गुलज़ार साहब ने कलम के ज़रिये कुछ यूं बयां किया मज़दूरों का दर्द कि दिल छलनी हो गया

Akanksha Tiwari

लॉकडाउन का बुरा असर सभी पर हुआ है, लेकिन इस दौरान सबसे ज़्यादा तकलीफ़ प्रवासी मज़दूरों ने झेली है. रहने के लिये छत नहीं, खाने के लिये पैसे नहीं. बेचारे मज़ूदर ऐसे में जाएं भी तो कहां. इसीलिये बोरिया-बिस्तर उठाए घर की ओर पैदल ही निकल दिए. कई बार इन्हें लेकर ऐसी ख़बरें भी पढ़ने को मिली, जिनसे मन विचलित हो गया. इस दौरान कुछ लोगों ने मज़दूरों की मदद को हाथ आगे बढ़ाया. कई बॉलीवुड सेलेब्स भी मज़ूदरों की आवाज़ बन कर आगे आए. 

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अब बॉलीवुड के महान लेखक गुलज़ार ने भी अपनी कलम के ज़रिये मज़ूदरों का दर्द बयां किया है. गुलज़ार ने इस कविता को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर भी शेयर किया. मज़दूरों पर लिखी गई गुलज़ार की ये कविता हर दिल छू रही है. मौजूदा हालत में मज़ूदरों की स्थिति बयां करते हुए गुलज़ार लिखते हैं, 

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महामारी लगी थी 

घरों को भाग लिए थे सभी मज़दूर, कारीगर. 
मशीनें बंद होने लग गई थीं शहर की सारी 
उन्हीं से हाथ पाओं चलते रहते थे 
वगर्ना ज़िन्दगी तो गांव ही में बो के आए थे.  
वो एकड़ और दो एकड़ ज़मीं, और पांच एकड़ 
कटाई और बुआई सब वहीं तो थी  

गुलज़ार साहब की पूरी कविता ये रही 

गुलज़ार की साहब की कविता सुनने के बाद ऐसा लगा, जैसे मानों उन्होंने मज़दूरों की तकलीफ़ को काफ़ी करीब से जाना हो. लॉकडाउन के दौरान अगर सरकारें मज़दूरों के लिये कड़े कदम उठाती, तो शायद उन्हें कभी मीलों की यात्रा पैदल और भूखे रह कर तय नहीं करनी पड़ती. हाल ही में अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने भी मज़दूरों के लिए भावनात्मक पोस्ट शेयर की थी. 

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