आपको ये तो पता ही होगा कि धरती का 70% हिस्से पर पानी है. इसी 70% पानी में समुद्र, बर्फ़ीली चट्टानें, नदियां आती हैं. ये तो आपको पता होगा ही कि दुनिया में 5 महासागर हैं और ये सभी महासागर अथाह हैं इनकी कोई सीमा नहीं है, इनका अंतिम और शुरुआती छोर कहां है पता लगाना मुश्किल है. आये दिन शोधकर्ता और वैज्ञानिक इन महासागरों से जुड़ी नई-नई खोज करते रहते हैं. लेकिन शायद आपको ये नहीं पता होगा कि अभी तक महासागरों का केवल 20% भागों का ही गहन अध्यन हो पाया है. इससे आपको इनके अथाह होने अंदाज़ा लग ही गया होगा. इन महासागरों की गहराईयों में ना जाने कितने राज़ अभी भी छुपे हुए हैं. खैर, आज हम आपको महासागरों से जुड़े रहस्यों या उनकी कोई जानकारी नहीं देने जा रहे हैं, बल्कि हम आपको कुछ ऐसी जानकारी देने जा रहे हैं, जो आपको हैरान कर देगी.

दोस्तों आपने ये तो सुना होगा कि जब दो नदियां आपस में मिलती हैं तो वो एक तीसरी नदी का निर्माण करती हैं. ऐसे ही आपने ये भी सुना होगा कि धरती पर मौजूद 5 महासागर सातों महाद्वीपों को आपस में जोड़ते हैं. आपने ये भी सुना होगा कि हिन्द महासागर और प्रशांतमहासागर भी अलास्का की खाड़ी में मिलते हैं. मगर आपको ये नहीं पता होगा कि भले ही ये दोनों महासागर आपस में मिलते ज़रूर हैं लेकिन इनका पानी एक-दूसरे में मिश्रित नहीं होता है.

जी हां हो गए ना हैरान, पर ये सच है. हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर का पानी अलग-अलग रहता है. नीचे दी गई तस्वीर को देखने के बाद ये बात आपको समझ आएगी.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस जगह और यहां के दो रंगों के पानी के इस दृश्य की फ़ोटो सबसे पहले Kent Smith नाम के एक फ़ोटोग्राफ़र ने जुलाई 2010 में अलास्का में ली थी.

तो चलिए अब ये जानते हैं कि आखिर इनका पानी आपस में मिश्रित क्यों नहीं होता?

अलास्का की खाड़ी में इस जगह पर दोनों समुद्रों के पानी में अंतर साफ़ देखा जा सकता है. हैरान करने वाली बात ये है कि इस जगह पर दोनों रंगों का पानी आपस में मिश्रित नहीं और अलग-अलग रहता है.

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दरअसल, ग्लेशियर से निकलने वाले पानी का रंग हल्का नीला होता है, जबकि समुद्रों से आने वाला पानी गहरा नीला होता है.

इन दोनों महासागरों के पानी पर कई बार रिसर्च भी की जा चुकी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इसका कारण है खारे और मीठे पानी का घनत्व, तापमान और लवणता का अलग-अलग होना. इसके अलावा ये भी माना जाता है कि ग्लेशियरों के पिघलने से बने सागर का पानी मीठा होता है, वहीं समुद्र का पानी खारा होता है. जहां ये दोनों सागर मिलते हैं वहां झाग की एक दीवार बन जाती है. यही वजह है कि अलग घनत्व के कारण इनका मिश्रण मुश्किल से होता है. और ऐसा लगता है कि ये दो महासागर मिलते तो हैं पर मिश्रित नहीं हो पाते.

वहीं ये भी माना जाता है कि इस फिनॉमिना का सम्बन्ध पानी के ऊर्ध्वाधर स्तरीकरण से होता है.

इसके अलावा इसका एक कारण ये भी माना जाता है कि जब अलग-अलग घनत्व के पानी पर सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो भी पानी का रंग बदलता और जब हिन्द महासागर और प्रशांत महासागर आपस में मिलते हैं, तो अलग-अलग रंगों होने के कारण प्रतीत होता है कि दोनों मिल मिश्रित नहीं हो रहे हैं.

कई लोग इस रहस्य को धार्मिक मान्यताओं से जोड़ कर देखते हैं. वहीं कुछ लोग इसे चमत्कार मानते हैं. हालांकि ऐसा बिलकुल नहीं है कि इन दोनों महासागरों का पानी कभी नहीं मिलता, कहीं न कहीं जाकर तो ये एक-दूसरे में मिल ही जाते हैं.

इस फिनोमिना का वीडियो नीचे देखिये:

https://www.youtube.com/watch?v=SWRqfWo4hZ8

दोस्तों हम आपके लिए ये जानकारी सवाल-जवाब की वेबसाइट quora से ढूंढ कर लाये हैं.