Board Exams में 94% लाने वाली इस लड़की की उपलब्धि की जानकारी सबको है, सिवाय उसके

Suneel

समाज में इस तरह की अराजकता फैली है कि कब किससे के साथ कौन सी घटना हो जाए, इसका कोई ठिकाना नहीं है. ताज़ा मामला अलीगढ़ का है, जहां एक लड़की पर जानलेवा हमला किया गया और वो कोमा में चली गई.

मनीषा साइंस की छात्रा है और इस बार के 12वीं की बोर्ड परीक्षा में उसे 94% अंक मिले हैं. लेकिन अभी तक उसे अपनी इस सफ़लता के बारे में पता नहीं है, क्योंकि रिज़ल्ट आने के 10 दिन पहले ही उस पर ये जानलेवा हमला हुआ.

घटना 18 मई की है. उस दिन मनीषा अपने परिवार के साथ छत पर सोई थी और बाथरूम जाने के लिए नीचे उतरी. जब काफ़ी देर तक मनीषा नहीं लौटी, तो उसके माता-पिता ने उसे खोजना शुरू किया. बाथरूम के दरवाज़े पर मनीषा का दुपट्टा और चप्पल मिली, जबकि मनीषा गम्भीर रूप से घायल अवस्था में बाहर सड़क पर मिली.

अरविंद और अनीता (मनीषा के माता-पिता) ने शक़ के आधार पर अपने दो पड़ोसियों राघव (टोनी) और दीपक के खिलाफ़ 16 जून को F.I.R. दर्ज कराई. राघव और दीपक, अरविंद के पड़ोस में ही रहते थे, जो घटना के बाद अलीगढ़ छोड़कर चले गए. मनीषा की मां ने बताया कि 9 मई को उन लड़कों का मनीषा से झगड़ा हुआ था और उन्होंने मनीषा को परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी.

पुलिस ने शिकायत दर्ज करने के बाद दोनों आरोपियों को गिरफ़्तार करके उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.

लेकिन अब आर्थिक रूप से कमज़ोर अरविंद और अनीता के सामने सबसे बड़ी चिंता अपनी बेटी के इलाज की है. मनीषा का इलाज फ़िलहाल Max Hospital Patparganj में चल रहा था. जहां 22 दिनों के इलाज का बिल 8 लाख रूपये हुआ था. अस्पताल प्रशासन ने बिल तो माफ़ कर दिया, लेकिन आगे के इलाज के लिए मनीषा को एम्स ले जाने का सुझाव दिया.

मनीषा के माता-पिता का कहना है कि मनीषा को एक दिन के लिए एम्स के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया था, लेकिन उसके बाद अस्पताल प्रशासन ने उनसे बेड खाली न होने की बात कहकर उन्हें वापस भेज दिया.

इलाज की वजह से मनीषा की मां की ड्रामा स्कूल की नौकरी छूट गई. मनीषा के पिता इलेक्ट्रिशयन हैं और उनकी आय के साधन बहुत सीमित हैं. ऐसे में मनीषा का इलाज कराना उसके माता-पिता के लिए एक बड़ी समस्या है.

मनीषा के ऊपर हमला करने वाले आरोपी तो गिरफ़्तार हो गए हैं, लेकिन देखना ये होगा की मनीषा को न्याय के साथ-साथ ज़िन्दगी भी मिलती है या नहीं.

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