Unpopular Opinion Popular Movies : अगर आप एक बॉलीवुड बफ़ हैं, तो आपको ज़रूर मूवीज़ के बारे में बातचीत करना पसंद होगा. हालांकि, कभी-कभी ये बातचीत डिबेट में भी तब्दील हो जाती है. इमेजिन करिए कि कोई आपकी फ़ेवरेट मूवी में ख़ामियां निकालने लगे, तो आपको ये बातचीत बिल्कुल भी फ़न नहीं लगेगी. ज़्यादातर ओपिनियन आर्ट और सिनेमा के बारे में सब्जेक्टिव होते हैं. लेकिन फिर भी हमें दिक्कत होती है अगर हमारी आंखों के सामने पड़ा हुआ कोई Illogical पर्दा हटा दे.
हाल ही में, एक ट्विटर यूज़र साक्षी जैन ने ट्विटर पर एक थ्रेड शेयर किया, जिसमें पॉपुलर मूवीज़ के बारे में अनपॉपुलर ओपिनियन दिया गया था. जिसके बाद ट्विटर पर लोगों की कई सारी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं. आप इससे या तो सहमत होंगे या उन लोगों को ढूंढ कर उनसे बहस करना चाहेंगे जब तक कि वो हार नहीं जाते.
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1- ये तो सच बोली रे.
इस ट्विटर यूज़र के मुताबिक पठान मूवी में कुछ नहीं है, अगर हम उसमें टाइगर (सलमान ख़ान) का कैमियो हटा देंगे.
2- SRK का फैन होना उतना आसान भी नहीं है.
एक यूज़र ने लिखा कि DDLJ और कुछ कुछ होता है ज़रूरत से ज़्यादा ओवररेटेड हैं.
3- ये बात शायद काफ़ी लोगों को चुभेगी.
इस यूज़र ने कहा कि रॉकस्टार उतनी गहरी नहीं है जैसा कि कुछ लोग इसके बारे में सोशल मीडिया पर बात करते हैं. मूवी का बहाव बुरा है और कहानी एवरेज है. हालांकि, इसका साउंडट्रैक मास्टरपीस है.
4- इस व्यक्ति के अन्दर वाकई हिम्मत है!
एक यूज़र के मुताबिक, RRR ऑस्कर के लायक मूवी नहीं थी और हमारे पास पिछले साल नाटू नाटू से बेहतर गाने थे.
5- लगता है किसी ने ग़लत कबीर सिंह देख ली.
इस यूज़र ने लिखा कि कबीर सिंह भारतीय सिनेमा की बेस्ट मूवी है. ये हमें बताती है कि गुस्से में आप सब कुछ हार जाते हैं और नशा किसी भी प्रॉब्लम का हल नही है. हमें अपने प्रोफ़ेशन के साथ वफ़ादार रहना चाहिए. कबीर को तब भी प्रीति का साथ मिला, जब वो पूरी तरह से सुधर गया था.
6- ये कुछ ज़्यादा ही Unpopular ओपिनियन है.
एक यूज़र का कहना है कि मार्वल मूवीज़ ने अपनी पूरी फ्रैंचाइज़ी ‘महिला सशक्तिकरण’ के चक्कर में बेकार कर दी.
7- ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाकर सबको स्कीम नहीं बतानी थी यार.
एक यूज़र के मुताबिक, KGF सीरीज़ सिर्फ़ विस्तारित टिक टॉक रील्स हैं. हर सीन में काफ़ी लाउड बैकग्राउंड म्यूज़िक है, जबकि कहानी में कुछ भी दिलचस्प नहीं हो रहा होता है. KGF डिबेट कर रहे उन लोगों के बराबर है, जिनको लगता है चिल्लाने से उनके तर्क में और गहराई आएगी.
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8- कुछ ओपिनियन ऐसे होते हैं, जिनसे सहमत होने में डर लगता है
वहीं, एक यूज़र का कहना है कि संजय लीला भंसाली की फ़िल्में सिर्फ़ आलीशान फ़िल्म सेट के बारे में होती हैं.
9- ये वाला तो और भी भयानक है.
एक यूज़र लिखती हैं कि अगर मैं अपने दोस्तों के साथ थिएटर नहीं गई होती, तो संजय लीला भंसाली की मूवी देवदास आधी देख कर बाहर आ जाती. ओवरएक्टिंग और ओवर स्टाइल करने वाले कैरेक्टर्स के लिए कुछ भी फ़ील नहीं हुआ. सिर्फ़ एक माधुरी ही एक्सेप्शन थीं, जिन्होंने अपने DID वाले डांस के अलावा कुछ महसूस कराया.
10- ये तो एकदम सच है रे बाबा.
पुष्पा कोई महान फ़िल्म नहीं है. इसमें सिर्फ़ कैची गाने हैं. फ़िल्म कई लेवल पर काफ़ी ग़लत है. अगर आपको अल्लू अर्जुन की तारीफ़ करनी है तो जुलाई फ़िल्म देखो, पुष्पा नहीं.