मासूम है वो मुझे उसमें मासूमियत दिखी, जब वो निकली इस दुनिया में तो उन्हें वो लड़की दिखी.
ये इस समाज का दस्तूर है, जहां एक छोटी सी बच्ची भी लोगों को अखरने लगती है. कुछ उसे लड़कर दुनिया में लाते हैं तो कुछ उसे बेपरवाही से मार देते हैं. कुछ उसे देवी बना देते हैं, तो कुछ उसे बच्ची भी नहीं मानते हैं. समाज के उसी चेहरे को तस्वीरों के ज़रिए आपको दिखाने की कोशिश की गई है. इस आईने को बनाने के पीछे जो हाथ है वो Zobayer Joti का है.
इन तस्वीरों के ज़रिए समाज में बच्चियों के साथ होने वाले रेप, चाइल्ड मैरिज, छेड़-छाड़ के असर को दिखाया गया है.
1. नज़रें उठेंगी
2. काली नहीं, ‘काली’ हो तुम
3. ज़मीन सा ठहराव है
4. छोटी सी उम्र में परड़ाई रे
5. समंदर सी गहरी है वो
6. बच्ची है वो खेलने दो
7. बच्ची है वो
8. ख़ूबसूरत हो तुम
9. इस काले चेहरे पर भी सपने दिख रहे हैं
10. महफ़ूज़ है क्या?
11. दिखती क्यों नहीं हैं बच्चियां इस समाज को
12. भीड़ से डरना नहीं
ये समाज का काला चेहरा नहीं, सुनहरा भविष्य हैं. सबको जागने की ज़रूरत है.
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