सिर्फ़ भूखे-प्यासे और ख़ुदा की इबादत करने का नहीं, बल्कि ज़रुरतमंदों की मदद करने का नाम है रोज़ा

Akanksha Tiwari

सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती,दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए.

जब बाज़ार ज़्यादा लाइट से जगमगा उठें. हर घर में साफ़-सफ़ाई और शॉपिंग शुरू हो जाए, तो समझिए रमज़ान की शरुआत होने वाली है. रमज़ान के पाक महीने की शुरुआत होते ही चारों ओर ख़ुशी का माहौल होता है. इस्लामिक कैलेन्डर के मुताबिक, ये महीना त्याग, समर्पण, सेवा और अास्था का प्रतीक माना जाता है. आज से एक महीने तक इस्लाम में आस्था रखने वाले लोग पूरी शिद्दत से ख़ुदा की इबादत करते हैं.

रहमतों और बरकतों का ये महीना अच्छे कामों का सबब देने वाला होता है. इसी वजह से इस माह को नेकियों का माह भी माना जाता है. इस पवित्र महीने को कुरान शरीफ़ के नाज़िल का महीना भी कहा जाता है. इस भीषण गर्मी में रोज़ा किसी इम्तेहान से कम नहीं होता.

कुरान शरीफ़ में रोज़े के अर्थ होता है ‘तकवा’, यानि बुराइयों से बचना और भलाई को अपनाना. सिर्फ़ भूखे-प्यासे रहने का नाम रोज़ा नहीं होता है. कहते हैं इस महीने में साफ़ नियत से ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए. अब आपको बताते हैं, रमज़ान से जुड़ी कुछ ख़ास बातें, आख़िर क्यों ये महीना और महीनों से ज़्यादा ख़ास है.

1. कहते हैं रमज़ान के पाक महीने में जन्नत के द्वार खोल दिए जाते हैं, जो भी शख़्स साफ़ नीयत और दिल से रोज़ा रख कर, ख़ुदा की इबादत करता है, उसे जन्नत नसीब होती है.

2. ये महीना प्रेम और संयम का प्रतीक है. इसीलिए कुरान शरीफ़ में हर मुस्लिम को रोज़ा रखने की सलाह दी गई है.

3. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को रोज़ा रखने पर पबांदी है.

4. अगर कोई भी शख़्स रमज़ान के महीने में जानबूझ कर रमज़ान के रोज़े के अलावा किसी और रोज़े की नियत करे, तो वो रोज़ा कुबूल नहीं होगा.

5. रमज़ान के दौरान पान, तंबाकू और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए.

6. रमज़ान के दौरान हर मुस्लिम को ज़कात देना होता है. ज़कात अपनी आमदनी से कुछ पैसे निकालकर जरूरतमंदों को देकर उनकी मदद करना.

7. रमज़ान के पाक महीने में ख़ुदा से अपने सभी बुरे कर्मों के लिए माफी भी मांगी जाती है. महीने भर तौबा के साथ इबादतें की जाती हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से इंसान के सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं.

8. पवित्र महीने में सिर्फ़ खाने-पीने की ही बंदिश नहीं हैं, बल्कि इस दौरान बुरी चीज़ों और दूसरों की बुराई न करने की सलाह दी गई है.

9. अन्न, जल त्यागने का नाम रोज़ा नहीं, बल्कि अपने आपको शुद्ध और व्यवस्थित करने का नाम रोज़ा है.

10. इमारत-ए-शरिया के नायब नाज़िम मौलाना सोहैल अहमद नदवी ने कहा है कि ‘अगर कोई मुसलमान एक रोज़ा भी बगैर किसी कारण छोड़ दे. तो वो पूरी जिंदगी रोज़ा रख कर भी उस एक रोज़े की भरपाई नहीं कर सकता.’

11. माना जाता है कि पाक रमज़ान माह में अदा की गई नमाजों का शबाब 70 गुना बढ़ जाता है.

12. इस दौरान किसी भी शख़्स को महिलाओं को बुरी नज़र से नहीं चाहिए, न ही घर-परिवार में गाली-गलौज करनी चाहिए.

13. छोटे बच्चों, गर्भवती महिलाओं, बीमार और बुज़ुर्गों को रोज़े से छूट है.

14. इस दौरान लोगों के साथ जितना अच्छा करेंगे और सोचेंगे, अल्लाह उतना ही आप पर मेहरबान होगा.

15. पाक महीने में रोज़ेदार को ख़ुद भी ख़ुश रहना चाहिए और दूसरों को भी ख़ुश रखना चाहिए. इससे घर में बरकत होती है.

रोज़ा रखने के फ़ायदे

1. रोज़ा रखने का सबसे पहला और अच्छा फ़ायदा ये है, इस दौरान आप अच्छाई के मार्ग पर चलना सीखते हैं.

2. नशीलें पदार्थों की लत से छुटकारा पा सकते हैं.

3. शरीर से विषैले तत्व नष्ट हो जाते हैं.

4. भूखे रहने से शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है.

5. आत्मविश्वास और नियंत्रण की सीख मिलती है.

रमज़ान की बहुत सारी बातें इंसान को इंसान बने रहने की सलाह देती हैं. सिर्फ़ रमज़ान में नहीं बल्कि पूरे साल बुराईयों से दूर रहिए और ज़रूरतमंदों की मदद करिए. 

आपको ये भी पसंद आएगा
IPL फ़ाइनल के बाद लाइमलाइट में आईं रिवाबा जडेजा, सोशल मीडिया पर बनी चर्चा का केंद्र
कमला की मौत: 34 साल पहले आई वो फ़िल्म जिसने अपने समय से आगे बढ़कर उन मुद्दों पर बात की जो अनकहे थे
Mother’s Day पर कुछ एहसास, कुछ अनकही बातें और अनुभव एक मां की तरफ़ से सभी लोगों के लिए
Mothers Day 2023 : वो 10 चीज़ें, जिनके लिए मांओं को दुनिया से माफ़ी मांगने की कोई ज़रूरत नहीं है
बहन के पीरियड्स आने पर भाई ने कर दी हत्या, हैवानियत की इस कहानी में क्या समाज है ज़िम्मेदार?
आख़िर क्यों इस ट्विटर यूज़र की बहन की हाइट के बारे में उसके पिता ने बोला झूठ? हैरान कर देगी वजह