Dussehra Special: श्रीराम से पहले इन 4 योद्धाओं ने भी चकनाचूर किया था रावण का अहंकार

Akanksha Tiwari

भगवान ‘राम’ ने ‘रावण’ का वध कर ‘अहंकार’ और ‘बुराई’ का अंत किया था. जिससे पता चलता है कि बुराई कितनी ही बड़ी क्यों न हो, एक दिन उसका अंत तय है. कहते हैं कि रावण जितना बुद्धिमानी थ, उतना ही अहंकारी भी. उसके इसी अहंकार को नष्ट करने के लिये भगवान राम का जन्म हुआ था. हांलाकि, श्रीराम से पहले भी चार योद्धा युद्ध के मैदान में रावण को हरा चुके थे.  

अगर आपको इसकी जानकारी नहीं है, तो चलिये आज इन योद्धाओं के बारे में भी जान लेते हैं.  

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1. भगवान शिव  

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अहंकारी रावण भगवान शिव का भक्त था और उसे शिव से कई वरदान भी मिले हुए थे. एक बार रावण ने भगवान शिव का ध्यान किया, लेकिन भगवान प्रकट नहीं हुए. ग़ुस्से में आकर वो कैलाश पर्वत पहुंचा और उसे उठाने की कोशिश करने लगा. ताकि भगवान का ध्यान भंग हो और वो उसके सामने आ जाये. पर शिव तो शिव हैं, उन्होंने भी अपना अंगूठा रख पर्वत का वज़न दोगुना कर दिया. अंत में जाकर रावण ने अपनी हार स्वीकार की और शिवजी से माफ़ी भी मांगी. रावण को पश्चताप की आग में जलता देख भगवान ने भी उसे क्षमा कर दिया था.  

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 2. बाली 

वानरों के राजा बाली को वरदान मिला हुआ था कि उससे जो भी युद्ध लड़ने की कोशिश करेगा, उसकी शक्तियां आधी हो जाएंगी. कहते हैं कि एक बार पूजा के दौरान रावण ने बाली को युद्ध के लिये ललकार दिया. रावण की इस हरक़त पर बाली को क्रोध आ गया. इसके बाद बाली ने रावण को उठा कर बाजुओं में दबा लिया और समुद्र के चारों ओर परिक्रमा करने लगा. बाली के क्रोध को देख अंत में रावण को उससे माफ़ी मांगनी पड़ी.  

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3. सहस्रबाहु 

सहस्त्रबाहु अर्जुन कार्तवीर्य और रानी कौशिकी के पुत्र थे. उन्हें ऋिषि दत्तात्रेय से हज़ार भुजाओं का वरदान प्राप्त था. धार्मिक कथाओं के मुताबिक, एक बार सहस्त्रबा ने अपनी रानियों को ख़ुश करने के लिये नर्मदा नदी का प्रवाह रोक दिया. इस दौरान नदी के दूसरी ओर रावण भगवान शिव की पूजा में बैठा था. नदी का जल प्रवाह रुकता देख रावण ग़ुस्से में आ गया और सहस्त्रबा से लड़ने पहुंच गया. रावण को हराने के लिये सहस्त्रबा ने नर्मदा का प्रवाह छोड़ रावण की सेना को पानी में बहा दिया. इसके साथ ही उन्होंने रावण को भी बंदी बना लिया था.  

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4. राजा बलि 

पहली बार किष्किन्धा के राजा बलि ने ही रावण को हराया था. रावण को ख़ुद की ताक़त पर काफ़ी गु़रुर था. इसी अहंकार के चलते रावण पाताल लोग के राजा बलि ये युद्ध करने पहुंच गया. इस दौरान राजा उनके महल में छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलने में मस्त थे. रावण कुछ करता उससे पहले राजा बलि ने उसे घोड़ों के साथ बांध दिया. इसके बाद रावण चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया.  

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रावण की ये हार हमें बता रही हैं कि कभी इंसान को अपनी ताक़त, बुद्धि या किसी चीज़ पर ग़ुरुर नहीं करना चाहिये. कोई चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, दुनिया में उससे बड़ा शख़्स ज़रूर मौजूद होता है.

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