अमृतांजन बाम
80 और 90 के दशक का सबसे लोकप्रिय बाम. किसी के घर में कुछ मिले न मिले, पर सिर दर्द की ये दवा हर घर में होती थी. क्यों सुनते ही बचपन की यादों में गु़म हो गये न. वैसे होना लाज़मी भी है. ख़ैर बचपन की यादों से बाहर निकलिये और ये बताइये कि बचपन के इस बाम के बारे में आप कितना जानते हैं. शायद ज़्यादा कुछ नहीं या फिर बिल्कुल नहीं.
कैसे हुई इस हिंदुस्तानी ब्रांड की उपज?
स्वतंत्रता सेनानी राव मूल रूप से आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले के थे. ग्रेजुएशन पूरा होते ही वो कोलकाता चले गये. वहां जाकर उन्होंने दवाईयां बनाना सीखा. इसके बाद विलियम एंड कंपनी में काम करने के लिये मुंबई गये. उनके काम को देखते हुए जल्द ही उन्हें कंपनी का मालिक बना दिया गया. पर वो इन सारी चीज़ों से हटकर ख़ुद का कुछ काम करना चाहते थे.
इसलिये उन्होंने कोलकाता में सीखी गईं चीज़ों का अनुभव यूज़ करते हुए पीला एनाल्जेसिक बाम बनाया. इसके बाद 1893 में मुंबई में एक कंपनी भी बनाई, ताकि देशभर के लोग इसका इस्तेमाल कर सकें. बाम ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचे इसके लिये उन्होंने संगीत समारोहों में इसे फ़्री में भी बांटना शुरू किया. इससे उनके बिज़नेस में काफ़ी तरक्की होने मिली.
शुरुआत में अमृतांजन बाम की क़ीमस सिर्फ़ दस आना थी, लेकिन देखते ही देखते ये लोकप्रिय हो गया और इसने काशीनाधुनी नागेश्वर राव को करोड़पति व्यापारी बना दिया.
जिन दोस्तों को बाम के बारे में नहीं पता है, उन्हें कमेंट में टैग करके याद दिला सकते हैं.