आज कल रिमिक्स का दौर है. अब हर फ़िल्म में एक न एक पुराने गाने को नया बना कर जनता के सामने परोस दिया जाता है. सिर्फ़ फ़िल्म ही नहीं, बल्कि अब कई पॉपलुर सॉन्ग के वर्ज़न भी आने लगे हैं. कुछ टाइम पहले ही दस बहाने का वर्ज़न 2.0 आया था और अब मसकली 2.0 आ गया है.
इस गाने में सिद्धार्थ मल्होत्रा और तारा सुतारिया की जोड़ी ने लोगों को ख़ूब लुभाने की कोशिश की, पर अफ़सोस लुभा नहीं पाये. एक ओर जहां अभिषेक बच्चन और सोनम कपूर पर फ़िल्माया गया मसकली चेहरे पर हंसी लाता है. वहीं सिद्धार्थ मल्होत्रा और तारा सुतारिया का गाना सुनकर दिमाग़ घूम जाता है. मतलब गाने की पहली लाइन सुनकर ऐसा लगा, जैसे मानो लिंक पर क्लिक करके कोई पाप कर दिया हो.
इस गाने को तुलसी कुमार और सचेत टंडन ने गाया है, वहीं म्यूज़िक तनिष्क बागची ने दिया है. इन सबने सिर्फ़ मसकली वर्ज़न 2.0 ही नहीं बनाया, बल्कि ए.आर. रहमान के ओरिजनल सॉन्ग की बेज्ज़ती की है. पहली बात तो किसी आइकॉनिक सॉन्ग का रिमिक्स बनाना ही पाप है और अगर ये पाप कर ही रहे, तो कम से कम थोड़ा अच्छा ही बना देते. ताकि बंदा एक दफ़ा सुनने की ग़लती तो करे.
एक तरफ़ जहां मोहित चौहान का मसकली सुनकर सब झूम उठते हैं. वहीं इसका दूसरा वर्ज़न सुनकर कानों से ख़ून निकल आये. सिर्फ़ म्यूज़िक ही नहीं, बल्कि गाने का निर्देशन भी काफ़ी बुरा है. यार समझ ही नहीं आ रहा कि डारेक्टर सिद्धार्थ और तारा से कराना क्या चाह रहा था? इस गाने के निर्देशन में आपको कुछ-कुछ आदित्य रॉय कपूर और श्रद्धा कपूर के गाने हम्मा… हम्मा की झलक दिखाई देगी.
गाने से सिर्फ़ जनता ही नाख़ुश नज़र नहीं आई, बल्कि ए. आर रहमान भी कुछ ख़फ़ा लगे. अच्छे ख़ासे गाने की बर्बादी का गुस्सा उनके ट्वीट में दिख रहा है.
कुछ भी करो या पर प्लीज़ अच्छे-अच्छे गानों का रिमिक्स बना कर उनकी बैंड मत बजाओ.
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