क्या कभी आपने सोचा है कि सदियों पहले लोगों की लाइफ़स्टाइल कैसी थी? वो दौर कैसा था जब लोगों के पास ज़िंदगी जीने के लिये सीमित साधन नहीं थे. लोग कैसे कमाते थे और क्या खाते थे? इस सवाल से एक बड़ा सवाल याद आया. वो ये कि जब दुनिया में रुपये या डॉलर जैसी चीज़ नहीं थी, तो लोगों को सैलरी कैसे मिलती थी. चलिये आज इस सवाल का जवाब भी जान लेते हैं.
जब रुपये और डॉलर नहीं थे, तो लोगों को सैलरी में क्या मिलता था?
रिपोर्ट्स के अनुसार, दुनिया की सबसे पहली तनख़्वाह 10,000 BCE और 6,000 BCE के बीच बांटी गई थी. ज़ाहिर सी बात है तब दुनिया में डॉलर और रुपया नहीं था. इसलिये लोगों को मेहनताने के रूप में नमक, Cheese और कौड़ी दी जाती थीं.
नमक
ऐसा माना जाता है कि प्राचीनकाल में नौकरी करने वालों के लिये कोई सिस्टम नहीं बनाया गया था. यही वजह है कि सैलरी जैसी कोई चीज़ भी नहीं थी. इसलिये उस दौर में लोगों को सैलरी के नाम पर नमक पकड़ा दिया जाता था. रोमन साम्राज्य के लिये काम करने वाले सैनिकों को सैलरी में मुठ्ठी भर नमक देते थे. हालांकि, ऐसा भी नहीं था कि सारे सैनिकों को ही नमक मिल जाता था. जो सैनिक मेहनत से काम करते थे, उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार नमक दे दिया जाता था.
Parmesan Cheese
मध्यकाल के दौरान सैलरी के रूप में लोगों को Parmesan Cheese देने का चलन था. यही नहीं, इटली में आज भी अगर किसी किसान को लोन के लिये आवेदन करना हो, तो वो Parmesan Cheese (परमेशियन चीज़) देकर CredEm बैंक से लोन ले सकता है. कहते हैं कि इस बैंक में किसानों द्वारा तैयार किया गया, मिलियन-यूरो के बराबर Cheese रखा हुआ है. जिसकी सुरक्षा के लिये हाई सेक्योरिटी भी तैनात रहती है.
कौड़ियां
नमक और Cheese के बाद सैलरी के रूप में कौड़ियां भी बांटी गई हैं. इतिहासकारों के अनुसार, 20वीं सदी के आस-पास अफ़्रीका में सैलरी के तौर पर कर्मचारियों को कौड़ियां मिलती थीं. ऑस्ट्रेलिया, एशिया और अमेरिका में सैलरी में कौड़ियां ही बंटती थीं. कहते हैं दुनिया के सभी देशों के मुक़ाबले अफ़्रीका में लंबे समय तक तनख़्वाह में कौड़ियां बांटी गईं हैं.
इतिहास के बारे में जानकर लगता है कि लोगों ने कैसे-कैसे दिन-दिन जीयें. वरना आज के टाइम में तो हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते.