39 साल पहले भी निकल चुकी है ‘भारत जोड़ो यात्रा’, जानिए इसका रोचक इतिहास 

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Bharat Jodo Yatra History : सियासत और यात्राओं का हमेशा से ही एक अलग कनेक्शन रहा है. सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी विचारधारा का पालन करते हुए अतीत में कई तरह की यात्राएं की हैं. इन यात्राओं में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा 1989 में चुनाव से हार मिलने के बाद शुरू की गई ‘भारत यात्रा’ शामिल है, जिसमें उन्होंने ट्रेनों में सेंकेंड क्लास की बोगी में यात्रा की थी, लेकिन ये यात्रा उम्मीदों के मुताबिक परिणाम देने में कारगर नहीं रही. इसके अलावा 1982 में एनटी रामाराव की चैतन्य रथम यात्रा ने उन्हें सत्ता दिलाई थी. वहीं, 2002 में नरेंद्र मोदी की गुजरात गौरव यात्रा से सत्‍ता वापसी हुई थी. कहने का मतलब ये है कि समय-समय पर नेताओं ने यात्राएं निकाली हैं, जिनमें से कुछ ज़मीनी स्तर पर जनता से जुड़ने के लिए की गईं. वहीं, ज़्यादातर यात्राओं का मकसद सत्ता की गद्दी पर विराजमान होना रहा. आजकल कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ (Bharat Jodo Yatra) भी चर्चा में है. ये यात्रा 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से शुरू हुई थी और अब तक कई राज्यों से गुज़र चुकी है. ये 30 जनवरी को कश्मीर में ख़त्म हो जाएगी.

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क्या आप जानते हैं ऐसी ही एक पदयात्रा युवा तुर्क के नाम से मशहूर देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने की थी? चंद्रशेखर की यात्रा कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली में राजघाट तक हुई थी. आइए आपको 39 साल पहले हुई इस यात्रा की हिस्ट्री के बारे में बताते हैं. 

चंद्रशेखर ने शुरू की थी भारत यात्रा

अपने चाहने वालों के बीच अध्यक्ष नाम से मशहूर पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने 6 जनवरी 1983 को कन्याकुमारी से इस यात्रा की अगुआई की थी. उनकी ये पदयात्रा 25 जून 1984 को दिल्ली के राजघाट में ख़त्म हुई थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक चंद्र शेखर ने यात्रा से पहले कहा था कि ‘मैं चाहता हूं कि उन लोगों के लिए एक जगह होनी चाहिए, जो आम जनता के पक्ष में सामाजिक परिवर्तन चाहते हैं.’ उनकी टोली रोज़ाना 45 किलोमीटर यात्रा करती थी. इस पदयात्रा के दौरान चंद्रशेखर ने 4200 किलोमीटर यात्रा की थी.

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3500 रुपए से हुई थी यात्रा की शुरुआत 

इस यात्रा की शुरुआत चंद्रशेखर ने 3500 रुपए से की थी. इस दौरान यात्रा में शामिल लोग ज़्यादातर खर्च उठाते थे. साथ ही स्थानीय लोगों ने भी उनकी मदद की थी. यात्रा ख़त्म होते-होते चंद्रशेखर के पास साढ़े 7 लाख रुपए इक्कठा हो गए थे. इन रुपयों की मदद से उन्होंने पूरे देश में भारत यात्रा का केंद्र बनवाया था. 

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इस यात्रा से जुड़ी हैं कई कहानियां

इस यात्रा से जुड़ी लोगों के पास कई कहानियां हैं. इनमें से एक घटना ख़ुद चंद्रशेखर ने ही शेयर की थी. उन्होंने कहा था कि जब तमिलनाडु के पहाड़ी क्षेत्र में बसे एक गांव में उनकी यात्रा पहुंची, तब वहां एक बूढ़ी औरत लालटेन लिए खड़ी हुई थी. चंद्रशेखर ने जब उनसे बातचीत की, तो उसने बताया कि आज़ादी को 40 साल हो गए हैं, लेकिन उसे अभी तक पीने का पानी नहीं मिला.  उसने चंद्रशेखर से पूछा कि आख़िर उसे पीने का पानी कब मिलेगा. इसके जवाब में चन्द्रशेखर मौन हो गए. इसके बाद उन्होंने पानी के मुद्दे की दिल्ली में बैठक बिठाई थी. उनकी भारत यात्रा के दौरान कई लोगों की बुनियादी चीज़ें सामने उभर कर आईं.

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यात्रा के बाद कब प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर?

चंद्रशेखर की यात्रा के बाद लोगों का उनकी पार्टी पर भरोसा बन गया था. इसके 6 महीने बाद इंदिरा गांधी की हत्या के बाद बाज़ी पलट गई. 1989 में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा और जनता दल की सरकार बनी. इस दौरान वीपी सिंह का नाम संसदीय दल के नेता के रूप में चुना गया. हालांकि, बाद में वीपी की सरकार गिर गई. इस पर कांग्रेस ने जनता दल का समर्थन किया और फिर चंद्रशेखर को प्रधानमंत्री बनाया गया. वो 10 नवंबर 1990 को देश के 8वें प्रधानमंत्री बने. इसके बाद उन्होंने 21 जून 1991 तक देश के पीएम के रूप में कार्य किया. 

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क्या आपने इस यात्रा से जुड़ा कोई क़िस्सा या कहानियां लोगों से सुनी हैं?

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