RAW Agent Story In Film Khufiya : हाल ही में नेटफ्लिक्स (Netflix) पर रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘खुफ़िया’ (Khufiya) को काफ़ी तारीफ़ें मिल रही हैं. विशाल भारद्वाज (Vishal Bhardwaj) द्वारा डायरेक्ट की गई इस फ़िल्म में तबू (Tabu), वामिक़ा गब्बी (Wamiqa Gabbi) और अली फ़ज़ल (Ali Fazal) हैं. इसकी कहानी जासूसों की दुनिया में प्यार, वफ़ादारी, धोखे और बदले की थीम को एक्सप्लोर करती है. बांग्लादेश की एक्ट्रेस अज़मेरी हक़ बाधों (Azmeri Haque Badhon) ने भी इस फ़िल्म के ज़रिए बॉलीवुड डेब्यू किया है.
सस्पेंस भरी ‘खुफ़िया’ फ़िल्म की कहानी अमर भूषण की एक क़िताब पर आधारित है, जो भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसी RAW के कर्मचारी रवि मोहन (Ravi Mohan) की कहानी बताती है. इनका किरदार अली फ़ज़ल ने फ़िल्म में निभाया है. वो किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में है जो काउंटर एजेंटों को जानकारी देकर तबाही मचा रहा है. पर क्या आप जानते हैं कि एक्टर द्वारा निभाया गया किरदार एक रियल लाइफ़ रॉ एजेंट की लाइफ़ पर आधारित है? आइए आपको इनके बारे में बताते हैं.
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कौन है वो रॉ एजेंट?
अमर भूषण की क़िताब ‘एस्केप टू नाउव्हेयर’ (Escape to Nowhere), जिस पर विशाल भारद्वाज ने अपनी फ़िल्म बनाई है, वो आंशिक रूप से सच्ची घटना पर आधारित है. भूषण ने क़िताब लिखने से पहले BSF इंटेलिजेंस, स्टेट स्पेशल ब्रांच और इंटेलिजेंस ब्यूरो ऑफ़ इंडिया के साथ काम किया. वो भी एक RAW के मेंबर थे. अली फ़ज़ल का फ़िल्म में चित्रण रबिंदर सिंह (Rabinder Singh) नाम के व्यक्ति से मेल खाता है. भारत की फॉरेन इंटेलिजेंस सर्विस को ज्वाइन करने से पहले, रबिंदर सिंह ने मेजर रैंक तक इंडियन आर्मी में काम किया था. रॉ में बतौर जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर होते हुए, उन्हें महत्वपूर्ण चीज़ों की फोटोकॉपी बनाने और उन्हें अमेरिकी विदेशी खुफिया संगठन सीआईए को देने के लिए उजागर किया गया था. ठीक उसी तरह जैसे फज़ल का कैरेक्टर रवि मोहन ‘खुफ़िया’ में करता है. सिंह ने 2004 में भारत छोड़ दिया और नेपाल के रास्ते अमेरिका की यात्रा की.
शरणार्थी के रूप में रहने लगे थे US में
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, उन्होंने अमेरिका में सुरेंदरजीत सिंह के नाम से वहां शरण की मांग की, लेकिन उनके कई सारे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया गया. जब CIA ने उन्हें पैसे देना बंद कर दिया, तब वो US में शरणार्थी के रूप में रहने लगे. साल 2016 में ये ख़बर आई थी मैरीलैंड के पास हुए एक रोड एक्सीडेंट में उनकी मौत हो गई थी.
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फ़िल्म ख़ुफ़िया की कहानी सच्ची घटना से कैसे है अलग?
जब भी किसी चीज़ पर फ़िल्म बनती है, तो ऑडियंस की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए फ़िल्ममेकर्स आमतौर पर कुछ क्रिएटिव लिबर्टीज़ लेते हैं. फ़िल्म में रबिंदर सिंह से रवि मोहन की कहानी थोड़ी अलग है. फ़िल्म में इंटेलिजेंस अफ़सर कृष्णा मेहरा, रवि मोहन को देशभक्त बनने का मौक़ा देती है. जिसके बाद रवि बांग्लादेश के डिफ़ेंस मिनिस्टर मिर्ज़ा को घर पर खाने पर बुलाकर मारने के लिए तैयार हो जाता है. फ़िल्म के एंडिंग में उसकी सुरक्षित भारत वापसी भी हो जाती है. जबकि रबिंदर सिंह के साथ ऐसा नहीं होता.