एक बार फिर कौड़ियाला से ऋषिकेश को ऊंचाई से देखने पर नदी के किनारे आपको रंग-बिरंगी चादर दिखाई पड़ेगी. अगर आप ऋषिकेश गए हों, तो जानते होंगे कि गंगा के पास में लगे कैम्प ऊंचाई से देखने पर कैसे लगते हैं. ये गंगा के किनारे की वो 25 साइट्स हैं, जिन पर कैम्पिंग के लिए दिसंबर 2015 में बैन लग गया था.
आपको बता दें कि इस बेल्ट की कुल 33 साइट्स पर बैन लगा था. बीते गुरुवार को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इनमें से 25 साइट्स पर कैम्पिंग दोबारा शुरु करवा दी है. ट्रिब्यूनल ने ये हिदायत दी है कि कैम्पिंग के दौरान पर्यावरण का पूरा ख़्याल रखा जाए, न कि सिर्फ़ बिज़नेस किया जाए. ट्रिब्यूनल ने विनियामक व्यवस्था कर के इसे दोबारा शुरु किया है. 33 में से आठ साइट्स नदी से 100 मीटर दायरे के अंदर आ रहीं थीं, इसलिए उनको शुरु नहीं गया है.
इस फ़ैसले को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा स्वीकृति मिल चुकी है. प्राधिकरण को ये निर्देश दिया गया है कि इन 25 साइट्स पर पूरी नज़र रखें और कैम्पिंग और राफ़टिंग की रिपोर्ट हर छह महीनें से जमा करें. ये कहा गया है कि 25 में से 22 साइट्स 100 मीटर सीमा के करीब हैं और कुछ उसके अंदर आती हैं, तो उन साइट्स पर सिर्फ़ और सिर्फ़ बीच कैम्पिंग ही हो और कुछ नहीं.
ट्रिब्यूनल ने राज्य सरकार से इन 25 साइट्स की निर्धारित ज़मीन पर वनीकरण की जानकारी भी मांगी है. 2015 में Social Action For Forest and Environment (SAFE) के Vikram Tongad ने इन कैम्प के मालिकों के खिलाफ़ याचिका दायर की थी कि वो पर्यावरण का बिल्कुल ख्याल नहीं रखते. इसी के बाद 10 दिसंबर 2015 को इस पूरी बेल्ट में कैम्पिंग और एडवेंचर स्पोर्ट्स बैन हो गए थे.