History OF Mongolian Horse: पुराने ज़माने में राजा-महाराज़ा, मुग़ल शासक हों या कोई तानाशाह सबकी सबसे फ़ेवरेट सवारी घुड़सवारी होती थी. ये युद्ध के मौदान से लेकर निजी जीवन की ज़रूरत तक हर जगह घोड़ों का इसत्माल करते हैं. हमारे देश में घोड़े का इतिहास भी काफ़ी विस्तृत और अनोखा है. अब चंगेज़ ख़ान का ही दौर ले लीजिए, जो मंगोल का शासक था उसकी सफलता से लेकर विफलता तक में घोड़ों का भी बहुत योगदान था. मंगोलियाइयों की ज़िंदगी में घोड़ों का इतना महत्व था कि, इन्हें बिना घोड़े के बिना पंख के पक्षी की तरह माना जाता था.
History OF Mongolian Horse
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मंगोलिया, चीन और रूस के बीच में बसा देश है. इसे चंगेज़ ख़ान की धरती के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि 12वीं सदी में चंगेज़ ख़ान का आतंक सिर चढ़कर बोलता था. चंगेज़ ख़ान के पास जो घोड़ा था वो भी मंगोलियाई घोड़ा था और मंगोलियाई घोड़े को दुनिया में सबसे बेहतरीन घोड़ों में एक माना जाता है.
चलिए इनकी ख़ासियत जानते हैं:
मंगोल घोड़ों की ख़ासियत ये है कि ये कम लागत में काफ़ी दिन जी जाते हैं. इन्हें यूरोपीय नस्ल के घोड़ों की तुलना में कम पानी और खाना लगता है. मंगोल में आज भी इन घोड़ों को लेकर पालने और व्यवसाय में इस्तेमाल करने की परंपरा है. माना जाता है कि, 2020 में यहां की जनसंख्या 33 लाख थी और घोड़ों की संख्या 30 लाख. मंगोलिया में जो भी इस घोड़े को पालता है, उसे समृद्ध और अमीर माना जाता है.
American Museum of Natural History (AMNH) के अनुसार, मंगोलिया को घोड़ों की धरती कहा जाता है. इस देश की अर्थव्यवस्था में भी मंगोल घोड़ों का बहुत योगदान है क्योंकि मंगोलियाई जो दूसरों देशों को सबसे ज़्यादा निर्यात करते हैं उनमें से एक घोड़ा भी है.
इन घोड़ों को गिफ़्ट में देने की भी परंपरा है. हमारे देश में तीन प्रतिष्ठित लोगों को ये घोड़े उपहार में मिल चुके हैं, लेकिन इन्हें भारत लाने की अनुमति नहीं होती है. इस देश में सबसे इन्हीं घोड़ों के मांस और दूध का इस्तेमाल खाने में किया जाता है.
दरअसल, 2005 में पर्यावरण और वन मंत्रालय ने एक क़ानून पारित किया था, जिसके तहत जानवरों को तोहफ़े के रूप में लेना या ले जाने की सख़्त मनाही है. ऐसे में जिस किसी को भी ये घोड़ा उपहार के तौर पर मिलता है वो उसे भारतीय दूतावास में रखते हैं. वहीं पर मंगोलियाई घोड़े की देखभाल की जाती है.
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ये घोड़ा एकबार फिर चर्चा में इसलिए आया है कि, हाल ही में मंगोलिया के राष्ट्रपति उखनागीन खुरेलसुख ने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को ये घोड़ा गिफ़्ट में दिया है, जिसका नाम रक्षामंत्री ने ‘तेजस’ रखा है. ये मंगोल के राषट्रपति की और से रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के लिए साकेंतिक उपहार है, जिसकी जानकारी राजनाथ सिंह ने अपने Twitter पर दी है.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के अलावा, ये घोड़ा भारत देश के दो और प्रतिष्ठित लोगों को मिल चुका है, जिसमें देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम शामिल है. नरेंद्र मोदी को मंगोल नस्ल का भूरा घोड़ा 2015 में मंगोल दौरे के दौरान वहां के एक नेता ने गिफ़्ट किया था. भारत और मंगोल की दोस्ती में इस घोड़े का भी योगदान है.
इसके अलावा, नेहरू जी सन 1958 में तत्कालीन मंगोलिया प्रमुख ने तीन मंगोलियाई घोड़े गिफ़्ट में दिए थे.
आंकड़ों की मानें तो, 2020 में मंगोलिया ने 1865 करोड़ रुपये की कीमत के घोड़ों के बाल और 263 करोड़ रुपये का घोड़ों का मांस दूसरे देशों में निर्यात किया है.