जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तब न जाने क्या-क्या बनने के सपने देखा करते थे. कभी पायलेट तो कभी पुलिस ऑफ़िसर, कभी साइंटिस्ट तो कभी कमांडो. हमारी पसंद कुछ इसी तरह बदलती रहती थी. बड़े होने के साथ ही हमारे वो सपने, सपने ही रह गए.

pinterest

उस वक़्त चाहे हम पढ़ाई में अच्छे हों या न हों फिर भी बैक बेंचर्स के ठप्पे से बचने की कोशिश किया करते थे. स्कूल के दिनों में चाहे टीचर्स हों या स्टूडेंट्स हर कोई बैक बेंचर्स को शक़ भरी नज़रों से देखते थे. क्लास में कोई भी गड़बड़ हो बैक बेंचर्स पर ही शक़ किया जाता था. क्लास टेस्ट हो या फिर टीचर को कुछ पूछना हो सबसे पहले बैक बेंचर्स को ही खड़ा किया जाता था, लेकिन ये किस्सा सिर्फ़ स्कूल तक ही सीमित है, ऐसा नहीं है कि बैक बेंचर्स ज़िंदगी में कुछ कर ही नहीं पाते.

thebetterindia

आज हम आपको एक ऐसे ही बैक बेंचर की कहानी बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने क्लास की उस लास्ट बेंच पर बैठकर आईपीएस ऑफ़िसर बनने का सपना देखा था और आज उनका ये सपना पूरा भी हो चुका है.

इनका नाम है मिथुन कुमार जी.के

indiatimes

कर्नाटक के रहने वाले मिथुन स्कूल टाइम में बैक बेंचर हुआ करते थे. मिथुन हमेशा से ही पढ़ाई में एक एवरेज स्टूडेंट रहे, लेकिन उन्होंने देश की सबसे मुश्किल परीक्षा को पास कर दिखा दिया कि कड़ी मेहनत और लगन से कोई भी काम किया जाये, तो उसमें सफ़लता ज़रूर मिलती है. मिथुन जैसे एवरेज स्टूडेंट के लिए इतनी कठिन परीक्षा पास करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा, उन्होंने UPSC परीक्षा चौथे प्रयास में पास कर बैक बेंचर्स के लिए एक मिसाल पेश की है.

indiatimes
Humans of Lbsnaa से बातचीत के दौरान 2016 के आईपीएस ऑफ़िसर मिथुन कुमार ने कहा कि ‘वो मेरे पिता ही थे, जिन्होंने मेरे अंदर एक पुलिस ऑफ़िसर बनने की ललक पैदा की. परिवार का सबसे बड़ा बेटा होने के कारण मैंने ग्रेजुएशन ख़त्म होते ही सॉफ़्टवेयर सेक्टर में काम करना शुरू कर दिया था, लेकिन मैं अपनी नौकरी से ख़ुश नहीं था. मुझे हर वक़्त लगता था कि मैं कुछ मिस कर रहा हूं. तीन साल काम करने के बाद आख़िरकार मैंने अपनी जॉब छोड़ दी.’
‘मैं बचपन से ही एक पुलिस अधिकारी बनना चाहता था. जब भी सड़क पर किसी पुलिस वाले को वर्दी में देखता तो मेरी आंखों में चमक आ जाती थी. जब मैंने UPSC परीक्षा पास की, तो हर कोई मुझे प्रशासनिक सेवा में जाने की राय दे रहा था, लेकिन मैं उन्हें बता नहीं सकता था कि वर्दी से मुझे कितना प्यार है.’
ntdin.tv

मिथुन ने साल 2016 UPSC परीक्षा में चार विफ़ल प्रयासों के बाद 130 वीं रैंक हासिल की थी. मिथुन चाहते तो प्रशासनिक सेवा में जा सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने बचपन के उस ख़्वाब को पूरा करना बेहतर समझा, जो उन्होंने अपने स्कूल की लास्ट बेंच पर बैठकर देखा था.

indiatimes

इस देश में हर साल तकरीबन 5 लाख लोग सिविल सर्विसेज़ की परीक्षा में बैठते हैं, लेकिन ये ड्रीम जॉब किसी-किसी को ही नसीब हो पाती है.