7 सबसे अजीबो-ग़रीब ऐतिहासिक तथ्य, जिन्हें पढ़कर यक़ीन करना मुश्किल है कि ये वाक़ई सच हैं

Abhay Sinha

इस दुनिया का इतिहास जितना रोचक है, उतना ही अजीब भी. कई ऐसी घटनाएं हैं, जो अपने वक़्त में जितनी चौंकाने वाली थीं, उससे कहीं ज़्यादा ये आज हमें आश्चर्य में डालती हैं. वहीं, कुछ घटनाओं पर तो यक़ीन करना तक मुश्किल होता है. मगर हक़ीक़त यही है कि वो सच हैं. 

आज हम कुछ ऐसे ही अजीब ऐतिहासिक तथ्यों के बारे में आपको जानकारी देंगे, जिनको पढ़कर आप सोच में पड़ जाएंगे.

1. अल्बर्ट आइंस्टीन को मिला था इज़रायल के राष्ट्रपति बनने का ऑफ़र.

अल्बर्ट आइंस्टीन यहूदी थे लेकिन इज़रायल के नागरिक नहीं थे. इसके बावजूद, उन्हें 1952 में राष्ट्रपति पद की पेशकश की गई, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. उन्होंंने इस ऑफ़र के लिए आभार जताते हुए कहा था कि उनके अंदर सरकारी दायित्‍वों को नि‍भाने हेतु आवश्‍यक गुण व अनुभव नहीं हैं. इसलिए वो ये पद स्वीकार नहीं कर सकते हैं 

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2. राजा तूतनखामेन के माता-पिता भाई-बहन थे.

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तूतनखामेन लगभग 1332 ईसा जब राजा बना था. उस वक़्त उसकी उम्र महज़ 9 साल थी. साथ ही, वो ज़्यादा वक़्त तक राज नहीं कर पाया और काफ़ी कम उम्र (क़रीब 18 साल) में ही मर भी गया था. वर्चुअल ऑटोप्सी के ज़रिए पता चला है कि राजा तूतनखामेन की मौत किशोरावस्‍था में जेनेटिक कमज़ोरी के कारण हो गई ‌‌थी. क्योंकि एक भाई-बहन की औलाद होने के कारण उनका शरीर पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाया था और उनके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कम थी. 

3. विश्व के सबसे बड़े तानाशाहों को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया था.

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एडॉल्फ हिटलर, मुसोलिनी और स्टालिन जैसे तानाशाहों को भी नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया जा चुका है. हिटलर को 1939 में स्वीडिश संसद के सदस्य द्वारा नामित किया गया था. कुछ साल बाद, सोवियत नेता जोसेफ स्टालिन को 1945 में और फिर 1948 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था. वहीं, इटली के फ़ासीवादी तानाशाह मुसोलिनी को 1935 में दो अलग-अलग लोगों ने नॉमिनेट किया. इनमें से एक जर्मन और दूसरा फ़्रांस का प्रोफ़ेसर था. 

4. क्लियोपैट्रा मिस्र की नहीं थी.

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विश्व के इतिहास में जब-जब महिला शासकों की बात होती है मिस्र की शासक क्लियोपैट्रा का नंबर सबसे ऊपर आता है. हालांकि, ये बात चौंकाने वाली है कि वो मूल रूप से मिस्र की नहीं थी. वो 323 ईसा पूर्व में सिकंदर महान की मृत्यु के समय से लगभग 30 ईसा पूर्व तक मिस्र पर शासन करने वाले मैसेडोनियन यूनानी राजवंश की आखिरी रानी थी. क्लियोपेट्रा अपने परिवार में अकेली थी जिसने मिस्र (कॉप्टिक) भाषा बोलना सीखा था.

5. सिगरेट पीने के अधिकार के लिए महिलाओं ने किया था मार्च.

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इतिहास में बहुत से मौकों पर महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए पुरुषवादी समाज के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला है. आज भी ये लड़ाई जारी है. लेकिन 1929 में बड़ा ही दिलचस्प आंदोलन हुआ था, जिसमें महिलाओं ने सिगरेट पीने के अधिकार के लिए मार्च किया था. हालांकि, ये आंदोलन कम पीआर स्टंट ज़्यादा था. दरअसल, ये सारा नाटक एडवर्ड बर्नेज़ का रचा हुआ था, जिन्होंने उस वक़्त एक अमेरिकन टोबैको कंपनी को फ़ायदा पहुंचाने के लिए ये सब कुछ किया था. 

6. इतिहास की सबसे लंबी वर्कशॉप.

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इतिहास की सबसे लंबी वर्कशॉप क़रीब 2 महीने तक चली थी. इसे 1955 में एक प्रमुख कंप्यूटर विशेषज्ञ, जॉन मैकार्थी ने आयोजित किया था. जिसमें उस समय के प्रमुख कंप्यूटर वैज्ञानिक शामिल हुए थे. इसका मकसद कंप्यूटरों में इंसानों जैसी बुद्धि विकसित करना था. उन्हें लगता था कि इस काम के लिए 2 महीने पर्याप्त हैं. इस वर्कशॉप ने आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में एक गहन अनुसंधान की शुरुआत की थी.

7. बिल्लियोंं की ख़िलाफ़ जंग.

तेरहवीं शताब्दी में, पोप ग्रेगरी IX ने मूल रूप से दुनिया की बिल्लियों के ख़िलाफ़ युद्ध की घोषणा की. ग्रेगरी ने जोर देकर कहा कि विशेष रूप से काली बिल्लियाँ शैतान की पूजा से जुड़ी थीं, जिसके कारण उन्हें पूरे यूरोप से ख़त्म कर देना चाहिए. माना जाता है कि समय के साथ बिल्लियों की कमी के चलते चूहों की आबादी बहुत बढ़ गई, जिसके कारण कुछ दशकों बाद बुबोनिक प्लेग फैल गया था.

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