गोमती नदी के किनारे बसा जौनपुर अपने इत्र और चमेली के तेल के लिए फ़ेमस है. लेकिन विदेशों में इसकी पहचान इसकी मिठाई से होती है, बात हो रही है जौनपुर में मिलने वाली 164 साल पुरानी मिठाई इमरती की, जिसे अंग्रेज़ों के ज़माने से बनाया जा रहा है. जौनपुर की इमरती का स्वाद इतना ख़ास है कि विदेशों से भी इसके ऑर्डर आते हैं. आइए मिलकर जानते हैं क्या है जौनपुर की रसीली इमरती का इतिहास.
ऐसे हुई थी शुरुआत
इस लज़ीज इमरती का इतिहास अंग्रेज़ों से जुड़ा है. ब्रिटिश राज में बेनीराम देवी प्रसाद नाम के एक डाकिया हुआ करते थे. एक दिन उनके अंग्रेज़ अफ़सर ने उनसे खाना बनाने को कहा. बेनीराम ने खाने के साथ मीठे में इमरती बनाई और उनके सामने पेश की.
अंग्रेज़ अफ़सर ने जब उसका स्वाद चखा तो वो उंगलियां चाटता रह गया. तब उसने बेनीराम को नौकरी छोड़ने को कहा. बेनीराम को लगा कि शायद उनसे खाना बनाने में कोई ग़लती हो गई है. इसलिए उन्होंने माफ़ी मांगते हुए आगे से ऐसा न करने की बात कही.
लेकिन अंग्रेज़ अफ़सर ने उन्हें बीच में ही रोकते हुए कहा, तुम्हें तो डाकिये का काम छोड़ इमरती बनाने का बिज़नेस शुरू कर देना चाहिए. तुम्हारे हाथ में जादू है. ऐसी मिठाई मैंने आज से पहले कभी नहीं खाई.
बेनीराम ने उनसे कहा हम तो इस मिठाई को तीज़ त्योहार पर अपने नाते-रिश्तेदारों के लिए बनाते हैं. हम इसे बेचते नहीं हैं. अफ़सर के ज़्यादा जोर देने पर वो मान गए और डाक विभाग से एक साल की छुट्टी लेकर 1855 में इमरती बनाने का काम शुरू किया. उनकी दुकान चल पड़ी और आज भी लोग दूर-दूर से लोग बेनीराम की इमरती खाने आते हैं.
ये दुकान जौनपुर के ओलन्दगंज के नक्खास मुहल्ले में मौजूद है. इसकी पुरानी दुकान शाही पुल के पास थी, जिसे मुग़लों के राज में बनाया गया था. बेनीराम के बाद की पीढ़ियों ने इस काम को आगे बढ़ाया और आज उनकी चौथी पीढ़ी इमरतियां बनाने का काम जारी रखे हुए हैं. अब तो इनकी इमरतियां विदेश में भी भेजी जाती है. इसकी रेसिपी को सीक्रेट रखा गया है.
10-12 दिनों तक नहीं होती ख़राब
इमरतियों को हरी उड़द की दाल से बनाया जाता है. इसके लिए चीनी ख़ासतौर पर बलिया से मगाई जाती है. इन्हें ख़ालिस देशी घी में तला जाता है. इनकी एक और ख़ासियत ये है कि ये 10-12 दिनों तक बिना फ़्रिज में रखे भी ठीक रहती हैं.
इमरती इतनी ख़ास है, तो इसके दीवाने भी हर जगह मौजूद होंगे. द हिंदू कि एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को इनके यहां कि इमरती बहुत पसंद है. वो इन्हें ख़ासतौर पर जौनपुर से मंगवाती हैं. जौनपुर की इमरती से जुड़े किस्से आपने भी अपने आस-पास के लोगों से ज़रूर सुने होंगे.
तो अगली बार जौनपुर जाना तो बेनीराम की इमरतियां खाना मत भूलना.
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