लॉकडाउन के कारण कम हुआ पृथ्वी का शोर, वैज्ञानिक दे सकेंगे भूंकप की सही जानकारी

Akanksha Tiwari

इसमें कोई दोराय नहीं है कि लॉकडाउन की वजह से हर कोई नुक़सान में है. लॉकडाउन के दौरान हमें बहुत सी बुरी ख़बरें सुनने को मिली. हांलाकि, कुछ अच्छी चीज़ें भी सामने आई हैं. पर्यावरण में अच्छा बदलाव देखने को मिल रहा है. गंदी नदियां साफ़ दिखने लगी हैं, सड़कों पर मोर नाच रहे हैं. कुल मिला कर लॉकडाउन अच्छा और बुरा दोनों तरह का असर साबित हो रहा है. 

financialexpress

वहीं अब ये भी दावा किया जा रहा है कि लॉकडाउन के कारण पृथ्वी से सुनाई देने वाली आवाज़ें कम हुई हैं. इस कारण भूकंप की सही जानकारी देना आसान हो गया है. ये दावा धरती की सतह पर कंपन की देखरेख करने वाले वैज्ञानिकों द्वारा किया गया है. ब्रिटिश जियोलॉजिकल सर्वे ने सिस्मोमीटर की मदद से लंदन में इसका डेटा इकट्ठा किया है. 

planetariumec1

इस डेटा के अनुसार, इंसानी गतिविधियां कम होने से पृथ्वी से आने वाली आवाज़ें कम हुई हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, पृथ्वी से आने वाली कंपन की आवाज़ में कमी आने की वजह लॉकडाउन के दौरान लोगों का घरों में रहना है. 

medscape

क्या है सिस्मोमीटर? 

सिस्मोमीटर वो यंत्र होता है, जिससे सिस्मिक तरंगों को या कंपनों को मापा जाता है. इस यंत्र की मदद से पृथ्वी की सतह से उठने वाली कंपन, मानवी गतिविधि, उद्योग या ट्रैफ़िक के कंपनों की देख-रेख की जाती है. 

बाकि सब ठीक है, लेकिन इस बात पर घर से मत निकलने लगना. 

News के और आर्टिकल पढ़ने के लिये ScoopWhoop Hindi पर क्लिक करें. 

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे