पति और पड़ोसियों की नाराज़गी को नज़रअंदाज़ कर, आज 400 Stray Dogs की पालनहार बन चुकी है ये महिला

Kratika Nigam

बेज़ुबां हैं वो कुछ कह नहीं सकते, मगर प्यार को वो बाख़ूबी समझते हैं, बस उन्हें कोई प्यार करने वाला हो. 

कुत्तों से ज़्यादा वफ़ादार जानवर कोई नहीं होता है. अगर उन्हें प्यार दो, तो वो प्यार के साथ वफ़ादारी भी देते हैं. मगर कुछ लोगों को ये नहीं समझ आता शायद इसीलिए वो ज़रा सी बात पर इन्हें सताते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे भी है, जो उनके लिए कुछ भी करते हैं. ऐसी ही हैं कल्याणी स्थित नादिया की रहने वाली निलांजना बिस्वास, जिन्होंने स्ट्रीट डॉग्स को पालने के लिए 3.3 लाख का पर्सनल लोन लिया है और 2 लाख के अपने गहने बेच दिए हैं. निलांजना 400 डॉग्स के खाने-पीने से लेकर उनके वैक्सीनेशन तक का ख़्याल रखती हैं. 

बिस्वास ने इसके लिए तीन लोगों को रखा हुआ है, जो स्कूटर वगैरह पर गली के कुत्तों को खाना खिलाने का काम करते हैं. 

बिस्वास का कहना है,

मुझे हमेशा से डॉग्स पसंद थे. मेरे पास 13 डॉग्स हैं, जिनमें 12 स्ट्रे डॉग्स हैं. मगर मैंने सोचा कि इनके अलावा भी मेरा फ़र्ज़ बनता है कि मैं इन शहरों के डॉग्स का ख़्याल रखूं. इसलिए मैंने ये ज़िम्मेदारी उठाई. मेरे पति और पड़ोसी मेरी इस ख़्वाहिश के ख़िलाफ़ थे, लेकिन मेरे दो बच्चों ने मेरा साथ दिया.
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बिस्वास रोज़ कुत्तों को चिकन और चावल खिलाती हैं. इसे बनाने के लिए उनके घर में एक अच्छी सी रसोई है और चिकन को स्टोर करने के लिए उन्होंने एक रेफ़्रिजरेटर भी रखा है. 

मैं पहले प्लास्टिक के बर्न सड़क पर रखती हैं, फिर उसके ऊपर स्टील के बर्तन रखकर उसमें खाना देती हूं और पानी सबको अलग-अलग देते हैं. इसके अलावा जब ये लोग खाना खा लेते हैं तो हम उस जगह को साफ़ भी करते हैं.
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बिस्वास के इस काम से वहां के कई लोग प्रभावित हैं. उनमें से एक अजय दत्ता का कहना है,

वो दूसरों के लिए प्रेरणा हैं. उनको देखकर एरिया के बाकि लोग भी स्ट्रे डॉग्स को खाना खिलाते हैं. वो समय-समय पर इनसे जुड़े जागरुकता कैंपेन भी करती हैं. ये ख़ास कर दिवाली और होली के टाइम पर किया जाता है.
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हालांकि, बिस्वास, डायबिटीज़ और हार्ट पेशेंट हैं. इसलिए उन्होंने कल्याणी नगर पालिका से आग्रह किया है कि उसकी अनुपस्थिति में कुत्तों को रोज़ खाना खिलाया जाए.

मैंने यहां के अधिकारियों से इस मामले पर विचार करने का अनुरोध किया था ताकि स्ट्रीट डॉग्स का पुनर्वास किया जा सके, लेकिन मुझे उनकी तरफ़ से कोई भी जवाब मिला नहीं है. 

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बिस्वास जैसे लोग बहुत कम हैं इस दुनिया में इसलिए अगर कोई इन जानवरों की आवाज़ बन रहा है तो उसे दबाने की बजाय सबको सपोर्ट करने की ज़रूरत है.

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