बनारस की शान ‘बनारसी पान’ की खेती बनारस में नहीं, बल्कि भारत के इस राज्य में होती है

Kratika Nigam

“खई के पान बनारस वाला, खुल जाए बंद अकल का ताला …”


फ़िल्म डॉन का ये गाना तो सुना होगा, जी हां बनारसी पान में कुछ तो बात होती है जिसका ज़िक्र फ़िल्मों के गाने तक में किया गया है. हालांकि, भारत में विभिन्न प्रकार के पान मिल जाते हैं, लेकिन बनारसी पान की बात ही अलग है. बनारसी पान को बनारस की शान माना जाता है. यहां आने वाला हर शख़्स एक न एक बार बनारसी पान का स्वाद ज़रूर चखता है और अगर आपने बनारस में हो कर बनारसी पान नहीं खाया है तो आपका वहां होना और जाना बेकार है.

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खाने के बाद या खाने से पहले पान का मज़ा तो ख़ूब लिया होगा, अब इससे जुड़े कुछ फ़ैक्ट्स भी जान लो.

बनारसी पान

हालांकि, बनारसी पान के दीवाने पूरी दुनिया में भरे पड़ें हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग होंगे जो ये जानते होंगे कि बनारसी पान से फ़ेमस इस पान के बेल की खेती बिहार के मगध में होती है. इसलिए इसे मगही पान भी कहा जाता है. इसके अलावा, नालंदा, औरंगाबाद और गया सहित 15 ज़िलों में भी इसकी खेती की जाती है. पानी की खेती की वजह से यहां के क़रीब 10 हज़ार लोगों को रोज़गार मिलता है, जिससे इनका घर चलता है.

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पान की खेती के बारे में बिहार के नालंदा के दुहै-सूहै गांव के रहने वाले अवध किशोर प्रसाद कई सालों से 8 डिस्मिल में पान की खेती करते हैं. वो बताते हैं कि,

पान की खेती के लिए ठंडे और छायादार वातावरण की ज़रूर होती है, क्योंकि इसके लिए उपयुक्त तापमान 20 डिग्री सेल्सियस होता है. इसके चलते अवध किशोर बांस के ज़रिए एक छायादार जगह बनाते हैं, जिससे पान की फसल के लिए तापमान का संतुलन बना रहे. अवध पानी की खेती जून-जूलाई में शुरू करते हैं, जबकि अन्य प्रदेशों में फरवरी, मार्च से लेकर अगस्त में भी पान के पौधों की रोपाई कर दी जाती है.
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पान के पौधों की रोपाई करने के लिए सबसे पहले ज़मीन को जोता जाता है. इसके मिट्टी से बेड के आकार की ज़मीन को तैयार किया जाता है. इसके बाद थोड़ी सिंचाई की जाती है. तब जाकर कहीं पान के पौधे की रोपाई की जाती है. पान के पौधे लगाने में दूरी का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है. पान की खेती में हर एक लाइन में 25 से 30 सेमी की दूरी और पौधे से पौधे में 15 सेमी की दूरी रखी जाती है.

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आपको बता दें, इस पान को मुग़ल शासकों द्वारा ख़ूब पसंद किया गया था. इन्होंने ही पान में चून, इलायची और लौंग डालकर बनाने का तरीक़ा निकाला. इतान ही नहीं, नूरजहां ने पान के पत्ते को मेकअप के तौर पर इस्तेमाल किया था. इसके चलते महिलाओं आज भी पान के पत्ते का उपयोग ब्यूटी प्रोडक्ट के तौर पर करती हैं.

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इन सबके अलावा, पान के औषधीय गुण भी हैं. आयुर्वेद के जनक धन्वंतरि ने बताया है पान खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और पेट की समस्या से छुकटारा मिलता है. तो वहीं प्राचीन शल्य चिकित्सक सुश्रुत के अनुसार, पान का सेवन करने से गला साफ़ रहता है और जिनके मुंह से दुर्गंध आती हो उन्हें भी पान खाना चाहिए इससे दुर्गंध नहीं आती है.

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