सभ्तया, संस्कृति, धार्मिकता और पौराणिकता ये भारत की पहचान है. ये वो देश है जहां मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों की कमी नहीं है. जब हम इनकी बात करते हैं, तो शांति और सुकून का अनुभव होने लगता है. इस देश के हर शहर की हर गली में आपको मंदिर मिल जाएगा. वहीं रीति-रिवाज़ और परंपराओं से सजे भारत में बहुत सारे गुरुद्वारे हैं, जहां आपको ज़रूर जाना चाहिए.
ये रहे वो गुरुद्वारे:
1. फ़तेहगढ़ साहिब
पंजाब के फ़तेहगढ़ ज़िले में स्थित फ़तेहगढ़ साहिब साहिबज़ादा फ़तेह सिंह और साहिबज़ादा जोरावर सिंह की शहादत में बनाया गया था. इनको 1704 में फ़ौज़दार वज़ीर ख़ान दीवार में जिंदा चुनवा दिया था. इस गुरुद्वारे को सफ़ेद पत्थर से बनवाया गया है. इसमें एक सोने का गुंबद भी है.
2. गुरुद्वारा बंगला साहिब
दिल्ली में स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब को पहले जयसिंहपुरा पैलेस के नाम से जाना जाता था. जो बाद में बंगला साहिब के नाम से मशहूर हुआ.
3. हरिमन्दिर साहिब
हरिमन्दिर साहिब गुरुद्वारा भारत के सबसे प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक है. पंजाब के अमृतसर में स्थित इस गुरुद्वारे को ‘दरबार साहिब’ या ‘गोल्डन टेंपल’ भी कहा जाता है. इसकी नींव सिखों के पांचवें गुरु अर्जन देव जी ने रखवाई थी.
4. शीश गंज गुरुद्वारा
दिल्ली का सबसे पुराना और ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर और उनके अनुयायियों को समर्पित है. कहा जाता है कि जब गुरू तेग बहादुर ने मुगल बादशाह औरंगज़ेब के इस्लाम धर्म को अपनाने से मना कर दिया, तो उन्हें यहीं पर मौत की सज़ा सुनाई गई थी. ये गुरुद्वारा 1930 में बनाया गया था.
5. गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब
उत्तराखंड के चमोली ज़िला में स्थित हेमकुंट साहिब गुरुद्वारा दसवें सिख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह को समर्पित है. यहां बर्फ़ की एक झील है, जो सात विशाल पर्वतों से घिरी हुई है.
6. हज़ूर साहिब गुरुद्वारा
नान्देड़ नगर में गोदावरी नदी के किनारे स्थित हजूर साहिब, सिखों के 5 तख़्तों में से एक है. माना जाता है कि इसी स्थान पर 1708 में गुरु गोबिंद सिंह का अंतिम संस्कार किया गया था. इसलिए महाराजा रणजीत सिंह के आदेश के बाद 1832-1837 के बीच गुरुद्वारे का निर्माण किया गया.
7. तख़्त श्री दमदमा साहिब
गुरुद्वारा श्री दमदमा साहिब सिखों के पांच तख़्तों में से एक है. ये बठिंडा से 28 किमी दूर दक्षिण-पूर्व के तलवंडी सबो गांव में स्थित है. इसे ‘गुरु की काशी’ के रूप में भी जाना जाता है.
8. आनंदपुर साहिब
पंजाब के रुपनगर ज़िले में स्थित आनंदपुर साहिब मुख्य गुरुद्वारा और प्रमुख आकर्षण है.
9. पटना साहिब
बिहार के पटना स्थित तख़्त पटना साहिब को तख़्त श्री हरमिंदरजी भी कहा जाता है. ये दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का जन्मस्थान है.
10. गुरुद्वारा पांवटा साहिब
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िले में स्थित ये गुरुद्वारा दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को समर्पित है. गुरुद्वारे में श्री दस्तर स्थान मौजूद है जहां माना जाता कि पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता था.
11. गुरुद्वारा श्री नारायण हरि
गुरुद्वारा श्री नारायण हरि कुल्लू ज़िले के मणिकरण गांव में स्थित है. इसे संत नारायण हरि जी की याद बनाया गया था. इस गुरुद्वारे का प्रमुख आकर्षण कृत्रिम गुफ़ा है.
12. हज़ूर साहिब
तख़्त सचखंड श्री हजूर अबचलनगर साहिब महाराष्ट्र के नांदेड़ में स्थित है और सिखों के पांच तख़्तों में से एक है.
13. गुरुद्वारा मजनू का टीला
महाराजा रणजीत सिंह ने इस गुरूद्वारे को बनवाया था. ये दिल्ली की यमुना नदी के किनारे पर स्थित है. इसे सफ़ेद संगमरमर से बनाया गया है.
14. गुरुद्वारा श्री केशगढ़ साहिब
गुरुद्वारा श्री केशगढ़ साहिब, पंजाब के आनंदपुर शहर में स्थित है. इस शहर को सिखों के 9वें गुरू तेग बहादुर जी ने स्थापित किया था.
15. गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह
हिमाचल प्रदेश के मंडी में स्थित गुरुद्वारे का नाम गुरुद्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी है. इस गुरुद्वारे काफ़ी मान्यता है.
16. गुरुद्वारा बेर साहिब
पंजाब के करतारपुर में स्थित इस गुरुद्वारे का नाम एक बेर के पेड़ के नाम पर रखा गया है. ऐसा माना जाता है कि एक बेर के पेड़ को, पहले गुरू, गुरू नानक जी के सामने बोया गया था.
17. गुरुद्वारा मणिकरण साहिब
ये गुरुद्वारा मनाली के पहाड़ों के बीच स्थित है. ऐसा कहा जाता है कि ये पहली जगह है, जहां गुरू नानक देव जी ने अपनी यात्रा के दौरान ध्यान लगाया था.
18. गुरुद्वारा सेहरा साहिब
पंजाब स्थित इस गुरुद्वारे के बारे में कहा जाता है कि गुरु हर गोविंद सिंह जी की बारात यहां से गुज़री थी और इस शहर में ही उनकी सेहरा बंधी की रस्म की गई थी. इसके बाद ही ये गुरुद्वारा बनाया गया है.
19. गुरुद्वारा श्री नानक झिर साहिब
कर्नाटक राज्य के बीदर में स्थित ये गुरुद्वारा ऐतिहासिक जगह है. यहां रोज़ क़रीब 4 से 5 लाख श्रद्धालु आते हैं.
20. गुरुद्वारा मटन साहिब
श्रीनगर से 62 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जगह श्री गुरुनानक देव जी 30 दिन के लिए ठहरे थे. इसके बाद इस गुरुद्वारा का निर्माण किया गया.
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