Why XXX Is Written On Rum Bottles: शराब पीना सेहत के लिए हानिकारक है ये सभी जानते हैं, बावजूद इसके लोग शराब पीने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ते. भारत दुनिया का सबसे अधिक शराब Consumption वाला देश है. इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़ भारत में हर साल 5 बिलियन लीटर शराब की खपत होती है. शराब प्रेमियों की भी अलग-अलग कैटेगरी होती हैं. कोई बियर का शौक़ीन है तो कोई रम, व्हिस्की, वोदका, जिन आदि का दीवाना होता है. RUM को कहा जाता है Regular Used Medicine. इसकी बोतल पर XXX क्यों लिखा होता है?
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आज हम RUM की बात करने जा रहे हैं. रम की चर्चा करने का ये सही मौसम भी है. दुनिया के सभी देशों में ठंड के मौसम में RUM को ज़्यादा तरजीह दी जाती है. लेकिन कम ही लोगों को मालूम होगा कि ‘रम’ भी दो तरह की होती है White Rum And Dark Rum. आमतौर पर व्हाइट रम का इस्तेमाल कॉकटेल्स ड्रिंक तैयार करने के लिए किया जाता है. वहीं अधिकतर लोग ‘डार्क रम’ पीना पसंद करते हैं.
आमतौर पर आपने Dark Rum की अधिकतर बोतलों पर XXX लिखा देखा होगा. लेकिन क्या अपने कभी ये जानने की कोशिश की कि ये क्यों लिखा होता है और इसका क्या मतलब है? चलिए जानने की कोशिश करते हैं कि आख़िर रम की बोतल पर XXX क्यों लिखा होता है?
RUM को कहा जाता था Regular Used Medicine
कहा जाता है कि पुराने ज़माने में RUM को Regular Used Medicine के तौर पर इस्तेमाल की मान्यता थी. डॉक्टर भी मरीज़ों को दवा के तौर पर RUM पीने का सुझाव देते थे. इस दौरान डॉक्टर अपनी पर्ची पर RUM के साथ XXX लिखा करते थे. मतलब मरीज़ को बोतल की कैप से रम की एक निश्चित मात्रा 30 दिन तक दवा के तौर पर लेनी होती थी. रोमन में XXX का मतलब 30 होता है. डॉक्टरों की यही मार्किंग बाद में बोतलों पर भी इस्तेमाल होने लगी.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 17वीं शताब्दी में ब्रिटेन में ‘बीयर’ की तीव्रता मापने के लिए X इस्तेमाल किया जाता था. मतलब जितने X उतनी ही स्ट्रॉन्ग शराब. बाद में अंग्रेज़ों ने BEER के साथ ही RUM पर भी इसे अप्लाई कर दिया और X शराब की तीव्रता नापने का प्रतीकात्मक चिह्न बन गया. लेकिन आज के दौर में शराब की तीव्रता % v/v के मात्रक में मापी जाती है.
वाइन एक्सपर्ट संजय घोष के मुताबिक़, ब्रिटिश फ़ौज RUM का काफ़ी इस्तेमाल किया करती थी. इस दौरान वो RUM की प्रामाणिकता और तीव्रता जांचने के लिए ‘गन पाउडर टेस्ट’ करते थे. इस टेस्ट के दौरान ‘रम’ को बारूद के मिश्रण के साथ डालकर जलाने की कोशिश की जाती थी. ऐसे में यदि आग लग जाती थी तो माना जाता था कि इसमें एल्कॉहल की मात्रा 57 प्रतिशत या उससे अधिक है. अगर आग नहीं लगती थी तो उसे कम तीव्रता की RUM माना जाता था. इसी आधार पर X, XX या XXX की मार्किंग होती थी. इसी मार्किंग के आधार पर सरकारें शराब कंपनियों से टैक्स वसूलती थीं.
18वीं शताब्दी में दुनियाभर में कई कंपनियां शराब बनाया करती थीं. उन दिनों शराब की तीव्रता मापने के लिए उतने तकनीकी संसाधन उपलब्ध नहीं थे. इस दौरान अधिकतर डिस्टलरी यही दावा करती थीं कि उनकी शराब सबसे स्ट्रॉन्ग है. ऐसे में एल्कॉहल की तीव्रता मापने के लिए एक तरीक़ा अपनाया गया, जिसका कनेक्शन X से है.
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