आपका बाहर निकलना किसी नर्स और उसके परिवार के लिये कितना दुख़द है, इस कहानी से जान लो

Akanksha Tiwari

ये हमारी नासमझी का ही नतीजा है, जो देश में हर दिन कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. समझ नहीं आता कि अगर कुछ दिनों के लिये घर पर आराम से बैठने को कहा जा रहा है, तो बैठते क्यों नहीं? ये भी नहीं सोचते ही कि हमारी जान बचाने के लिये कितने डॉक्टर्स, नर्स और पुलिसवाले अपनी जान जोख़िम में डाल रहे हैं. 

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अब तक जिन लोगों को घर बैठना रास नहीं आ रहा है, तो प्लीज़ एक बार इस नर्स की कहानी पढ़ लीजिये. कोरोना वायरस की सेवा में लगी इस नर्स की कहानी Humans of Bombay ने साझा की है. इस पोस्ट के मुताबिक, नर्स का कहना है कि कोरोना संक्रमण के डर से इन्होंने अपने दोनों बेटों को बहन के घर पर भेज दिया. पति घर पर अकेले हैं. पता नहीं वो किस तरह अपना गुज़ारा कर रहे होंगे. वीडियो कॉल के ज़रिये घरवालों से बात हो जाती है, लेकिन हर पल उनकी चिंता सताती है. 

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नर्स का कहना है कि वो लोग चेहरे पर मुस्कुराहट लिये हर वक़्त मरीज़ों की सेवा में लगे रहते हैं, लेकिन कभी-कभी उन्हें उनका गुस्सा भी झेलना पड़ता है. कुछ शेफ़ लोग भी अस्पताल में भर्ती हैं, जो गुस्से में खाना फ़ेंक कर कहते हैं कि हॉस्पिटल स्टॉफ़ को खाना बनाना नहीं आता. इसके साथ ही नर्स ने ये भी बताया कि जब वो आखिरी बार घर गई, तो उनके पड़ोसियों ने काफ़ी अच्छे से स्वागत किया. वहीं दूसरी ओर एक नर्स ऐसी भी है, जिसके सोसायटी वालों ने संक्रमण के डर से उसे सोसायटी में घुसने नहीं दिया. 

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नर्स का कहना है कि हम भले ही लोगों को 5 स्टार जैसे होटल की सुविधा न दे पा रहे हों, पर हां हम अपना बेस्ट दे रहे हैं. इतना ही नहीं, इस दौरान उन्होंने एक बुज़ुर्ग शख़्स की काउंसलिंग भी की. जो सिरदर्द के कारण ये सोचकर हॉस्पिटल पहुंच गया कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं. आखिर में ये नर्स सबसे यही निवेदन कर रही है कि प्लीज़ घर पर रहिये. 

हमारी न सही. कम से कम इन देश सेवकों की तो सुनिये, घर पर रहिये और इन सेवकों को भी उनके परिवार से मिलने का मौक़ा दीजिये. 

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