60 वर्षीय इस महिला ने अपनी जमा पूंजी के 10 लाख रुपये दिए राहत कोष में, ये है ‘निस्वार्थ बलिदान’

Akanksha Tiwari

हिंदुस्तान को कोरोना वायरस से बचाने के लिये हर कोई अपना बेस्ट दे रहा है. कुछ लोग खाना खिला कर ग़रीबों की मदद कर रहे हैं, तो कुछ अपनी सेविंग्स को पीएम फ़ंड में दे रहे हैं. हर रोज़ इससे जुड़ी कई कहानियां सामने आ रही हैं, जो सभी को भावुक कर रही हैं. फिलहाल एक कहानी उत्तराखंड से भी आई है. जहां 60 वर्षीय बुज़ुर्ग महिला ने अपनी ज़िंदगी की जमा पूंजी पीएम राहतकोष में दे दी. 

hinditracklyrics

रिपोर्ट के अनुसार, चमोली के गौचर की रहने वाली देवकी भंडारी एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं और उन्होंने कोरोना की लड़ाई के लिये 10 लाख रुपये दिये हैं. ये रक़म उन्होंने अपनी पेंशन से जमा की थी. देवकी भंडारी की कोई संतान नहीं है और वो एक छोटे से किराये के अपार्टमेंट में रहती हैं. भंडारी का कहना है कि उनके कोई ख़ास ख़र्चे नहीं हैं. बेहतर होगा कि जुड़ा हुआ धन कोरोना की जंग में काम आये. देवकी भंडारी के पति सरकारी कर्मचारी थे, जिनकी 8 साल पहले मृत्यु हो गई थी. 

britannica

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देवकी भंडारी के इस कदम की प्रशंसा करते हुए इसे ‘निस्वार्थ बलिदान’ कहा है. मुख्यमंत्री का कहना है कि अब तक हमने देवभूमि पर महान राजाओं के दान की कहानियां पढ़ी थीं. पर अब इसे व्यक्तिगत रूप से देख भी लिया. अकेले होने के बावजूद श्रीमती भंडारी ने अपनी सारी बचत भारत को दे दी, जिसे वो अपना परिवार मानती हैं. ये समाज में एक महान उदाहरण प्रस्तुत करता है. 

ये है असली हिंदुस्तान और हिंदुस्तानी, जो ख़ुद से पहले दूसरों के बारे में सोचते हैं. 

News के और आर्टिकल पढ़ने के लिये ScoopWhoop Hindi पर क्लिक करें. 

आपको ये भी पसंद आएगा
मिलिए Chandrayaan-3 की टीम से, इन 7 वैज्ञानिकों पर है मिशन चंद्रयान-3 की पूरी ज़िम्मेदारी
Chandrayaan-3 Pics: 15 फ़ोटोज़ में देखिए चंद्रयान-3 को लॉन्च करने का गौरवान्वित करने वाला सफ़र
मजदूर पिता का होनहार बेटा: JEE Advance में 91% लाकर रचा इतिहास, बनेगा अपने गांव का पहला इंजीनियर
कहानी गंगा आरती करने वाले विभु उपाध्याय की जो NEET 2023 परीक्षा पास करके बटोर रहे वाहवाही
UPSC Success Story: साइकिल बनाने वाला बना IAS, संघर्ष और हौसले की मिसाल है वरुण बरनवाल की कहानी
कहानी भारत के 9वें सबसे अमीर शख़्स जय चौधरी की, जिनका बचपन तंगी में बीता पर वो डटे रहे