Ramdas Ship: कहानी उस Indian Titanic की, जो 690 यात्रियों के साथ समंदर की गोद में समा गया था

Nripendra

Ramdas Ship Disaster in Hindi: Titanic अपने समय का सबसे बड़ा जहाज़ था और उसके डूबने की घटना सबसे चर्चित हादसों में एक थी. शायद ही ऐसा कोई समद्री जहाज़ होगा जिसने Titanic जैसी सुर्खियां बटोरी. टाइटैनिक हादसे (15 अप्रैल 1912) में 1500 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. वहीं, 705 लोग अपनी जान बचा पाए थे.

भारत भी टाइटैनिक जैसे हादसे (Ship Disaster in India) का सामना कर चुका है, जिसके बारे में अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं होगी. भारत के टाइटैनिक जहाज़ का नाम था ‘SS Ramdas’, जो 690 लोगों के साथ समंदर की गहराई में समा गया था.

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आइये, विस्तार से जानते हैं भारत के इस टाइटैनिक जहाज़ (Ramdas Ship Disaster in Hindi) की पूरी कहानी.  

रामदास शिप डिज़ास्टर 

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Ramdas Ship Disaster in Hindi: हम जिस शिप डिज़ास्टर की बात कर रहे हैं वो घटना हाल फिलहाल की नहीं, बल्कि इसे 75 साल हो चुके हैं. भारत की आज़ादी से क़रीब एक महीने पहले 17 जुलाई 1947 ये वो दिन था जब भारत का टाइटैनिक जहाज़ ‘SS Ramdas’’ 690 यात्रियों के साथ समंदर की गहराई में समा गया था.

ये जहाज़ Indian Cooperative Steam Navigation Company का था, जिसकी स्थापना कुछ राष्ट्रवादियों ने मिलकर की थी. उस समय जहाज़ों के नाम साधु-संतों के नाम पर रखे जा रहे थे, इसलिये इस जहाज़ का नाम संत रामदास पर पड़ा था.  

ये Twin-Screw जहाज़ 1936 में Swan Hunter कंपनी ने बनाया था. ये वो ही कंपनी थी जिसने क्वीन एलिज़ाबेथ का जहाज़ बनाया था. इस जहाज़ का वज़न क़रीब 406 टन था और इसकी लंबाई क़रीब 179 फ़ीट थी. ये जहाज़ एक हज़ार यात्रियों को ले जाने में सक्षम था. 

भाउ चा धाक्का से रेवास 

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Ramdas Ship Disaster in Hindi: रामदास जहाज़ मुंबई के भाउ चा धाक्का से मध्यप्रदेश के रेवास के लिए 17 जुलाई 1947 सुबह 8 बजे रवाना हुआ था. ये गटारी अमावस्या का दिन था और की लोग छुट्टी पर थे और रेवास अपने घर जा रहे थे. यात्रियों में व्यापारियों के साथ-साथ मछुआरे और कुछ अंग्रेज़ी परिवार भी थे. 

हादसे (Ship Accident in History in Hindi) में बचे एक यात्री बरकू शेठ मुकादम के अनुसार, “उस दिन मुंबई में तेज़ बारिश हो रही थी और इसलिए जहाज़ को तिरपाल से कवर कर लिया गया था. जैसे ही सीटी बजी कुछ और यात्री जहाज़ पर चढ़ गये, मानों मौत उन्हें ख़ुद बुला रही हो.”

मुकदम आगे बताते हैं कि लोग काफ़ी सुस्त नज़र आ रहे थे और जहाज़ जैसे ही 15 किमी तक पहुंचा होगा बारिश और तेज़ हो गयी थी. तेज़ हवाएं चल रही थीं. 

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जब जहाज़ में पानी भरना शुरू हुआ 

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Ramdas Ship Disaster in Hindi: बारिश की वजह से जहाज़ में पानी भर रहा था और एकदम से पूरे जहाज़ में सन्नाटा छा गया. तभी जहाज़ एक तरफ़ झुक गया और यात्रियों ने चिल्लाना शुरू कर दिया. जो लोग हंस-मुस्कुरा रहे थे अब झगड़ रहे थे. 

टाइटैनिक फ़िल्म में जिस तरह यात्रियों को शांत करवाया जा रहा था, ठीक वैसे ही जहाज़ के कप्तान शेख़ सुलेमान और चीफ़ अफ़सर आदमभाई यात्रियों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे थे. 

लेकिन, उनकी सुनने वाला कोई नहीं था, सभी अपनी जान बचाने की कोशिश में लगे हुए थे. कुछ लोग भगवान से प्राथना कर रहे थे, तो कई जिन्हें तैरना आता था उन्होंने जहाज़ से छलांग लगा ली थी. 

जब रामदास जहाज़ समंदर की गहराई में समा गया

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Ship Accident in History in Hindi: जैसे ही रामदास जहाज़ गल्स द्वीप के पास पहुंचा, एक बड़ी लहर ने जहाज़ को एक तरफ़ पलट दिया. इससे कई लोग तिरपाल में ही फंस कर रह गए थे और बाहर नहीं निकल पाए. 

इसके बाद एक और लहर आई और जहाज़ समंदर में डूब गया. सुबह 8 बजे रवाना हुआ जहाज़ 9 बजे डूब गया था. वहीं, 5 बजे तक मुंबई वासियों को इस हादसे की कोई खबर नहीं थी. 

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इस हादसे को भारत का सबसे बड़ा समुद्री हासदा कहा जाता है. ये बारकू सेठ मुकादम ही थे जो लाइफ़ जैकेट की मदद से किनारे पहुंचे और हादसे की खबर आगे पहुंचाई. हादसे में कई लोगों के शव भी नहीं मिले थे.

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