दारा शिकोह: शाहजहां का सबसे प्यारा बेटा, जिसका सिर अपने ही भाई औरंगज़ेब ने कटवा दिया था

Kratika Nigam

Dara Shikoha: भारतीय मुग़लकालीन इतिहास के पन्नों पर कई मुग़ल शासकों और इतिहासकारों का ज़िक्र मिलता है. इन्हीं में से एक था शाहजहां और मुमताज़ महल का सबसे बड़ा बेटा दारा शिकोहा (Dara Shikoh), जिसे अपने ही भाई औरंगज़ेब ने ग़ुलाम बनाया और फिर उसका सिर कटवा दिया. दरअसल, इसके पीछे एक लंबी कहानी है कि आख़िर क्यों एक सगे भाई ने अपने ही भाई का इतनी बेरहमी से ख़ून करवा दिया. सल्तनत पर कब्ज़े और आपसी नफ़रत की ये निर्मम हत्या की कहानी हर किसी को जाननी चाहिए.

Image Source: theprint

Dara Shikoha

ये भी पढ़ें: समुद्रगुप्त: भारत का वो महान शासक, जो अपने 50 साल के शासनकाल में कोई भी युद्ध नहीं हारा

मुग़ल शासक शाहजहां के चार बेटे दारा शिकोह, शाहशुज़ा, औरंगज़ेब और मुराद बख़्श थे, जिनमें दारा शिकोह सबसे बड़ा और उनका सबसे प्रिय बेटा था. दारा शिकोह विद्वान था और उसे भारतीय उपनिषद और भारतीय दर्शन की अच्छी जानकारी थी. मगर कहते हैं कि दारा शिकोह उदार हृदय वाला था, लेकिन वो अपने ज्ञान के आगे सबको मूर्ख समझता था और उसे किसी से सलाह लेना पसंद नहीं था. इसलिए उसके दरबार के लोग भी उसे किसी तरह की सलाह देने से डरते थे. यही वजह थी कि उसे ये नहीं पता चला कि उसका अपना सगा भाई ही उसके ख़िलाफ़ षड़यंत्र रच रहा था.

Image Source: theweek

औरंगज़ेब की नफ़रत का कारण शाहजहां का प्यार था, जो वो अपने चारों बेटों में सबसे ज़्यादा दारा शिकोह को देता था. इसी के चलते चारों भाइयों के बीच में ऐसी नफ़रत पैदा हुई कि औरंगज़ेब ने ही अपने सगे भाई की मौत का षड़यंत्र रच डाला. इन भाइयों के बीच नफ़रत की वजह सल्तनत पर कब्ज़ा करना भी थी, जिसके लिए दारा शिकोह ने अपने ही भाई औरंगजे़ब से जंग लड़ी.

Image Source: assettype

दरअसल, हुआ ये कि अपने बेटों की नफ़रत से परेशान होकर शाहजहां ने अपने चारों बेटों को बराबर की सल्तनत देते हुए चारों को चार सूबे हिस्से में दे दिए. दारा शिकोह को क़ाबुल और मुल्तान, शुज़ा को बंगाल, औरंगज़ेब को दक्खिन और मुरादबख़्श को गुजरात की सत्ता सौंपकर सबको अलग-अलग कर दिया. सत्ता का बंटवारा होने के बाद सारे भाई तो चले गए, लेकिन दारा शिकोह शाहजहां की गद्दी की लालच में रुक गया, उसे लगा कि शाहजहां अपने बाद उसे ही अपनी गद्दी का उत्तराधिकारी बनायेंगे. बड़ा बेटा होने के नाते वही दिल्ली की गद्दी संभालेगा क्योंकि जब शाहजहां बीमार हुए तो दारा ही उनका काम संभालने लगा.

Image Source: epapr

फिर उसने अपने ही पिता की सल्तनत पर दावा ठोक दिया और वो शाहजहां से उनके किसी भी बेटे को मिलने नहीं देता था. इस वजह से सभी भाइयों ने दिल्ली पर चढ़ाई कर दी तो दारा शिकोह (Dara Shikoha) ने अपने ही भाई के ख़िलाफ़ जंग छेड़ दी. छोटे भाई शुज़ा के ख़िलाफ़ उसने अपने बेटे को भेजा और औरंगज़ेब से ख़ुद युद्ध करने चला गया. लड़ने चल दिया. दारा शिकोह के पास 4 लाख लोगों की लंबी सेना थी, लेकिन उसकी सेना में दुकानदार, मज़दूर, दस्तकार और यहां तक की बर्तन बेचने वाले भी शामिल थे. तो वहीं, औरंगज़ेब की सेना में 40 हज़ार सैनिक थे, लेकिन सबको युद्ध लड़ने का अनुभव था.

