कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता,
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों
दुष्यंत कुमार की इन लाइन्स का जीता-जागता उदाहरण हैं अफ़रोज़ शाह. 160 हफ़्तों में वरसोवा बीच की सफ़ाई कर उन्होंने ये साबित कर दिया कि अगर इरादे मज़बूत हों, तो कुछ भी संभव हो सकता है.
अफ़्रोज़ शाह ने अब मुंबई की मीठी नदी की सफ़ाई का ज़िम्मा लिया है. 2015 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस नदी में 100 प्रतिशत Sewage का पानी है और साफ़ पानी का नाम-ओ-निशान नहीं है. 80 के दशक में इस नदी की हालत इतनी ख़राब नहीं थी. वर्षों तक प्रदूषण की मार झेल कर ये नदी पूरी तरह से नाला बन चुकी है.
सरकार ने इस नदी की हालत सुधारने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन सब विफल.
अफ़रोज़ शाह ने इस नदी की सफ़ाई का ज़िम्मा उठाया है. एक ट्वीट के ज़रिए उन्होंने इस बात की घोषणा की है.
Week 161.#BeatPlasticPollution #Connectwithnature#Mithiriver
Tete with students from Thakur college of law – Need to hug nature as we hug our loved ones.Recce at the mouth of Mithi River – This river needs our hug.We intend to Hug it tight and long – New love – New date pic.twitter.com/JEm0bd7VJv— Afroz shah (@AfrozShah1) November 14, 2018
NDTV से बातचीत में अफ़्रोज़ ने बताया,
मीठी नदी की बदहाली का एहसास मुझे तब हुआ, जब एक इमाम ने बताया कि 30 साल पहले वे इस नदी का पानी पिया करते थे और ये अब नाली बन चुकी है. पवई के विहार तालाब से लेकर बांद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स के बीच ये नदी बहती है. नदी की हालत देखकर मैं ये कह सकता हूं कि इसकी सफ़ाई में 5 साल लगेंगे.
मीठी नदी की सफ़ाई के साथ-साथ अफ़्रोज़ दाना पानी बीच से भी प्लास्टिक प्रदूषण हटाने का काम करेंगे.
मुंबई वासियों के प्रयास के बिना न वरसोवा की सफ़ाई संभव थी और न ही मीठी नदी की सफ़ाई संभव होगी. हम उम्मीद करते हैं कि मीठी नदी की सफ़ाई करने में अफ़्रोज़ और उनके साथी सफ़ल होंगे.