हादसे में दोनों हाथ खोए, लोगों के ताने सहे, पर हार नहीं मानी और आज है एक बेहतरीन आर्टिस्ट

Kratika Nigam

हौसला हो तो ज़िंदगी अधूरी होते हुए भी पूरी की जा सकती है. इसकी जीत- जागती मिसाल है कम्बोडिया के आर्टिस्ट मॉर्न चियर (Morn Chear). 20 साल की उम्र में निर्माण कार्य के दौरान एक दुर्घटना में इनके दोनों हाथों में गैंग्रीन हो गया. इसके चलते डॉक्टर की सलाह के अनुसार, इनके कोहनी से नीचे के हाथों को काटना पड़ा, लेकिन आज वो अपनी हिम्मत के दम पर एक बेहतरीन आर्टिस्ट हैं.

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Morn Chear ने AFP को बताया,

जब मेरे साथ ये दुर्घटना हुई थी तब मैं बहुत उदास हो गया था, मुझे नहीं पता था कि मैं अपने परिवार को खिलाने के लिए पैसे कैसे कमाऊंगा और क्या करूंगा.

मगर दस साल बाद, Morn Chear ने Siem Reap में स्थित एक आर्ट स्टूडियो में अपनी जगह बनाई. जहां वो लिनोकट ब्लॉक प्रिंटिंग करते हैं और इसमें उन्हें महारथ हासिल है. कंबोडिया में ये तकनीक बहुत ही कम इस्तेमाल होती है.

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लिनोकट ब्लॉक प्रिंटिंग (Linocut Block Printing) के लिए लिनोलियम के एक ब्लॉक में डेफ़्ट हैंडल की आवश्यकता होती है और फिर प्रिंट टॉटर पर स्याही लगाकर इस पेंटिंग को बनाया जाता है.  

मॉर्न ने बताया,

मेरी कलाकृति में से अधिकांश मेरी वास्तविक कहानियों के बारे में हैं. एक आकृति में उन्होंने ख़ुद को झूले पर बैठे दिखाया और आस-पास के लोगों को शिवालय की ओर जाते हुए.
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ओपन स्टूडियो कंबोडिया ऐसे कई आर्टिस्ट को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौक़ा देता है और उनकी कलालकृति को बेचने का अवसर देता है. ये स्टूडियो अंगकोर वाट मंदिर परिसर के लिए प्रसिद्ध है.

Morn Chear ने अपने दोस्तों की एक घटना को याद करते हुए बताया,

एक बार उन्होंने कहा था कि उसे हमारे साथ आने के लिए मत कहो, वो विकलांग है और ये बहुत ही शर्मनाक बात है.

कम्बोडियन डिसेबल्ड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन द्वारा पिछले साल एक सर्वेक्षण में पाया गया कि देश के 60 प्रतिशत विकलांग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं.

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कम्बोडिया में विकलांगों के लिए भेदभाव की भावना रखी जाती है. उन्हें भिखारी या बोझ के रूप देखा जाता है. इसके चलते उन्हें ग्रामीणों द्वारा ‘ए-कंबोट’ (A-Kambot) उपनाम दिया गया था, जो विकलांगों के लिए अपमानजनक शब्द होता है.

Morn Chear ने बताया, 

जो लोग पहले मुझे हीन भावना से देखते थे आज मेरी आर्ट के चलते फिर से मेरे दोस्त बनना चाहते हैं. मुझे आशा है कि लोगों की सोच इसी तरह से बदलेगी.  

आखिर में वो कहते हैं,

आर्ट मेरे लिए सबकुछ है. अगर मैं आर्ट नहीं करूंगा तो मुझे नहीं पता कि मैं क्या कर सकता हूं.

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