बताइए इस फ़िल्म का नाम जिसमें राज कुमार और नाना पाटेकर थे आमने-सामने, थिएटर्स में कमाए थे 120 करोड़

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देशभक्ति एक ऐसा एहसास है, जिसे दुनिया का ज़्यादातर हर एक इंसान अपने अंदर महसूस करता है. ये शब्द किसी भी चीज़ में अगर जुड़ जाए, तो उसके प्रति सम्मान ख़ुद-ब-ख़ुद बढ़ जाता है. फिर चाहे वो कोई प्रतीक हो, दिन हो, गाना हो या कोई फ़िल्म. लोग इन सब चीज़ों को बराबरी का प्यार और सम्मान देते हैं. हिंदी सिनेमा में समय-समय पर ऐसी कई फ़िल्में बनीं, जिन्हें लोगों ने देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत कर दिया.

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यहां हम जिस फ़िल्म की बात कर रहे हैं, वो भी एक देशभक्ति पर आधारित फ़िल्म है. इसे 29 जनवरी 1993 को रिलीज़ किया गया था और इसे मेहुल कुमार (Mehul Kumar) ने डायरेक्ट किया था. इस फ़िल्म में राज कुमार और नाना पाटेकर के साथ वर्षा उसगांवकर, हरीश कुमार और ममता कुलकर्णी भी लीड रोल में थे. क्या पहचान पाए?

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जब आमने-सामने थे दो मनमौजी कलाकार

इस फ़िल्म में दो मनमौजी कलाकार राज कुमार (Raj Kumar) और नाना पाटेकर (Nana Patekar) लीड रोल में थे. इन दोनों को साथ लाना डायरेक्टर के लिए बड़ा मुश्किल भरा काम था. उस दौरान राज कुमार पुलिस की नौकरी की छोड़ एक्टिंग की दुनिया में हाथ आज़माने के लिए निकले थे. उनके साथ के कोस्टार्स को उनके काम करने का रवैया अक्सर परेशान करता था. वहीं, नाना पाटेकर भी अपनी राय बेबाकी से रखने वाले एक्टर थे. बताया जाता है कि फ़िल्म की शूटिंग के दौरान दोनों कलाकार सिर्फ़ सीन शुरू होने से पहले आमने-सामने आते थे. सीन ओके होते ही दोनों अलग बैठ जाते थे और उनमें बातचीत नहीं होती थी.

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क्या थी फ़िल्म की कहानी?

ये एक प्रेम, युद्ध और देशभक्ति की कहानी है, जिसमें आज के भारत को उसके असली रंग में दिखाया गया है. इसमें प्रलय नाथ गुंडास्वामी एक विदेशी एजेंट होता है, जिसने देश में आतंकवाद के बीज बोए होते हैं. वो चाहता है कि पूरा देश तबाह हो जाए और उस पर विदेशियों का राज हो. कुछ भ्रष्ट नेता और पुलिस अफ़सर उसके इस बुरे इरादों को सपोर्ट करते हैं. जो भी उसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की कोशिश करता है, उसे तुरंत दबा दिया जाता है. इस आतंकवाद को रोकने के सभी प्रयास करने के बाद, आख़िरकार सरकार एक साहसी मिलिट्री अफ़सर ब्रिगेडियर सूर्य देव सिंह और एक पुलिस अफ़सर शिवाजी राव वागले को इस मिशन को पूरा करने के लिए नियुक्त करती है. वो दोनों साथ में प्रलयनाथ का साम्राज्य मिटा देते हैं. लेकिन वो उसके एक ख़तरनाक हथियार से वाकिफ़ नहीं होते हैं, जो उनके देश को ख़त्म कर सकता है. वो हथियार क्या है? क्या प्रलय नाथ अपने इरादों में क़ामयाब हो जाता है? क्या ये दोनों अफ़सर देश को बचा पाएंगे? ये तमाम सवाल तो फ़िल्म देख के ही पता चल पाएंगे.

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इस फ़िल्म ने की थी कितनी कमाई?

चलिए ज़्यादा सस्पेंस में ना रखते हुए इस फ़िल्म का नाम बता ही देते हैं. दरअसल, इस मूवी का नाम है तिरंगा. मेहुल कुमार की इस फ़िल्म ने ख़ूब कमाई की थी. इस फ़िल्म ने 120 करोड़ रुपए की कमाई की थी. इसका बजट 3 करोड़ रुपए था. उस दौर में ये मूवी सुपर-डुपर हिट गई थी.

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तो क्या आपने अब तक ये फ़िल्म देखी?

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