भारत में काले धन पर बवाल जब से मचना शुरु हुआ था, तब से यहां ‘स्वीस बैक’ भी काफ़ी चर्चा में रही है. मोटी-मोटी जानकारी अधिकांश भारतीयों को लग चुकी है कि काले धन के रूप में भारी मात्रा में पैसा स्विस बैंक में जमा करा दिया जाता है. साथ ही इस गुप्त बैंक में कई बड़े उद्योगपतियों का पैसा जमा है. वहीं, ‘स्वीस बैंक’ को लेकर कई सारे सवाल आपके जे़हन में हो सकते हैं कि क्या यहां सिर्फ़ बड़े लोगों का ही पैसा जमा होता है या कोई आम आदमी भी अपना पैसा यहां जमा करवा सकता है? आइये, इस ख़ास लेख में जानते हैं स्विस बैंक से जुड़े कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब.
काले धन का अड्डा
अपनी प्राकृतिक ख़ूबसूरती के साथ-साथ स्विट्ज़रलैंड अपने काले धन के अड्डे यानी ‘स्विस बैंक’ के लिए भी जाना जाता है. यह आपको पता ही होगा कि ‘स्वीस बैंक’ अपनी गोपनीयता को बरक़रार रखता है और यही वजह है कि विश्व के कई देशों से टैक्स चोरी का पैसा यहां जमा होने लगा है. भारत से भी करोड़ों रुपए यहां जमा कराए गए हैं.
इमेज बचाने के लिए देने लगा है मोटी-मोटी जानकारी
हालांकि, विश्व में अपनी इमेज को सुधारने के लिए ‘स्वीस बैंक’ ने मोटी-मोटी जानकारी देना शुरू किया है. हाल ही में जारी की गई ‘स्वीस बैंक’ की एक रिपोर्ट से यह ख़ुलासा हुआ है कि 2020 में भारतीयों द्वारा लगभग 20700 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं. यह आंकड़ा बीते 13 सालों में सबसे ज्यादा बताया जा रहा है.
जानिए क्या है यहां का नियम
यहां मौजूद बैंक Swiss Federal Banking Act के privacy law के सेक्शन 47 के तहत खाता खोलने का अधिकार रखती हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि इस एक्ट के अंतर्गत ‘स्विस बैंक’ तब तक खाता धारक का नाम सार्वजनिक नहीं करती है, जब तक कि वो किसी फ़िनासिअल क्राइम या फिर स्विट्ज़रलैंड की सीमा के अंदर किसी अपराध में उसका नाम नहीं आता. यहां तक कि पुलिस भी बिना अपराध के किसी व्यक्ति के बैंक डिटेल्स नहीं ले सकती है.
जानिए थोड़ा इतिहास
स्विस बैंक में खाता धारक की गोपनीयता को बनाए रखने का इतिहास काफ़ी पुराना है. माना जाता है कि गोपनीयता की शुरुआत 17वीं सदी में हो चुकी थी. इस दौरान Grand Council of Geneva ने एक कोड बनाया था, जिसके तहत खाताधारक की गोपनीयता को बनाए रखने का नियम बनाया गया.
जानकारी क्यों रखी जाती है गुप्त?
आपको जानकर हैरानी होगी कि स्विस बैंकों में एक अच्छे इरादे के साथ खाताधारकों की जानकारी गुप्त रखना शुरु किया गया था. जैसे कि देश के हालात ख़राब होने की स्थिति में वहां के लोगों का पैसा यहां यानी ‘स्वीस बैंक’ में सुरक्षित रहे. जैसे नॉर्थ कोरिया और इराक जैसे देशों की हालत काफ़ी ज्यादा बिगड़ी हुई है. ऐसे में स्विस बैंक एक सुरक्षित माध्यम बनकर उभरी है. लेकिन, धीरे-धीरे ग़लत इरादों के साथ इन बैंक्स का इस्तेमाल किया जाने लगा. वहीं, इमेज इतनी बिगड़ी कि इसे काले धन का अड्डा कहा जाने लगा है.
कौन बन सकता है यहां अकाउंट होल्डर?
बहुत लोग सोचते होंगे कि यहां सिर्फ़ काला धन जमा करने वालों का ही पैसा रखा जाता है. लेकिन, ऐसा नहीं है. एक आम इंसान भी यहां एक आम बैंक की तरह ही अपना पैसा जमा करवा सकता है. इसके लिए आपसे मांगे गए दस्तावेज़ बैंक को भेजने होंगे, जिनमें आपका पहचान पत्र भी होगा.
बिना नाम वाला अकाउंट
आपको बता हैं कि स्विस बैंक में बिना नाम के भी खाता खोला जा सकता है. लेकिन, इसके लिए आपको ‘स्विस बैंक’ जाना होगा. वहां कुछ विशेष प्रक्रिया के बाद आपका बिना नाम वाला खाता खोल दिया जाएगा. लेकिन, इसे हर कोई नहीं खुलवा सकता है. इसे खुलवाने के लिए एक मोटी रक़म जमा करवानी होती है.
साथ ही सालाना एक निर्धारित रक़म खाते में बनाई रखनी होती है. ऐसे अकाउंट Numbered Account कहलाए जाते हैं. इसमें हर लेन-देन ख़ास नंबर के ज़रिए होती है. बता दें, ऐसे खाते अक्सर काला धन जमा करवाने के लिए खोले जाते हैं.