टाइटैनिक एक ऐसा जहाज़ था, जिसके बारे में कहा जाता था कि वो कभी नहीं डूबेगा. मगर 1912 में जब ये जहाज़ इंग्लैंड से न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुआ तो दो दिनों बाद ही एक बर्फ़ की चट्टान से टकरा कर डूब गया. ये उस दौर की सबसे बड़ी समुद्री आपदा थी, जो शांतिकाल के दौरान घटित हुई थी. टाइटैनिक को कई वर्षों तक खोजा गया, लेकिन 73 साल तक उसे कोई तलाश नहीं पाया. सबसे पहले इसे ढूंढ निकाले वाली थी अमेरिका की नौसेना लेकिन उसने इस मुश्किल काम को कैसे अंजाम तक पहुंचाया, जानते हैं आप?

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टाइटैनिक की खोज करने वाले डॉ. Robert Ballard ने उस खोजी अभियान के बारे में बताया है. Ballard एक नेवी ऑफ़िसर हैं. इन्होंने अमेरीकी नौसेना के कई सीक्रेट मिशन को अंजाम तक पहुंचा था. उनकी दिलचस्पी इस खोए हुए जहाज़ को तलाशने में थी. अमेरिकी नौसेना ने उन्हें और उनकी टीम को अटलांटिक महासागर में टाइटैनिक की खोज की मंजूरी एक शर्त पर दी थी.

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वो ये कि वो इसके साथ उसी जगह पर 1960 के आस-पास खो गई दो न्यूक्लीयर सबमरीन्स की भी तलाश करेंगे. दुनिया की नज़रों में वो टाइटैनिक की खोज पर निकलेंगे, लेकिन उनका असली मकसद सबमरीन्स को तलाशना होगा. Ballard ने उनकी शर्त मान ली और निकल पड़े उस ऐतिहासिक खोजी अभियान पर.

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लेकिन दिक्कत ये थी कि टाइटैनिक जहां डूबा था, उसकी गहराई बहुत अधिक थी. किसी भी गोताखोर के लिए वहां जाकर उसकी तलाश करना मुश्किल था. इसलिए उन्होंने इसके लिए मशीनों का इस्तेमाल किया. ऐसी मशीन जो समुद्र तल में जाकर उसकी तस्वीरें ले सके.

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इसी दौरान Ballard ने पहली सबमरीन USS Thresher को खोज निकाला. ये 1963 में अपने 122 क्रू मेंबर्स के साथ बॉस्टन के आस-पास खो गई थी. उसके कुछ दिनों बाद उन्होंने USS Scorpion नाम की दूसरी सबमरीन को भी तलाश कर लिया.

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Ballard अभी अपने मिशन में कामयाब नहीं हुए थे इसलिए उन्होंने टाइटैनिक की खोज जारी रखी. उनकी मेहनत रंग लाई और 12 दिनों बाद उन्होंने टाइटैनिक को भी खोज निकाला. जब उनकी टीम ने उस जहाज़ को देखा तो इतने एक्साइटेड हो गए कि ख़ुशी के मारे डांस करने लगे, पर जैसे ही उन्हें ये एहसास हुआ कि वो हज़ारों लोगों की कब्र पर कूद रहें हैं, तो उन्होंने ख़ुद को संभाला.

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Ballard ने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी और उन्हें बताया कि वो वहां से कुछ नहीं ला रहे हैं, सिवाय टाइटैनिक की तस्वीरों के. उन्होंने कई वर्षों तक इस टॉप सीक्रेट मिशन के बारे में किसी को नहीं बताया था. अब जाकर यूएस नेवी ने इस मिशन के बारे में दुनिया को अवगत कराया है.