100 साल पुरानी ‘गीता प्रेस’ द्वारा प्रकाशित इन 6 किताबों में मौजूद हैं हिंदू धर्म की प्राचीन गाथाएं

Maahi

भारत के सबसे पुराने प्रकाशकों में से एक गीता प्रेस (Gita Press) की नींव 29 अप्रैल, 1923 को यूपी के गोरखपुर में जय दयाल गोयंका और घनश्याम दास जालान ने रखी थी. जय दयाल गोयंका और घनश्याम दास जालान ने गीता प्रेस की शुरुआत ‘सनातन धर्म’ के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए की थी. लेकिन आज गीता प्रेस (Gita Press) हिंदू धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी प्रकाशक है.

ये भी पढ़ें: भारत में है किताबों का अनोख़ा महल Saraswati Mahal Library, ये एशिया का सबसे पुराना पुस्तकालय है

theprint

हनुमान प्रसाद पोद्दार जिन्हें ‘भाईजी’ के नाम से जाना जाता है, वो गीता प्रेस (Gita Press) की प्रसिद्ध पत्रिका के संस्थापक और आजीवन संपादक थे. हनुमान प्रसाद ने अपनी कलम जिसका नाम ‘शिव’ कल्याण था की मदद से कई शानदार लेख लिखे. गीता प्रेस ने सन 1927 में 1600 प्रतियों के संचालन के साथ प्रकाशित शुरू किया था. साल 2012 तक इसका प्रिंट ऑर्डर 250,000 तक पहुंच गया था. गीता प्रेस की आर्काइव में 3,500 से अधिक पांडुलिपियां हैं जिनमें ‘भगवद गीता’ की 100 से अधिक व्याख्याएं शामिल हैं.

vigyanam

गीता प्रेस (Gita Press) स्थापना के बाद से अब तक ‘गीता’ की क़रीब 410 मिलियन कॉपी (विभिन्न संस्करणों में) और ‘रामचरितमानस’ की 70.0 मिलियन कॉपी बेहद कम क़ीमतों पर प्रकाशित कर चुकी है. गीता प्रेस साल 2023 में प्रकाशन के क्षेत्र में 100 सालों का सफ़र पूरा करने जा रही है. गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित ग्रंथ संस्कृत, हिंदी, मराठी, अंग्रेज़ी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, गुजराती, बंगाली, उड़िया और भारत की अन्य भाषाओं में प्रकाशित होते हैं. दिसंबर 2014 में कर्मचारियों के वेतन को लेकर गीता प्रेस को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद काम फिर से शुरू हो गया था. 

justdial

आज हम आपको गीता प्रेस (Gita Press) द्वारा प्रकाशित प्रमुख धार्मिक किताबों के बारे में ही बताने जा रहे हैं-

1- भगवत गीता

श्रीमद भगवत गीता (Shrimad Bhagvad Gita) जिसे अक्सर ‘गीता’ के रूप में संदर्भित किया जाता है, एक 700-श्लोक वाला हिंदू ग्रंथ है जो महाकाव्य ‘महाभारत’ का हिस्सा है. इसे हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में से एक माना जाता है. गीता प्रेस ने इसे संस्कृत, हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा कई अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित किया है. 

theprint

2- महाभारत

महाभारत (Mahabharata) प्राचीन भारत के दो प्रमुख संस्कृत महाकाव्यों में से एक है, दूसरा रामायण है. ये कुरुक्षेत्र में पांडवों और कौरवों के बीच उनके उत्तराधिकार को लेकर हुए युद्ध का वर्णन करता है. गीता प्रेस ने ये महाकाव्य संस्कृत, हिंदी और अंग्रेज़ी के अलावा कई अन्य भाषाओं में भी प्रकाशित किया है. 

vedrishi

3- रामचरितमानस

गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित श्री रामचरितमानस (Shri Ramcharitmanas) तुलसीदास जी द्वारा लिखी गई है. ये किताब हिंदी और संस्कृत में उपलब्ध है. साल 2002 में इसका तेलुगु वर्ज़न भी रिलीज़ किया गया था. 

deccanchronicle

4- रामायण

गीता प्रेस का एक और प्रकाशन तुलसीदास जी द्वारा रचित रामायण (Ramayana) थी. ये प्राचीन भारत का एक प्रमुख संस्कृत महाकाव्य है. रामायण हिंदू धर्म की दो महत्वपूर्ण किंवदंतियों में से एक है, जिसे इतिहास के रूप में जाना जाता है, दूसरा ‘महाभारत’ है.

kapot

5- पुराण

पुराण (Puranas) भारतीय साहित्य की एक विस्तृत विद्या है, जिसमें कई तरह के विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला है. पुराणों को उनकी कहानियों में चित्रित प्रतीकात्मकता की जटिल परतों के लिए भी जाना जाता है. गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित पुराण मूल रूप से संस्कृत और अन्य भारतीय भाषाओं में रचित हैं. इस दौरान कई ग्रंथों के नाम विष्णु, शिव और ब्रह्मा जैसे प्रमुख हिंदू देवताओं के नाम पर रखा गया है. 

religionworld

6- उपनिषद

उपनिषद (Upanishads) प्राचीन वैदिक संस्कृत ग्रंथ हैं जिन्हें हिंदू फ़िलॉसफ़ी का आधार माना जाता है. उपनिषद को वेदों का सबसे प्राचीन स्वरूप माना जाता है. गीता प्रेस द्वारा प्रकाशित ‘उपनिषद’ में आपको विविध विचारों, विभिन्न तरीकों और हिंदू धर्म की परंपराओं की गहरी जानकारी मिल जाएगी. 

amazon

आपको ये भी पसंद आएगा
कोलकाता में मौजूद British Era के Pice Hotels, जहां आज भी मिलता है 3 रुपये में भरपेट भोजन
जब नहीं थीं बर्फ़ की मशीनें, उस ज़माने में ड्रिंक्स में कैसे Ice Cubes मिलाते थे राजा-महाराजा?
कहानी युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस की, जो बेख़ौफ़ हाथ में गीता लिए चढ़ गया फांसी की वेदी पर
बाबा रामदेव से पहले इस योग गुरु का था भारत की सत्ता में बोलबाला, इंदिरा गांधी भी थी इनकी अनुयायी
क्या है रायसीना हिल्स का इतिहास, जानिए कैसे लोगों को बेघर कर बनाया गया था वायसराय हाउस
मिलिए दुनिया के सबसे अमीर भारतीय बिज़नेसमैन से, जो मुगलों और अंग्रेज़ों को देता था लोन