21वीं सदी में भी कायम हैं दुनिया की कुछ ऐसी अजीबोगरीब प्रथाएं, जो दर्दनाक ही नहीं, अमानवीय भी हैं

Shankar

इस दुनिया में कई देश हैं, जहां अलग-अलग जातियों के लोग रहते हैं और हर जाति की कुछ विशेष परंपराएं और प्रथाएं होती हैं, जो उन जातियों को बाकियों से अलग करती हैं. उनकी कुछ परंपराएं और प्रथाएं, जहां हमें अपनी ओर आकर्षित करती हैं, वहीं कुछ जातियों में ऐसी प्रथाएं भी होती हैं, जिन्हें देखकर या जिनके बारे में जानकर हमारी रुह कांप जाती है. आज हम आपको दुनिया की ऐसी ही अजीब प्रथाओं और परंपराओं के बारे में बताएंगे, जो न सिर्फ़ अजीब हैं, बल्कि दर्दनाक और अमानवीय भी हैं.

तो चलिये जानते हैं उन सभी प्रथाओं को, जो 21वीं सदी में कहीं से भी जायज नहीं हैं, फिर भी आज दुनिया के कई हिस्सों में अस्तित्व में हैं.

1. उंगलियां काटने की परंपरा 

इंडोनेशिया के पापुआ गिनी द्वीप में रहने वाली दानी प्रजाति के लोग एक अजीब परंपरा का पालन करते आए हैं, जो बहुत ही दर्दनाक और अमानवीय है. इस प्रथा के तहत परिवार के मुखिया की मौत हो जाने पर उसके परिवार से संबंधित सभी महिलाओं की उंगलियां काट दी जाती हैं. इस दर्दनाक प्रथा के पीछे लोगों का विश्वास है कि इससे मरने वाले की आत्मा को शांति मिलती है. महिलाओं की उंगलियां काटने के लिए उनके हाथों को रस्सी से बांधा जाता है, फिर उनकी उंगलियों को कुल्हाड़ी से काट दिया जाता है. हालांकि, वहां की सरकार ने इस प्रथा पर रोक लगा दी है, लेकिन अभी भी चोरी-छिपे ये कायम है.

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2. अपने मृत रिश्तेदारों की अस्थियों का सूप पीने की परंपरा

ब्राजील और वेनेजुएला की सीमा से सटे आदिवासी समुदाय के लोग आज भी दुनिया से कटे हुए हैं. यहां आज भी लोग पारंपरिक तरह से अपने रीति-रिवाजों को निभाते हैं. यहां जब भी किसी परिजन की मौत होती है, तो लोग उन्हें जलाकर उनका अंतिम संस्कार करते हैं. मृत रिश्तेदार के शरीर के जल जाने के बाद ये लोग बची हुई अस्थियों और राख को इकट्ठा कर लेते हैं. उनकी अस्थियों और राख को ये सब मिलकर खाते हैं. इसके लिए वह केले के सूप का इस्तेमाल करते हैं. यहां अस्थियों को सूप की तरह भी पिया जाता है. ये लोग ऐसा करने से अपनों के प्रति जुड़ाव और प्यार महसूस करते हैं.

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3. लाश के साथ रहने की परंपरा

इंडोनेशिया का एक समाज अपने परिजनों से इतना प्यार करता है कि उनकी मौत के बाद भी उन्हें खुद से अलग नहीं कर पाता. अपने परिवार के किसी सदस्य की मौत के बाद ये लोग शव को नहीं दफनाते, बल्कि उसे अपने साथ ही रखते हैं या फिर इन्हें ताबूत में डालकर गुफाओं में रखते हैं या फिर पहाड़ियों पर टांग देते हैं. यहां ये लोग परिजनों की मौत के बाद भी उनसे जिंदा इंसान की तरह पेश आते हैं. वो समय-समय पर कब्र से शवों को बाहर भी निकालते हैं. इसके बाद उन्हें नहलाकर साफ़-सुथरा करते हैं और नए कपड़े पहनाते हैं. इस दौरान गांव में इनका जुलूस भी निकाला जाता है. इस प्रथा की अहमियत इतनी है कि ये परंपरा हर साल निभाई जाती है.

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4. जापान और रूस कई इलोकों में देते हैं भालू की बलि

जापान और रूस के रिमोट एरिया में रहने वाली आइनू ट्राइब में भालू की बलि देने का चलन है. ये भालू को पवित्र मानते हैं. मान्यता है कि इनकी बलि देने से मानवजाति का भला होता है. हालांकि, इनके लिए भले ही यह एक प्रथा हो, लेकिन जानवरों के लिए यह क्रूरता है. भालू को मारने के बाद आइनू ट्राइब के लोग इसका खून पीते हैं और मांस खाते हैं. मरे हुए भालू की खाल और खोपड़ी की हड्डी की पूजा भी की जाती है.

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5. अंतिम संस्कार में बुलाई जाती हैं स्ट्रिप डांसर्स

ताइवान में अंतिम संस्कार के मौके पर स्ट्रिप डांसर्स को बुलाने की परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि इससे भटकती आत्मा को शांति मिलती है. ताइवान की इस परंपरा को कई बार गलत तरीके से भी लिया जाता है, लेकिन वहां के लोगों के लिए ये फ्यूनरल का बेहद अहम हिस्सा है. ठीक इसी तरह चीन में मृतक के सम्मान में ये स्ट्रिप डांसर्स बुलाई जाती हैं.

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6. दुल्हन को गोद में बिठा कर आग में चलने की प्रथा

चीन में शादी को लेकर एक अजीब और अलग ही परंपरा है. यहां पर नई दुल्हन को घर में प्रेवश कराने से पहले दूल्हे को उसे अपनी गोद या पीठ पर बिठाकर दहकते अंगारों से होकर गुजरना होता है. वहां यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. अंगारों पर नंगे पांव चलने के पीछे का कारण भी काफ़ी हैरान करने वाला है. ऐसा माना जाता है कि दुल्हन के प्रग्नेंट होने के बाद उसे प्रसव पीड़ा से मुक्ति मिल जाती है.

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7. अंतिम संस्कार की प्रथा

एस्किमो में जब परिवार का कोई सदस्य बहुत बुज़ुर्ग हो जाए या फिर मौत के करीब हो तो उसे तैरते बर्फ के टुकड़े पर लिटाकर छोड़ दिया जाता है. एस्किमो का पुनर्जन्म में बहुत विश्वास है, इसलिए इस अभ्यास के ज़रिए उनकी ये साबित करने की कोशिश होती है कि घर के बुर्ज़ुग उन पर बोझ नहीं हैं और वो उन्हें उचित और सम्मानपूर्ण ढंग से विदा कर रहे हैं.

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