जानिए भारत के पहले Rocket Launch में केरल के एक चर्च और पादरी ने कैसे निभाई थी अहम भूमिका

Nripendra

How a Church Helped in India’s First Rocket Launch: 21 नवंबर 1963 ये वो ऐतिहासिक दिन था जब भारत ने सबसे पहला रॉकेट अंतरिक्ष में भेजा था. ये रॉकेट लॉन्च तिरुवनंतपुरम के पास ‘थुम्बा’ में किया गया था, जो कि एक मछुआरों का गांव था. इस Rocket Launching को विज्ञान क्षेत्र में भारत की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक माना जाता है. वहीं, इस उपलब्धि से कई दिलचस्प क़िस्से भी जुड़े हैं, जिसमें से एक अनसुना क़िस्सा ये है कि भारत के पहले रॉकेट लॉन्च (History of India’s First Rocket Launch) में एक चर्च (How a Church Helped in India’s First Rocket Launch) और एक पादरी की भी अहम भूमिका थी, वो कैसे ये हम आपको इस लेख में विस्तार से बताएंगे. 

विस्तार से जानते हैं कैसे एक चर्च ने भारत के पहले रॉकेट लॉन्च में निभाई थी अहम भूमिका

डॉक्टर विक्रम साराभाई नेतृत्व में भारत में स्पेस रिसर्च का अभियान 

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History of India’s First Rocket Launch in Hindi: विक्रम अंबालाल साराभाई एक भारतीय भौतिक विज्ञानी और खगोलशास्त्री थे, जिन्होंने भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान की शुरुआत की और भारत में परमाणु ऊर्जा को विकसित करने में मदद की. उन्हें 1966 में पद्म भूषण और 1972 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था. 

विक्रम गुजरात के एक टैक्सटाइल उद्योगपति अंबालाल साराभाई के बेटे थे, लेकिन उनकी दिलचस्पी परिवार के बिज़नेस में नहीं, बल्कि भौतिक विज्ञान में थी. University of Cambridge से पीएचडी करने के बाद विक्रम साराभाई भारत लौटे थे. उन्होंने अपने घर पर ही रिसर्च लेबोरेटरी की स्थापना की थी. 

होमी जहांगीर भाभा के साथ विक्रम साराभाई की अच्छी दोस्ती थी और भारत ने अपने स्पेस रिसर्च का सफ़र होमी जहांगीर भाभा की सलाह पर ही किया था. वहीं, जब विक्रम साराभाई को नेशनल कमेटी ऑफ़ स्पेस रिसर्च का प्रमुख बनाया गया, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती स्पेस रिसर्च स्टेशन के लिए सही जगह का चुनाव करना था. 

थुम्बा’ को चुना गया

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History of Thumba Rocket Launching Station in Hindi: स्पेस रिसर्च स्टेशन के लिए केरल में थुम्बा नाम की जगह को चुना गया था, क्योंकि स्पेस रिसर्च के नज़रिये से एक उपयुक्त स्थान था. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की किताब ‘Ignited Minds’ में भी इस बात का जिक्र मिलता है कि विषुवत रेखा के पास होने की वजह से ये एक परफ़ेक्ट जगह थी. यहां पृथ्वी की कक्षा से बाहर निकलने के लिए बहुत ज़्यादा एनर्जी की ज़रूरत नहीं होती है.

लेकिन, सबसे बड़ी मुश्किल ये थी कि यहां एक बड़ी आबादी मछुआरों की थी और गांव में एक चर्च (Saint Mary Magdalene) भी था और इस वजह से इस जगह का अधिग्रहण करना आसान नहीं था. 
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चर्च के पादरी से की बात

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History of Thumba Rocket Launching Station in Hindi: चुनी गई उपयुक्त जगह का अधिग्रहण आसान नहीं था, बावजूद इसके विक्रम साराभाई ने कोई कोशिश न छोड़ी. उन्होंने चर्च के पादरी रेवरेंड डॉक्टर पीटर बर्नार्ड परेरा से इस मसले पर बात की और चर्च को देने की मांग की. पादरी ने उन्हें रविवार को मिलने बुलाया. 

लोगों से की अपील 

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History of Thumba Rocket Launching Station in Hindi: जब लोग चर्च में प्रार्थना के लिए आये, तो पादरी ने लोगों से अपील की कि भारत के एक बड़े और नामी वैज्ञानिक हमारे यहां आए हुए हैं और वो चाहते हैं कि उनके स्पेस रिसर्च के लिए ये चर्च और अपना मकान उन्हें दे दूं.  डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी किताब में पादरी की कही बातों को जगह दी है. पादरी ने लोगों से कहा था कि “विज्ञान इंसानी जीवन को प्रभावित करने वाले सत्य की तलाश करता है. धर्म का उच्च स्तर अध्यात्मिकता है और हमारे जैसे आध्यात्मिक गुरु ईश्वर की सहायता से इंसानों के दिमाग़ को शांत करते हैं.” पादरी आगे कहते हैं कि मैं और डॉ. विक्रम साराभाई एक ही काम कर रहे हैं, क्योंकि आध्यात्मिकता और विज्ञान दोनों को ही ईश्वर की अनुकंपा की ज़रूरत होती है, ताकि इंसान के शरीर और दिमाग़ बेहतर हो सके. इसलिए, बच्चों क्या हम लोग ईश्वर की इस जगह को विज्ञान के मिशन के लिए दे सकते हैं?” 

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पादरी की बातों का असर  

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How a Church Helped in India’s First Rocket Launch in Hindi: पादरी की बातें सुनकर चर्च में सन्नाटा छा गया, लेकिन इसके बात लोगों ने विज्ञान के काम के लिए अनुमति दे दी. पादरी के कथन की वजह से ही लोग चर्च और गांव को छोड़ने के लिए तैयार हो गए थे. वहींं, त्रिवेंद्रम के ज़िला अधिकारी माधवन नायर ने जल्द ही लोगों के लिए पक्के मकान और चर्च बनवाया.  

ऐसा कहा जाता है कि विक्रम साराभाई का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक था, जिससे लोग प्रभावित हो जाया करते थे. 

“Rocket Launching (How a Church Helped India’s First Rocket Launch) के लिए ज़रूरी था कि जगह एकदम अलग हो और समुद्र तट के पास हो, क्योंकि जगह पर मलबा भी गिर सकता है. इसलिए, इस समुद्र तट को चुना गया था. 21 नवंबर 1963 को Thumba Equatorial Rocket Launching Station की स्थापना की गई थी.

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