एक ही पंडाल में गणेश चतुर्थी और मोहर्रम का आयोजन कर इस गांव ने पेश की धार्मिक सौहार्द की मिसाल

Sanchita Pathak

नफ़रतों के इस अंधेरे में एक ख़बर उजाले की किरण लेकर आई है. 


धार्मिक सौहार्द का उदाहरण देते हुए कर्नाटक के हुबली की एक तहसील में गणेश चतुर्थी और मुहर्रम एक ही पंडाल में मनाया गया. 

ANI से बातचीत करते हुए मोहम्मद शम ने कहा, ‘हम धार्मिक सौहार्द का संदेश देना चाहते थे जो आज के समय में बहुत ज़रूरी है.’ 

ANI News

पंडाल में आए एक स्थानीय निवासी ने बताया,


‘इस गांव में लगभग 4000 लोग हैं और हम शांति से रहते हैं. यहां दोनों ही समुदाय एकसाथ काम करते हैं.’

गांववालों का कहना था कि दोनों समुदाय ही हर त्यौहार/प्रथाएं/रीति रिवाज़ मिल-जुलकर निभाते हैं.  

Times of India

Times of India की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ साल पहले गांव में श्री गजानन मट्टू मोहर्रम उत्सव समिति का गठन किया गया. समिति के प्रेसिडेंट, Mohammad Asundi ने Times of India को बताया,


‘हम 1985 से एक ही छत के नीच गणेश चतुर्थी और मोहर्रम एकसाथ मनाते आ रहे हैं. दोनों ही समुदाय के लोगों ने आयोजन के लिए दान किया है. हमारे यहां किसी भी त्यौहार में पुलिस नहीं रहती.’

New Indian Express

इससे पहले भी भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से धार्मिक सौहार्द की ख़बरें आई हैं.


बेंगलुरु के सद्दाम हुसैन, राम मंदिर की साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखते हैं. 

बिहार के नालंदा के एक गांव में मस्जिद की साफ़-सफ़ाई का बीड़ा हिन्दुओं ने उठाया था. यहां आज़ान पेन ड्राईव से होती है. 

2019 के बक़रीद पर मुज़्फ़्फ़रपुर में कई मुस्लिमों ने क़ुर्बानी नहीं दी थी क्योंकि उस दिन सावन का आख़िरी सोमवार था. 

ऐसी ख़बरें ही ‘अनेकता में एकता, हिन्द की विशेषता’ को मज़बूत करती हैं.  

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