भारत विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं का देश है. यहां का समाज विभिन्न रीति-रिवाज़ों का पालन करता है, जो सदियों से चले आ रहे हैं. इसके अलावा, यहां कुछ अजीबो-ग़रीब मान्यताओं का भी चलन है, जिनके बारे में जानकर आप सोच में भी पड़ सकते हैं. एक ऐसी मान्यता के बारे में हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं, जो एक मीनार से जुड़ी है. कहते हैं किस इस मीनार पर भाई-बहन एक साथ चढ़कर ऊपर नहीं जा सकते हैं. आइये, जानते हैं क्या है पूरी कहानी.
उत्तर प्रदेश की ‘लंका मीनार’
यह अजीबो-गऱीब मान्यता जुड़ी है लंका मीनार से, जो रावण को समर्पित है. यही मीनार उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में स्थित है. ‘लंका मीनार’ के अंदर रावण के पूरे परिवार को चित्रों के ज़रिए दिखाया गया है. हालांकि, यह कोई बड़ी मीनार नहीं है, लेकिन अपनी अजीब मान्यता के चलते अब यह एक टूरिस्ट स्पॉट बन चुकी है. इसे देखने के लिए दूर-दूर लोग आते हैं.
क्यों कराया गया इस मीनार का निर्माण?
इस मीनार के निर्माण की कहानी बड़ी दिलचस्प है. जानकारी के अनुसार, यह मीनार 1857 में, मथुरा प्रसाद नामक एक व्यक्ति द्वारा बनवाई गई थी. कहते हैं कि मथुरा प्रसाद ने रावण की याद में इस मीनार का निर्माण करवाया था. इसलिए, इसका नाम ‘लंका मीनार’ रखा गया.
रावण का किरदार
मथुरा प्रसाद एक कलाकार थे. वे रामलीला में रावण का किरदार निभाया करते हैं. कहते हैं कि रावण का किरदार करते-करते उनके मन-मस्तिष्क में ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने रावण की याद में एक मीनार ही बनवा डाली. मथुरा प्रसाद रामलीला का आयोजन कराते थे और उनकी रामलीला में हिंदू-मुस्लिम दोनों धर्मों के कलाकार साथ-साथ काम करते थे.
कितना वक़्त लगा बनने में?
स्थानीय लोगों के अनुसार, इस ‘लंका मीनार’ को बनने में 20 वर्ष का वक़्त लगा था. वहीं, जानकर हैरानी होगी कि इस अद्भुत संरचना को बनाने में सीप, उड़द व कौड़ियों का भी इस्तेमाल किया गया है. वहीं, माना जाता है कि इस मीनार को बनाने में उस वक़्त 1 लाख 75 हज़ार रुपए ख़र्च किए गए थे.
180 फ़ीट लंबी नाग देवता की मूर्ति
यहां कुंभकरण और मेघनाथ की विशाल मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं. कुंभकरण की मूर्ति 100 फ़ीट ऊंची है, जबकि मेघनाथ की मूर्ति 65 फ़ीट की है. वहीं, यहां आप भगवान शिव के साथ-साथ चित्रगुप्त की मूर्ति भी देख पाएंगे.
नहीं जा सकते भाई-बहन एक साथ
‘लंका मीनार’ को लेकर एक अजीबो-ग़रीब मान्यता यह है इस पर भाई-बहन एक साथ ऊपर नहीं जा सकते हैं. दरअसल, मीनार के ऊपर जाने के लिए 7 परिक्रमा करनी होती हैं, जो भाई-बहन द्वारा नहीं किया जा सकता है. यही वजह है कि मीनार के ऊपर एक साथ भाई-बहन का जाना वर्जित है. इसे एक अंधविश्वास कहा जा सकता है, लेकिन स्थानीय लोग वर्षों से इस मान्यता का पालन करते आए हैं.