हिंदी सिनेमा जगत को 70 के दशक में राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, श्रीदेवी, डिंपल कपाड़िया, ऋषि कपूर सरीखे कई बड़े स्टार्स मिले. इन्हीं में से एक दीपक पराशर (Deepak Parashar) भी थे, लेकिन दीपक जितने टैलेंटेड थे उन्हें वो मुक़ाम मिल नहीं पाया. दीपक पराशर को आज भी ‘इंसाफ़ का तराज़ू’, ‘आप तो ऐसे न थे’, ‘निक़ाह’, ‘शराबी’, ‘अरमान’, ‘पुरानी हवेली‘, ‘मक़सद’ और ‘तवायफ़‘ जैसी फ़िल्मों के लिए जाना जाता है. लेकिन आज वो बॉलीवुड से कोसों हैं.
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‘कॉलेज स्टूडेंट’ से बने ‘मिस्टर दिल्ली’
बात सन 1976 की है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे दीपक पराशर अपने दोस्तों के साथ कॉफ़ी पीने जा रहा था. तभी उनकी नज़र लड़कियों की एक लंबी लाइन पर पड़ी. दोस्तों से पूछने पर पता चला कि लाइन ‘मिस इंडिया’ कंटेस्टेंट्स की है. इसी के बगल में लड़कों की भी एक लंबी लाइन लगी थी, जो ‘Mr. Delhi Personality Contest’ के लिए थी. इस लाइन में एक से बढ़कर एक हैंडसम अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे.
दीपक के दोस्तों ने यूं ही मज़ाक में कह दिया की ‘दीपक बाबू आप दिखने में हैंडसम हैं और पर्सनालिटी भी आपकी ज़बरदस्त हैं. अगर हिम्मत है तो ये ‘मिस्टर दिल्ली कॉन्टेस्ट’ जीतकर दिखाओ. बदले में हम तुम्हें मुहमांगा इनाम देंगे’. ये सुन दीपक ने झट से कॉन्टेस्ट का फ़ॉर्म भरा और लाइन में लग गये. क़रीब 2 से 3 घंटे तक चले इस प्रोग्राम के अंत में दीपक टॉप 3 कंटेस्टेंट्स के साथ मंच पर खड़े थे. इसके बाद घोषणा हुई और दीपक पराशर Mr. Delhi बन गये. इस दौरान पूनम ढिल्लो ‘मिस दिल्ली’ चुनी गईं.
‘मिस्टर इंडिया’ बनने की दिलचस्प कहानी
मिस्टर दिल्ली (Mr. Delhi) कॉन्टेस्ट जीतने के बाद आयोजकों ने दीपक पराशर को ट्रॉफ़ी के साथ-साथ मुंबई तक की एक हवाई जहाज़ की टिकिट भी दी. आयोजकों ने कहा, आपको कल सुबह 6 बजे दिल्ली के पालम एयरपोर्ट से मुंबई के लिए निकलना होगा. दीपक जब मुंबई पहुंचे तो पता चला कि अब उन्हें मिस्टर इंडिया (Mr. India) कॉन्टेस्ट में हिस्सा लेना है. इसके बाद उन्होंने मिस्टर इंडिया कॉन्टेस्ट में हिस्सा लिया और देश को दीपक पराशर के रूप में अपना पहला ‘मिस्टर इंडिया’ मिला. इस दौरान नफ़ीसा अली ‘मिस इंडिया’ चुनी गईं.
मिस्टर इंडिया प्रतियोगिता जीतने के बाद दीपक पराशर अपने कॉलेज में ही नहीं, बल्कि देशभर में मशहूर हो गये. इस बीच उन्हें मॉडलिंग के ऑफ़र्स भी आने लगे. उस दौर में वो ‘विमल सूटिंग’ समेत अन्य कई ब्रांड्स का फेस बन गए थे. अब दीपक फ़िल्मों में काम करना चाहते थे. शुरुआती संघर्ष के बाद फ़िल्म इंडस्ट्री में भी उनकी ख़ूबसूरत पर्सनालिटी के चर्चे होने लगे और उनके पास मुंबई के कई बड़े निर्माता-निर्देशकों के कॉल भी आने लगे. इस बीच 4 साल बीत गए.
इन फ़िल्मों में किया काम
आख़िरकार साल 1980 में बी.आर. चोपड़ा ने उन्हें ‘इंसाफ़ का तराज़ू’ फ़िल्म के लिए साइन कर लिया. इसी फ़िल्म से उन्होंने बॉलीवुड में बतौर एक्टर डेब्यू किया. इसके बाद आप तो ऐसे ना थे (1980), प्यार की मंजिल (1981), श्रद्धांजलि (1981), अरमान (1981), पत्थर की लेकर (1982), अपना बना लो (1982), इंसान बना शैतान (1992), आवाम (1987), पुरानी हवेली (1989) और वक्त के शहज़ादे (1982) जैसी फ़िल्मों में भी अभिनय किया. लेकिन साल 1982 में आई ‘निकाह’ फ़िल्म ने उन्हें स्टार बना दिया.
‘निकाह’ फ़िल्म ने बनाया स्टार
दरअसल, साल 1982 में बी.आर. चोपड़ा द्वारा निर्देशित ‘निकाह’ फ़िल्म से पाकिस्तानी एक्ट्रेस सलमा आगा (Salma Agha) के साथ दीपक पराशर (Deepak Parashar) और राज बब्बर (Raj Babbar) भी लीड रोल में नज़र आये थे. फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर सुपरहिट साबित हुई. इसके साथ ही फ़िल्म के कलाकार सलमा आगा के साथ ही दीपक पराशर भी काफ़ी मशहूर हो गए. अब दीपक अपनी ख़ूबसूरती के साथ-साथ अपनी दमदार एक्टिंग के लिए भी पहचाने जाने लगे.
टीवी शोज़ में भी आये नज़र
दीपक पराशर ने इसके बाद तक़रीबन 50 से अधिक बॉलीवुड फ़िल्मों में काम किया. साल 2007 में आई ‘जैसे करनी वैसी भरनी’ उनकी आख़िरी बॉलीवुड फ़िल्म थी. फ़िल्मों के साथ-साथ साल 1993 में उन्होंने ‘आंधियां’ नाम के धारावाहिक से टीवी पर डेब्यू भी किया था. इसके बाद ‘ज़ी हॉरर शो’, ‘चंद्रकांता’, ‘स्वाभिमान’, ‘कानून’, ‘रिश्ते’, ‘डॉलर बहू’, ‘कहीं तो होगा’, ‘बिग बॉस 1’, ‘चंद्रमुखी’ और ‘नीम नीम शाहद शाहद’ टीवी शो में भी नज़र आये.
अब कहां हैं दीपक पराशर?
आज भी ‘निकाह’ उनकी सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म है. जबकि ‘इंसाफ़ का तराज़ू’ फ़िल्म में उनके द्वारा निभाई गई सर्वश्रेष्ठ सहायक भूमिकाओं में से एक है. दीपक पराशर अब क़रीब 70 साल के हो चुके हैं. लुक भी काफ़ी बदल चुका है. वो टीवी शो के अलावा सोशल वर्क भी करते हैं. दीपक सोशल मीडिया पर काफ़ी एक्टिव रहते हैं.
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