Image Source: punerispeaks

इतनी लंबी सेना के बावजूद भी दारा शिकोह अपनी हठधर्मी और अहंकार के चलते अपने ही विश्वासपात्र के कारण युद्ध हार गया. हुआ ये कि जब औरंगज़ेब की कम सेना बची तो दारा के विश्वासपात्र ख़लीलुल्लाह ने कहा, हज़रत सलामत, आपको जीत मुबारक़.

Image Source: news18

इतिहासकार बताते हैं, कि दारा हाथी पर था और वो जंग जीत चुका था. औरंगज़ेब के पास गिनती के सैनिक रह गए थे. उसी वक्त उसके एक विश्वासपात्र ने कहा कि, आप हाथी से उतरकर घोड़े पर बैठिए. पता नहीं कब कोई तीर आपको आकर लग जाए. अगर ऐसा हो गया तो हम कहीं के नहीं रहेंगे. दारा शिकोह बिना सोच विचार किए हाथी से उतरकर घोड़े पर सवार हो गया. हाथी से उतरते ही युद्ध के मैदान में ये अफ़वाह फैल गई कि दारा मर गया इस पर उसके सभी सैनिक उसे छोड़कर भाग गए और औरंगज़ेब और मुराद ने जंग जीत ली.

Image Source: indiakestar

ये भी पढ़ें: चंगेज़ ख़ान: वो शासक जिसने पूरी दुनिया में बर्बरता की, आख़िर भारत इसके कहर से कैसे बच गया?

जंग हारने के बाद दारा कभी मुल्तान तो कभी थट्‌टा और कभी अजमेर भागा, लेकिन औरंगज़ेब के एक सैनिक ने उसे पकड़ लिया और फिर वो बंदी बना लिया गया. दिल्ली में उसे बीमार हाथी पर बिठाकर भिखारियों जैसे कपड़े पहनाकर घुमाया गया और बुरी तरह से अपमानित किया गया. इसके बाद, औरंगज़ेब ने अपने ग़ुलाम नज़ीर से कहकर दारा शिकोह का सिर कटवा दिया, जब वो क़ैदखाने में अपने बेटे के साथ खाना बना रहा था.

Image Source: dailygoodnews

जब दारा के सिर को लेकर नज़ीर औरंगज़ेब के पास गया तो उसने सिर को थाली में रखवाकर धुलवाया और जब उसे यक़ीन हो गया कि ये सिर दारा शिकोह का है तो घड़ियाली आंसू रोने लगा. साथ ही, उसने दारा के शव को हुमायूं के मक़बरे में दफ़ना दिया.

Image Source: exoticindia

दारा के मरने के बाद उसके परिवार का बुरा हाल हो गया, उसके बड़े बेटे को मार दिया गया, छोटे बेटे को ग्वालियर के क़िले में बंदी बना लिया गया और उसकी पत्नी ने ज़हर खाकर जान दे दी. भाइयों की नफ़रत और सत्ता के लालच में सगे भाइयों के बीच हुए इस युद्ध के ख़ून की दास्तां को इतिहास में अमर कर दिया गया.

आपको ये भी पसंद आएगा
कोलकाता में मौजूद British Era के Pice Hotels, जहां आज भी मिलता है 3 रुपये में भरपेट भोजन
जब नहीं थीं बर्फ़ की मशीनें, उस ज़माने में ड्रिंक्स में कैसे Ice Cubes मिलाते थे राजा-महाराजा?
कहानी युवा क्रांतिकारी खुदीराम बोस की, जो बेख़ौफ़ हाथ में गीता लिए चढ़ गया फांसी की वेदी पर
बाबा रामदेव से पहले इस योग गुरु का था भारत की सत्ता में बोलबाला, इंदिरा गांधी भी थी इनकी अनुयायी
क्या है रायसीना हिल्स का इतिहास, जानिए कैसे लोगों को बेघर कर बनाया गया था वायसराय हाउस
मिलिए दुनिया के सबसे अमीर भारतीय बिज़नेसमैन से, जो मुगलों और अंग्रेज़ों को देता था लोन