क़िस्सा: वो कौन सी ग़लती थी, जिस पर शास्त्री जी ने बेटे को मारने और डांटने की जगह उनके पैर छुए थे

Kratika Nigam

Lal Bahadur Shastri: देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री अपने व्यक्तित्व के चलते देश हो या विदेश हर जगह फ़ेमस थे. इनके क़िस्से मीना कुमारी से माफ़ी मांगना हो या बैंक में 700 रुपये होने पर कार लेना सभी बहुत ही प्रचलित रहे हैं. वो कद-काठी में भले ही छोटे थे और उनका कार्यकाल भी सिर्फ़ 18 महीनों तक ही चला था, लेकिन अपने कामों से उन्होंने ताउम्र अपनी छाप छोड़ दी. युग बदल गए मगर शास्त्री जी के विचार और आदर्श आज भी ज़िंदा हैं. शास्त्री जी एक आदर्श पिता और ज़िम्मेदार पति भी थे.

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Lal Bahadur Shastri

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एक पिता को अपने बच्चों को हमेशा सही राह दिखानी चाहिए और शास्त्री जी इस बात की मिसाल थे, जिन्होंने एक बार अपने बेटे को सही बताने के लिए उनके ही पैर छू लिए थे.

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दरअसल, शास्त्री जी ने अपने 16 साल के बेटे अनिल शास्त्री को एक बार किसी के पैर छूते देखा तो उन्होंने पाया कि वो सिर्फ़ घुटने ही छूते हैं पैर तक नहीं जाते, जिसके लिए उन्होंने अपने बेटे को बुलाया. उस समय लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे तो वो उनके ऑफ़िस में गए. शास्त्री जी ने अनिल से कहा,

मैनें देखा है जब आप अपने से बड़ों के पैर छूते हैं तो आप सिर्फ़ घुटने तक ही झुकते हैं और घुटना छूते हैं, पैर तक नहीं जाते. इस पर 16 साल के अनिल ने उनकी बात नहीं मानी जो उस उम्र के हिसाब से स्वाभाविक था. उन्होंने कहा कि, आपको ग़लतफ़हमी हुई है मैं ऐसा नहीं करता हूं. इस पर शास्त्री जी ने न उन्हें मारा और न ही डांटा बल्कि पूरे सम्मान के साथ अपने बेटे के पैर छू लिए और कहा, अगर पैर छूने का ये तरीक़ा नहीं होता है तो मुझसे ग़लती हो गई, लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो फिर जैसे मैंने पैर छुए हैं उस तरीक़े को अपनी ज़िंदगी में अपनाने की कोशिश ज़रूर करना.

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शास्त्री जी पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो इतने ऊंचे पद पर चलने के बावजूद भी टांगे या किराए की गाड़ी से चलते थे. जब उनके बच्चे स्कूल टांगा से जाते थे तो उन्हें अच्छा नहीं लगता था, जिसके चलते उन्होंने उस दौर में लोन लेकर Fiat गाड़ी ख़रीदी थी, जिसका दाम 12 हज़ार रुपये था. गाड़ी की किश्त चल रही थी और बीच में ही उनका निधन हो गया फिर उन किश्तों को उनकी पत्नि ने अपनी पेंशन से भरा था.

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आपको बता दें, लाल बहादुर शास्त्री का निधन ताशकंद सम्मेलन में हिस्सा लेने के दौरान 11 जनवरी 1966 को हुआ था. इनकी मृत्यु को लेकर कई कहानियां हैं कि इनकी हत्या की गई थी. एक ख़ास बात, जब शास्त्री जी का ताबूत कार से उतार कर विमान पर चढ़ाया गया तो उन्हें कंधा देने के लिए सोवियत संघ के प्रधानमंत्री अलेक्सी कोसिगिन और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आयूब ख़ान भी आए थे.

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