Expensive Rolex Watches: घड़ियों का शौक़ नहीं, बल्कि आदत और परंपरा होती है, अगर ऐसा कहा जाए तो ग़लत नहीं होगा. एक घर में अगर किसी को घड़ी पहनने का शौक़ है तो उसी घर में कोई न कोई दूसरा इंसान होगा, जिसे उनके इस शौक़ में काफ़ी दिलचस्पी होगी और वो इसे पूरी शिद्दत के साथ अपनाते हैं. मैं बताऊं,
मेरी एक दोस्त है, जिसकी मम्मी सबकुछ भूल जाएं, लेकिन घड़ी पहनना नहीं भूलतीं, और मेरी दोस्त का भी ऐसा ही हाल है. उसने मुझसे कहा कि, ये आदत मुझे मेरी मम्मी से मिली है.
वैसे तो मार्केट कई ब्रांड्स की घड़ियां आती हैं, लेकिन इन सबके बीच में जिस ब्रांड की सबसे ज़्यादा बात की जाती है वो होता है Rolex, इस ब्रांड की घड़ी पहनना शायद आधे से ज़्यादा लोगों का सपना होता है. सपना इसलिए क्योंकि ये इतनी महंगी है कि इसको ख़रीदना सबके बस की बात नहीं है, लेकिन सपने देखने में पैसे नहीं लगते हैं और सपने ही पूरे होते हैं. इन घड़ियों की क़ीमत लाखों में हैं, लेकिन इस घड़ी में ऐसा क्या होता है, जो ये इतनी महंगी होती हैं? कभी सोचा है.
आइए जानते हैं, Rolex Watches इतनी महंगी क्यों होती हैं?
Expensive Rolex Watches
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सबसे पहले, घड़ी बनाना ही अपने आप में एक लंबा, महंगा और थकाने वाला प्रोसेस होता है. किसी भी घड़ी की कॉस्ट महंगी ही आती हैं और फिर जब लग्ज़री और महंगी घड़ियां बनेंगी तो उसकी कॉस्ट तो ज़्यादा होगी ही उसके लिए रोलेक्स घड़ियां सबसे सही उदाहरण हैं. Rolex का अपना रिसर्च और डेवलेपमेंट डिपार्टमेंट है. इनके पास अपने Groundbreaking Tools और Avant Garde Equipment हैं, जिनका उपयोग महंगी और लग्ज़री घड़ियां बनाने के लिए किया जाता है.
Rolex अपनी घड़ियों की डिज़ाइनिंग के तरीक़ों और तकनीक में शुरुआत से लेकर अभी तक कुछ न कुछ नया करते हैं, जिससे वो घड़ियों की मार्केट में सबसे आगे रहें. इसके लिए वो अपनी लैब में ट्रेंड और अनुभवी वैज्ञानिकों को ही रखते हैं. मशीनों में सबसे बेहतर क्वालिटी के तेल का इस्तेमाल किया जाता है. इस वजह से Rolex घड़ियां इतनी महंगी होती हैं.
इसके अलावा, इन घड़ियों की टेस्टिंग भी इसे दूसरी घड़ियों से अलग बनाती हैं. अभी तक समंदर के अंदर, आसमान की ऊंचाई से, एवरेस्ट की चोटी से और रेगिस्तान की रेत में Rolex घड़ी को टेस्टिंग की जा चुकी हैं. यहां तक कि मार्केट में उतारने से पहले इसके कम से कम 20 टेस्ट किए जाते हैं. ये घड़ी इसलिए भी ख़ास होती हैं क्योंकि ये पहनने वाले व्यक्ति के शरीर की एक्टिविटीज़ के बारे में भी बताती है.
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बनावट के आधार पर देखा जाए तो, Rolex घड़ी बनाने में सबसे महंगे स्टील के साथ-साथ गोल्ड और प्लेटिनम का इस्तेमाल किया जाता है. इन घड़ियों में जो सोने की प्रोसेसिंग होती है वो भी Rolex अपनी फ़ैक्ट्री में ही करती है. घड़ी को बनाते समय इसके वज़न, लुक और क्वालिटी का पूरा ध्यान रखा जाता है.
Rolex की सबसे महंगी घड़ी Rolex Cosmograph Daytona है, जिसकी क़ीमत 142 करोड़ रुपये है. इसके अलावा, भारत में वाइट गोल्ड के कॉस्मोग्राफ़ डेटोना की क़ीमत 24.61 लाख रुपये और येलो गोल्ड के मॉडल की क़ीमत 29.61 लाख रुपये तक है.
आपको बता दें, 1905 में Hans Wilsdorf और Alfred Davis ने Wilsdorf और Davis नाम से एक कंपनी की शुरुआत की, जिसके बाद 1908 में इसी घड़ी की कंपनी को Rolex के नाम पर रजिस्टर्ड करवाया और 1915 में Rolex Watch Co. Ltd. हो गई.
प्रथम विश्वयुद्ध के बाद, यूनाइटेड किंगडम की प्रतिकूल अर्थव्यवस्था के चलते Wilsdorf लंदन से जिनेवा चले गए और फिर वहीं 1919 में Rolex का मुख्यालय बन गया. 1920 में, Wilsdorf ने जिनेवा में Montres Rolex SA नाम से नई कंपनी शुरुआत की, जो Rolex SA बन गई. 1960 से, कंपनी का स्वामित्व Hans Wilsdorf Foundation के पास है, जो एक निजी फ़ैमिली ट्रस्ट है. Rolex कंपनी हर साल लगभग 10 लाख घड़ियां बनाती है. Rolex Watches संजय दत्त, फ़ेडरर और विराट कोहली की पहली पसंद हैं.