‘ना कजरे की धार’ से उन्होंने हमें रोमांस का मतलब समझाया और ‘चिट्ठी आई है’ से ये सिखाया कि एक शख़्स के लिए उसके वतन के क्या मायने होते हैं. बात हो रही है अपनी मखमली आवाज़ से दुनियाभर के ग़ज़ल प्रेमियों के दिलों पर राज करने वाले सिंगर पंकज उधास की.
उनके गाने सुनकर न जाने कितने ही 90-80 के दशक के लोगों ने प्यार करना सीखा है. याद है वो गाना जब चुपके से वो सखियों से बाते करना भूल गई, जिसे सुनकर हम अपने प्रेमी की मन ही मन में छवि बनाना शुरू कर देते थे. यही नहीं आज भी हम जब इमोशनल होते हैं या फिर एनआरआई लोगों को अपने वतन की याद आती है तो वो इनके गाने सुनकर अपना मन हल्का करते हैं.
पंकज उधास जी को बचपन से ही गाने का शौक़ था. वो अपने बड़े भाई के साथ संगीत के कार्यक्रमों में जाया करते थे. 1962 में उन्होंने स्टेज पर 11 साल की उम्र में ‘ए मेरे वतन के लोगों’ गाया था, इसे सुनने के बाद लोग इमोशनल हो गए थे. उनमें से एक ने तो उन्हें तब 51 रुपये का इनाम भी दिया था.
मुंबई के सेंट ज़ेवियर कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद पंकज जी ने उस्ताद नवरंग जी से संगीत की शिक्षा ली. फिर उन्होंने स्टेज शो और रेडियो के लिए गाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे वो फ़ेमस होने लगे और उन्हें फ़िल्मों में गाने का भी मौक़ा मिला. ‘नाम’ फ़िल्म का गाना चिट्ठी आई है उनका बहुत ही हिट हुआ था. इस गाने को सुनकर तो राज कपूर साहब भी सेंटी हो गए थे.
पंकज ने फ़िल्मों में गाने के साथ ही अलग-अलग देशों में भी स्टेज शो किए. उनकी ग़ज़लें सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ आया करती थी. ऐसे ही एक दिन वो अमेरिका के मैडिसन स्क्वेयर में स्टेज शो करने गए थे. उनका शो ख़त्म होने में थोड़ा ज़्यादा समय हो गया. वो एयरपोर्ट जाने के लिए लेट हो रहे तो उन्होंने एक टैक्सी ले ली. टैक्सी वाले से उन्होंने गाड़ी को थोड़ा तेज़ चलाने को कहा. तब ड्राइवर ने पलट कर उन्हें उनकी ही ग़ज़ल ‘ज़रा आहिस्ता चल’ सुना दी.
तब पंकज जी ने कहा-‘भाई लगते तो गोरे हो, हिंदी जानते हो?’ इसका जवाब देते हुए ड्राइवर ने बताया कि वो असल में एक अफ़गानी है और वो उनका बहुत बड़ा फ़ैन है. उनके द्वारा गाई गई सारी ग़ज़लें उसे याद हैं. कई बार वो रातभर अपनी टैक्सी में उनकी ग़ज़लें सुनता रहता है. ख़ैर, इसके बाद एयरपोर्ट आ गया और उसने पंकज जी को वहां ड्रॉप किया. किराये के पैसे भी नहीं लिए बदले में बस उन्हें गले लगा लिया था. पंकज उधास जी से जुड़ा ये क़िस्सा आप यहां सुन सकते हैं.
चलते-चलते आपको पंकज उधास जी कुछ फ़ेमस ग़ज़लों के साथ छोड़े जाते हैं:
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