आ रही है छठ की परंपरा
कहा जाता है कि अंग देश के राजा, सूर्यपुत्र कर्ण ने छठ पूजा की शुरुआत की थी. छठ का व्रत करके कर्ण को अपार शक्तियां मिली थी.
एक अन्य कथा के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि द्रौपदी भी सूर्य की पूजा करती थी. उसकी भक्ति देखकर सूर्य ने उसे वरदान दिया कि वो जानलेवा बिमारियों को भी ठीक कर सकेगी. द्रौपदी की सहायता से ही पांडवों ने कुरुक्षेत्र का युद्ध जीता था.
2. किसी प्रतिमा की पूजा नहीं होती
हिन्दू प्रतिमाओं की पूजा करते हैं, लेकिन छठ पूजा के लिए प्रतिमा की आवश्यकता नहीं है. बदलते दौर के साथ अब कुछ लोग आस्था से सूर्य की प्रतिमा बनाने लगे हैं, लेकिन ये अनावश्यक है.
3. कोई भी कर सकता है छठ का व्रत
महिला हो या पुरुष, छठ का व्रत कोई भी अपनी इच्छा से रख सकता है. एक निहित वक़्त के लिए छठ उठाया जाता है. इच्छानुसार, कोई 5 साल तो कोई 10 साल के छठ उठाता है
4. 4 दिन का त्यौहार और 36 घंटों का व्रत
4 दिन के त्यौहार में व्रती महिलाएं या पुरुष 36 घंटे, बिना खाना और पानी के रहते हैं. व्रत के दौरान उपासियों को ज़मीन पर ही सोना होता है.
5. स्वास्थ्य लाभ
बड़े-बूढ़ों के मुंह से सुना है कि छठ व्रत शरीर में एनर्जी लेवल को बढ़ाता है. न सिर्फ़ शारीरिक बल्कि इससे मानसिक शांति भी मिलती है. यही नहीं, इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है. कुछ लोग तो ये भी कहते हैं कि इस व्रत से बढ़ती उम्र थम जाती है.
6. साल में दो बार मनाया जाता है छठ
सूर्य उपासना का ये महापर्व साल में दो बार आता है. एक चैत के महीने में और दूसरा कार्तिक माह में.
7. नई फ़सल होने का त्यौहार भी है छठ
छठ, नई फ़सल की पैदावार की ख़ुशियां मनाने का भी त्यौहार है. छठ प्रसाद में नई फ़सल की चीज़ें (सब्ज़ियां और फल) रखे जाते हैं.
8. छठ का प्रसाद
सिर्फ़ ठेकुआ ही नहीं, चावल के आटे के लड्डू, अलग-अलग तरह की सब्ज़ियां, फल, पान के पत्ते, सुपारी, ईख सबकुछ अर्पित किया जाता है सूर्य देव को.
9. विश्व में सदियों से की जा रही है सूर्य की उपासना
सिर्फ़ भारत में ही नहीं, विश्व की कई सभ्यताओं में सूर्य की उपासना की जाती है. प्राचीन मिस्र के वासी सूर्य की उपासना करते थे. Fiji, Mauritius, Trinidad & Tobago में आज भी सूर्य पूजा की जाती है.
अब सुनिए शारदा सिन्हा की आवाज़ में छठ गीत-
छठ महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं.