दोस्त… दोस्त नहीं, बल्कि ज़िंदगी होते हैं. इसलिये मां-बाप की तरह बिना कुछ कहे ये हमारा दर्द भी भांप लेते हैं. फिर चाहे दोस्त सालों पुराना हो या 2 दिन पुराना. दोस्ती की इसी ख़ासियत की वजह से आज 2 दोस्तों की कहानी सोशल मीडिया पर हिट हो रही है.
ये कहानी मुज़फ़्फ़रनगर के गयूर अहमद और नागपुर के 28 वर्षीय अनिरूद्ध झारे की है. इन दोनों की मुलाक़ात जोधपुर में बने क्वारंटीन सेंटर में हुई थी. घर से दूर दोनों लॉकडाउन की वजह से वहां फंसे हुए थे. इधर कुछ ही दिनों में गयूर अहमद और अनिरूद्ध झारे की बातचीत दोस्ती में बदल रही थी. कम समय में दोनों ने एक-दूसरे को काफ़ी अच्छे से जान लिया था.
वहीं अब वक़्त आ चुका था, जब दोनों को क्वारंटीन सेंटर को अलविदा कह अपने घर की ओर रुख़ करना था. घर का नाम सुनकर दोनों के मन में अलग ही ख़ुशी और जोश था. बीते 8 मई को अहमद और अनिरूद्ध को बस भरतपुर से यूपी बॉर्डर छोड़ दिया गया. इसके आगे दोनों को अपना सफ़र खु़द ही तय करना था. दोनों अपने-अपने रास्ते पर निकल भी पड़े थे. तभी अनिरूद्ध को लगा कि उसके दिव्यांग दोस्त अहमद को उसकी ज़रूरत है.
अनिरूद्ध को अहमद का तिपहिया साइकल से घर तक पहुंचना मुश्किल लग रहा था. उसने अहमद की दिक्कत को समझा और बिना ज़्यादा सोचे उसे उसके घर तक पहुंचाने का निर्णय लिया. अनिरूद्ध ने अहमद के साथ 5 दिन का लंबा सफ़र पैदल ही तय किया और उसे उसके घर तक पहुंचाने में कामयाब रहा. इन पांच दिनों में एक पल भी ऐसा नहीं गया, जब अनिरूद्ध ने अपने दोस्त को अकेला छोड़ा हो. करीब 350 किलोमीटर का सफ़र दो दोस्तों ने हंसी-ख़ुशी पूरा कर लिया.
वहीं जैसे ही अहमद अपने घर पहुंचा, तो उसने भी अपनी दोस्ती का फ़र्ज़ निभाया. अहमद ने लॉकडाउन ख़त्म होने तक अनिरूद्ध को अपने घर पर ही रुकने के लिये कहा. इसके साथ ही उसने दोस्त को उसके घर पहुंचाने के लिये सरकार और प्रशासन से मदद की गुज़ारिश भी की है. अनिरूद्ध ने जो किया, सच में वो कोई सच्चा दोस्त ही कर सकता है. चारों ओर इस दोस्ती की काफ़ी तारीफ़ हो रही है.
हम भी आशा करते हैं कि इन दोनों की दोस्ती सलामत रहे और हर किसी को ऐसा ही सच्चा दोस्त मिले.
Life के आर्टिकल पढ़ने के लिये ScoopWhoop Hindi पर क्लिक करें.