प्रवासी मज़दूरों के हालात को बयां करती तापसी पन्नू की कविता, हर आंख नम कर देगी

Kratika Nigam

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए देशव्यापी लॉकडाउन किया गया था. इस दौरान कई लोग अपने घरों से दूर दूसरों राज्यों में फंस गए. इनमें सबसे परेशानी का सामना प्रवासी मज़दूरों को करना पड़ रहा है. अपने घर वापस जाने की होड़ में कई प्रवासी मज़दूरों ने अपनी जान गंवा दी. कुछ ने भूख-प्यास के चलते तो कुछ ने थकावट और कुछ की जान एक्सीडेंट में भी चली गई. 

इन्हीं प्रवासी मज़दूरों के दर्द को तापसी पन्नू ने अपनी कविता के ज़रिए ज़ाहिर करने की कोशिश की है. इसे तापसी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है. अपनी आवाज़ देकर इस कविता को तापसी ने प्रवासी शब्द से शुरू किया.

तापसी ने कविता को ट्विटर के साथ-साथ इंस्टाग्राम पर भी शेयर किया है.  

तापसी ने इस वीडियो के कैप्शन में लिखा- ‘ये तस्वीरें कभी हमारे दिमाग़ से नहीं मिट पाएंगी. ये लाइंस हमेशा हमारे अंदर बार-बार चलती रहेंगी. इस माहामारी ने बहुत कुछ बर्बाद कर दिया. हमारे दिल से, आपके दिल तक, उन हज़ारों दिलों के लिए जो शायद हम सब ने तोड़े हैं’….तापसी ने कुछ लाइनों में ही प्रवासी मज़दूरों की हालत को बख़ूबी बयां कर दिया. 

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