भारत का वो महान राजा, जिसने बिना किसी ख़ून-ख़राबे के 500 हाथियों से जीता था अफ़ग़ानिस्तान

Abhay Sinha

अफ़ग़ानिस्तान (Afghanistan) इस वक़्त पूरी दुनिया का चर्चा का केंद्र बना हुआ है. तालिबान आज सत्ता का चेहरा बन चुका है. अफ़गान भूमि पर दो दशक की लंबी लड़ाई के बावजूद अमेरिका को कुछ हासिल न हुआ. मगर आज हम एक ऐसे भारतीय राजा के बारे में बताएंगे, जिसने बिना ख़ून-ख़राबे के ही अफ़ग़ानिस्तान को भारत में मिला लिया था.

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वो राजा कोई और नहीं, बल्कि चाणक्य को शिष्य चंद्रगुप्त मौर्य (Chandragupta Maurya) था. जिन्होंने मगध जैसे बड़े साम्राज्य को परास्त कर मौर्य सम्राज्य (Mauryan Empire) की नींव रखी थी. 

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सीमा विस्तार को लेकर ग्रीक और मौर्य साम्राज्य आए आमने-सामने

मैसेडोनिया के सम्राट सिकंदर (अलेक्जेंडर) द्वारा 326 ईसा पूर्व में भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में एक अभियान शुरू करने के लगभग 20 साल बाद, ये क्षेत्र फिर से एक और आक्रमण का सामना करने के कगार पर था. इस बार सिकंदर का एक सेनापति सेल्यूकस निकेटर (Seleucus Nicator) अभियान का नेतृत्व कर रहा था. 

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दरअसल, चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त ने सिकंदर द्वारा शासित क्षेत्र के बड़े हिस्से को जीत लिया था.  ऐसे में सेल्यूकस ने अपने साम्राज्य की सीमा की रक्षा के लिए पूर्व की ओर अभियान चलाया. दोनों की सेनाएं आमने-सामने हो गईं. 

बिना ख़ून खराबे के चंद्रगुप्त को मिला अफ़गानिस्तान

इस दौरान भारतीय भूमि पर कुछ अलग हुआ. ऐसे समय में जब सैन्य अभियानों के माध्यम से साम्राज्यों का विस्तार एक सामान्य घटना थी, उस वक़्त इस युद्ध का हल कूटनीतिक तरीके से निकाला गया. हालांकि, ये निश्चित है कि सेल्यूकस ने भारत पर आक्रमण करने के लिए सिंधु नदी को पार किया था. मगर दोनों शासकों की सेनाओं ने युद्ध के मैदान में एक-दूसरे का सामना किया था या नहीं, ये अभी भी इतिहासकारों द्वारा बहस का विषय है.

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बहरहाल, इस युद्ध को एक संधि के तहत ख़त्म किया गया. इसके तहत 305 ईसा पूर्व में सेल्युकस ने चंद्रगुप्त मौर्य को अफगानिस्तान सौंप दिया था. साथ ही, ग्रीक साम्राज्य ने कंधार के अलावा अफ़गानिस्तान के दूसरे इलाकों पर चंद्रगुप्त का शासन स्‍वीकार कर लिया था.

चंद्रगुप्त ने बदले में सेल्यूकस को दिए 500 हाथी

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इसके बदले चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 हाथी, मुलाज़िम, कुछ सामान और अनाज दिया. कहा ये भी जाता है कि दोनों राज्यों के बीच वैवाहिक संबंध भी स्थापित हुए थे. इतिहासकारों का तर्क है कि चंद्रगुप्त ने संभवतः सेल्यूकस की बेटी से शादी की थी. हालांकि, शादी के बारे में विवरण दुर्लभ है. कुछ भी हो, मगर इस संधि ने चंद्रगुप्त मौर्य और उनके साम्राज्य के लिए भारत के उत्तर-पश्चिमी गलियारे में विस्तार का मार्ग खोला.

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इसके बाद मौर्य वंश और प्राचीन ग्रीक साम्राज्य के मध्य जो राजनयिक संबंध बने, वो अशोक महान के शासनकाल के दौरान भी क़ायम रहे. बता दें, यूनान के राजदूत मेगास्थनीज ने चंद्रगुप्त के कार्यकाल पर किताब ‘इंडिका’ लिखी है, जो बहुज लोकप्रिय हुई थी. इस किताब में उस समय की सारी जानकारी मौजूद है.

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