भारतीय न्यायधीशों के 6 बयान जो न्याय व्यवस्था, सामाजिक ढांचे और ख़ुद हम पर कड़े सवाल करती हैं

Sanchita Pathak

न्यायपालिका, लोकतंत्र के 4 स्तंभों में से एक है. लोकतंत्र को बनाये रखने के लिए न्याय की अहम भूमिका है.


न्यायधीशों की तरफ़ पूरा लोकतंत्र उम्मीद भरी नज़रों से देखता है. ऐसे में न्यायधीश पर बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी होती है. पर कई बार हमारे यहां के न्यायधीशों ने कुछ ऐसे वाक्य कहे हैं, जिससे नाउम्मदी के सिवा कुछ महसूस नहीं किया जा सकता.  

न्यायधीशों द्वारा दिए गये कुछ बेहद कॉन्ट्रॉवर्शियल बयान-

1. कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्णा ने एक रेप के आरोपी को इसलिए ज़मानत दे दी क्योंकि रेप सर्वाइवर रेप के बाद सो गई थी 

Karnataka Judiciary
शिकायतकर्ता के एक्सप्लेनेशन के अनुसार वो ज़बरदस्ती के बाद थक गई थीं और सो गई थीं, एक भारतीय महिला के लिए अशोभनीय है, ज़बरदस्ती के बाद हमारी औरतें वैसे रिएक्ट नहीं करती. 

2. जस्टिस एस. वैद्यनाथन ने क्रिश्चन स्कूलों पर टिप्पणी दी और कहा कि माता-पिता को को-एड स्कूल में पढ़ने जा रही उनकी बच्चियों को लेकर काफ़ी चिंता है. 

Madras High Court
छात्राओं के माता-पिता के मन में क्रिश्चन को-एड शिक्षण संस्थानों में पढ़ रही उनकी बेटियों के भविष्य को लेकर काफ़ी डर है. 

कई ईसाइयों पर जबरन धर्म परिवर्तन करवाने के आरोप लगे हैं. 

3. शादी में अनबन के एक मामले पर, कर्नाटक हाई कोर्ट के न्यायधीश के.भक्तवत्सला ने महिला वक़ील से कहा कि उन्हें ऐसे केस शादी होने के बाद ही लेने चाहिए. 

Change.org
परिवार के मामले शादी-शुदा लोगों को ही अपने हाथों में लेने चाहिए, अविवाहिताओं को नहीं. बैचलर और अविवाहिता यही सोचेंगे कि शादी की ज़रूरत है भी? शादी कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम नहीं है. तुम्हें शादी करनी चाहिए फिर तुम्हें ऐसे मामलों पर बहस करने का सही अनुभव होगा. 

इस न्यायधीश ने अब्यूज़ सर्वाइवर महिला के लिए यहां तक कहा कि ‘हर महिला शादी में भुगतती ही है.’ 

आप शादी-शुदा हैं, दो बच्चे हैं, आपको महिलाओं को क्या-क्या भुगतना पड़ता है सब पता है. कल एक Techie Couple ने बच्चे की ख़ातिर समझौता कर लिया. आपके पति अच्छा बिज़नेस कर रहे हैं, वो आपका ध्यान रखेंगे. अभी भी आप उनकी पिटाई के बारे में बात क्यों कर रही हैं? 

न्यायधीश को हटाने के लिए लोगों ने ऑनलाइन पेटिशन भी शुरू की थी.  

4. मध्य प्रदेश के एक कॉन्वेन्ट स्कूल के ‘मुस्लिम छात्रों को दाढ़ी रखने कि अनुमति नहीं है’ के डायरेक्टिव पर एक छात्र ने पेटिशन दायर की थी. इस पर जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने कहा कि इससे ‘देश का तालिबनाइज़ेशन होगा.’  

India Today
हम देश में तालिबानी नहीं चाहते. कल एक छात्रा आयेगी और कहेगी कि उसे बुर्क़ा पहनना है, क्या हम उसे अनुमति देंगे. 

काटजू ने इस पर बाद में माफ़ी मांगी.  

5. एक पेटिशन पर सुनवाई के दौरान जस्टिस एस.आर.सेन ने कहा कि भारत को विभाजन के बाद हिन्दू राष्ट्र बनना चाहिए था. 

India Today
मैं ये साफ़ कर देना चाहता हूं कि किसी को भी भारत को मुस्लिम राष्ट्र बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए वरना वो भारत और दुनिया के पतन का कारण बनेगा. 

जस्टिस सेन ने ये भी कहा 

मैं कई वंशों से देश में रह रहे, नियमों का पालन कर रहे मुस्लिम भाई बहनों के ख़िलाफ़ नहीं हूं, उन्हें यहां शांतिपूर्वक रहने देना चाहिए. 

6. जस्टिस पी.देवदास ने रेपिस्ट और सर्वाइवर के बीच ‘सुलह’ करवाने के निर्देश दिए थे और रेपिस्ट को ज़मानत दे दी थी 

Wikipedia

अपने ऑर्डर में जस्टिस देवादास ने कहा  

ये दोनों पार्टी के बीच Compromise के लिए सही केस है. दोषी को जेल में रखकर सुलह की बातचीत ठीक से नहीं हो सकती. 

सर्वाइवर (माइनर) सुलह नहीं चाहती थी और न ही अपने रेपिस्ट से विवाह करना चाहती थी.

सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद इस ऑर्डर को बाद में मद्रास हाई कोर्ट ने वापस लेने के निर्देश दिए थे.    

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