बॉलीवुड के सबसे ख़ास, मंझे हुए व प्रतिभावान अभिनेताओं में मनोज बाजपेयी की गिनती होती है. उन्होंने सत्या, राजनीति, गैंग्स ऑफ़ वासेपुर-1 जैसी तमाम शानदर फ़िल्में दर्शकों को दी हैं. वहीं, फ़िल्मों में उनके द्वारा निभाए गए कुछ किरदारों के नाम भी काफ़ी फ़ेमस हुए, जैसे भीखू म्हात्रे (सत्या) और सरदार ख़ान (गैंग्स ऑफ़ वासेपुर-1). एक्टर मनोज बाजपेयी की सबसे ख़ास बात ये है कि वो काफ़ी साधारण व्यक्तित्व के हैं और काफ़ी डाउन टू अर्थ हैं यानी ज़मीन से जुड़े इंसान.
आइये, अब विस्तार से जानते हैं क्यों Manoj Bajpayee अपना नाम बदलना चाहते थे.
मनोज बाजपेयी का जन्म 23 अप्रैल 1969 को बिहार के नरकटियागंज के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनके पिता एक किसान थे और माता गृहणी. मनोज बचपन से ही एक एक्टर बनना चाहते थे. यही वजह थी कि वो 17 साल की उम्र में बिहार से निकलकर दिल्ली आ गए थे. वहीं, उन्होंने कई विफ़लताओं के बाद ‘नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा’ में दाख़िला लिया. क़ॉलेज में पढ़ने के साथ-साथ वो थियेटर भी करने लगे थे.
मिला बड़ा मौक़ा
छोटे-छोटे रोल के बाद 1998 में राम गोपाल वर्मा की फ़िल्म ‘सत्या’ में Manoj Bajpayee को एक बड़ा रोल मिला और ये फ़िल्म उनके आगे के करियर के लिए महत्वपूर्ण बनी. इस फ़िल्म में मनोज बाजपेयी ने एक गैंसस्टर का रोल निभाया था, जिसका नाम था ‘भीखू म्हात्रे’. इस फ़िल्म में उनकी ज़बरदस्त एक्टिंग के लोग कायल हो गए थे. वहीं, इस फ़िल्म का ‘भीखू म्हात्रे’ किरदार भी फ़ेमस हुआ.
अपने नाम से नाख़ुश थे मनोज बाजपेयी
मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) से जुड़ी तमाम जानकारी के बाद अब आपको बताते हैं कि क्यों एक्टर मनोज बाजपेयी अपना नाम बदलवाना चाहते थे. बात ये है कि उनकी बायोग्राफ़ी “कुछ पाने की ज़िद” में पत्रकार पीयूष पांडे ने उनकी ज़िंदगी के कई बड़े राज़ उजागर किए हैं, जिसमें से एक ये है कि वो अपने नाम से काफ़ी समय तक नाख़ुश थे और नाम बदलवाना चाहते थे.
क्या थी नाम से नाख़ुश होने की वजह?
नाम बदलवाने की बात पर कभी मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने कहा था कि, “बिहार में मनोज नाम काफ़ी आम है, जैसे मनोज भुजियावाला, मनोज टायरवाला मनोज मीटवाला और न जाने और क्या-क्या. मैंने सोच लिया था कि नाम बदल लूंगा और रख लूंगा ‘समर’. लेकिन, नाम बदलवाने की बात पर कई लोगों ने कहा कि इसमें काफ़ी क़ानूनी प्रक्रिया है, जैसे इसके लिए हलफ़नामा बनवाना पड़ेगा और भी कई चीज़ें करनी होंगी”.