Gudi Padwa 2022: जानिए गुड़ी पड़वा पूजा का शुभ मुहूर्त, इस पर्व का महत्व और इतिहास

Sachin Adgaonkar

Gudi Padwa 2022: महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा काफी धूम-धाम ने मनाया जाने वाला त्यौहार है. ख़ासकर मराठी हिंदू गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) को शुभ मानते हैं. ये एक ऐसा त्यौहार है, जिससे जुड़ी कई धार्मिक कहानियां हैं. हिंदू धर्म के मुताबिक, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के साथ गुड़ी पाड़वे के दिन नए साल की शुरुआत होती है.  

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महाराष्ट्र में कई लोग ऐसे हैं जो, गुड़ी पड़वा के दिन नए बिजनेस को शुरू करते हैं. चाहे नया घर ख़रीदना हो या कार ख़रीदनी हो, ये सब गुड़ी पड़वा के दिन ही ख़रीदते हैं. इस साल पूरे देश में गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2022) का त्यौहार 2 अप्रैल 2022 को मनाया जाएगा. 

तो चलिए जानते हैं, गुड़ी पड़वा का महत्व क्या है? गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त कौन सा है? साथ ही इसके इतिहास से जुड़ी ज़रूरी बातें

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Gudi Padwa 2022

गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) का महत्व

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महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2022) अलग-अलग रूप से महत्वपूर्ण है. कई जगह गुड़ी पड़वा को नए साल की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है. तो, कहीं हिन्दू पौराणिक कथा के अनुसार गुड़ी पड़वा को ब्रह्मांड का निर्माण करने वाला दिन माना जाता है. कहा ये भी जाता है कि, सतयुग की शुरुआत भी गुड़ी पड़वा के दिन से हुई थी. वहीं मराठा साम्राज्य के शासक छत्रपति शिवाजी महाराज ने युद्ध जीतने के बाद सबसे पहले गुड़ी पड़वा का पर्व मनाया था. तब से मराठा समुदाय हर साल गुड़ी पड़वा के पर्व को मनाते आ रहा है. 

गुड़ी पड़वा तिथि और मुहूर्त

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इस आने वाले 1 अप्रैल 2022 को शुक्रवार के दिन सुबह 11:53 से चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू हो रही है. ये तिथि और मुहूर्त अगले दिन 2 अप्रैल शनिवार सुबह 11:58 तक है. ऐसे में इस साल गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल 2022 को मनाया जाएगा. 

गुड़ी पड़वा का इतिहास (Gudi Padwa 2022)

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चैत्र मास की शुरुआत होते ही, हिंदू धर्म के मुताबिक़, नए साल की शुरुआत हो जाती है. वैसे तो हिंदू धर्म का नया साल हम बहुत प्राचीन समय से मनाते आ रहे हैं, लेकिन पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि, क़रीब 2057 ई.सा पूर्व विश्व सम्राट विक्रमादित्य ने नए सिरे से इसे स्थापित किया था, जिसे विक्रम युग (Vikram Era) भी कहा जाता है. इस विक्रम युग को पहले भारतीय कैलेंडर या हिंदू कैलेंडर भी कहा जाता था, लेकिन बाद में इसे हिंदू युग (Hindu Era) के कैलेंडर के रूप में माना गया. 

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आज भी इस हिंदू नव वर्ष को भारत के राज्यों में अलग अलग नामों से जाना और मनाया जाता है. जैसे, गुड़ी पड़वा, युगादि, होला मोहल्ला, विशु, वैशाखी, चेटीचंड, कश्मीरी नवरेह, उगाडी, चित्रैय, तिरूविजा ये सभी हिंदू नव वर्ष के आसपास ही आते हैं. 

कैसे मनाया जाता है गुड़ी पड़वा –

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गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa 2022) के दिन, लोग अपने घरों की साफ़-सफ़ाई करते हैं और घर के मेन गेट पर रंगोली बनाते हैं. साथ ही मेन गेट पर आम के पत्तों से बना हुआ बंधनवार भी लगाते हैं, जिसे हिंदू धर्म में काफ़ी पवित्र स्थान दिया है. इस स्पेशल दिन पर महिलाएं अपने घर के बाहर गुड़ी और भगवा झंडा लगाती हैं. 

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पौराणिक कथाओं की मान्यता है कि, गुड़ी और भगवा झंडे की पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है. महाराष्ट्र में कुछ जगहों पर गुड़ी पड़वा के दिन नीम के पत्ते खाने की परंपरा है. ऐसी मान्यता है कि, नीम की पत्तियों को खाने से कई बीमारियों से मुक्ति मिलती है. 

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साथ ही, छोटों से लेकर बड़े बुज़ुर्ग, महिलाएं मराठी संस्कृति के पारंपरिक कपड़े पहनकर शोभा यात्रा निकालते हैं, जहां महिलाएं नववारी साड़ी पहनकर बुलेट बाइक चलाती हैं और ढोल बजाती हैं. इस प्रकार सिर्फ़ मराठी समुदाय ही नहीं, बल्कि दुनिया के अलग स्थानों में गुड़ी पड़वा पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है और परिवार के लोग एक साथ आकर नए साल का स्वागत करते हैं. और दूसरों को नए साल ही शुभकामनाएं और आशीर्वाद देते हैं. 

पूरन पोली के बिना अधूरा गुड़ी पड़वा

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भारत में कोई भी त्यौहार हो यदि उस दिन कोई विशेष पकवान न बने तो वो त्यौहार अधूरा माना जाता है. गुड़ी पड़वा पर मराठी लोग पूरन पोली (Puran Poli), साबूदाना वड़ा, नारियल की मिठाई, श्रीखंड, मोदक, आम्रखंड, आमरस, गुलाब जामुन, भजिया, आदि स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं. 

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