लॉकडाउन के चलते एक ज्वैलर बना सब्ज़ीवाला, क्योंकि कुछ न करने से बेहतर तो कुछ करना है

Akanksha Tiwari

लॉकडाउन के चलते हर किसी का घर चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में इंसान को परिवार का पेट भरने के लिये वो काम भी करना पड़ रहा है, जो उसने कभी सोचा नहीं था. जयपुर के हुकुमंचद सोनी के साथ भी कुछ ऐसा हुआ. हुकुमंचद पिछले 25 वर्षों से ज्वैलरी शॉप चला रहे थे. पर अब वो घर चलाने के लिये सब्ज़ी बेच रहे हैं. 

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रामनगर इलाके में जो दुकान कभी आभूषणों से सजी होती है, वो दुकान आज आलू और प्याज़ से भरी हुई है. PTI से बातचीत करते हुए हुकुमंचद ने बताया कि कुछ दिन पहले उन्होंने सब्ज़ी बेचना शुरू किया. उन्होंने बताया कि गहनों की दुकान ज़्यादा बड़ी नहीं थी, पर हां उससे उनका घर चल जाता था. लॉकडाउन के बाद उनके पास घर चलाने का सिर्फ़ यही रास्ता रह गया है. 

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हुकुमंचद कहते हैं कि वो इतने दिनों से घर बैठे थे, पर उन्हें खाना और पैसे कौन देगा? वो अंगूठी जैसे छोटे-मोट गहने बनाते और बेचते. इसके साथ ही गहनों की मरम्मत भी करते. हुकुमंचद का कहना है कि बाकि दुकानदार भी काफ़ी नुकसान झेल रहे हैं. हुकुमंचद परिवार के कमाने वाले एकमात्र सदस्य हैं और उनके लिये ये फ़ैसला लेना बिल्कुल भी आसान नहीं था. 

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हुकुमंचद का मानना है कि घर बैठ कर कुछ नहीं करने से बेहतर है, कुछ करना. कम से कम अब वो कमा रहे हैं. सब्ज़ी बेचकर हुकुमंचद दुकान का किराया दे पा रहे हैं. इसके साथ ही अपनी मां और छोटे भाई के परिवार का ध्यान भी रख पा रहे हैं. हुकुमंचद का छोटा भाई अब इस दुनिया में नहीं है. हुकमचंद रोज़ाना सब्ज़ीमंडी जाकर टैंपो या रिक्शे के ज़रिये सब्ज़ी दुकान तक पहुंचाते हैं. 

हुकमचंद जी की बात तो सही है, कुछ न करने से बेहतर है कुछ करना और परिवार का पेट भरना. 

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